फाइल फोटो
नई दिल्ली:
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने राजस्थान के बीकानेर में जमीन पर कब्जे को लेकर एक कंपनी के खिलाफ मनी लॉन्डरिंग का मामला दर्ज किया है। यह कंपनी कथित तौर पर राबर्ट वड्रा से जुड़ी है। एजेंसी सूत्रों ने कहा, ‘‘ ईडी ने धन शोधन रोकथाम कानून के तहत एक आपराधिक मामला दर्ज किया है। जल्दी ही यह समन जारी करेगी और कुछ अज्ञात निजी कंपनियों सहित आरोपियों से पूछताछ करेगी।’’
सूत्रों ने कहा कि उन्होंने पहले की मीडिया खबरों पर संज्ञान लिया है जिनमें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वड्रा से जुड़ी एक कंपनी का जिक्र किया गया था, जिसने इनमें से कुछ भूमि खरीदी थी। एजेंसी ने प्राथमिकी में वड्रा या उनसे जुड़ी किसी कंपनी का नाम नहीं लिया है। लेकिन इसमें राज्य सरकार के कुछ अधिकारियों और कुछ ‘‘भूमि माफिया’’ का नाम लिया गया है।
प्रतिक्रिया के लिए वड्रा से संपर्क नहीं हो सका लेकिन कांग्रेस पार्टी ने इसे ‘‘राजनीतिक बदले की भावना’’ बताया। ईडी की कार्रवाई के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस महासचिव और प्रवक्ता शकील अहमद ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ उन्होंने कुछ गलत नहीं किया है। उनके खिलाफ कोई मामला लंबित नहीं है। यह सरासर राजनीतिक बदले की भावना है।’’
राज्य सरकार ने इसी साल जनवरी में 374.44 हेक्टेयर भूमि का म्यूटेशन (भूमि हस्तांतरण) रद्द कर दिया था। इसके पहले भूमि विभाग ने ‘‘अवैध निजी लोगों’’ के नामों से आवंटन किए जाने का पता लगने का दावा किया था।
केंद्रीय जांच एजेंसी ने राज्य पुलिस द्वारा पिछले साल अगस्त में दाखिल की गयी 18 प्राथमिकियों के आधार पर यह मामला लिया है। इसके पहले स्थानीय तहसीलदार ने एक शिकायत दर्ज करायी थी। उन्होंने अपनी शिकायत में कहा था कि बीकानेर के 34 गांवों में सरकारी भूमि को भूमि माफिया ने सरकारी अधिकारियों की मदद से ‘‘फर्जी दस्तावेज’’ तैयार कर ‘‘हड़प’’ लिया जिसका उपयोग सेना की फायरिंग रेंज का विस्तार करने के लिए किया जाना था।
सूत्रों ने कहा कि एजेंसी को संदेह है कि इस मामले में फर्जी दस्तावेज के जरिए कम कीमत पर जमीन खरीदने वाले लोगों द्वारा बड़ी मात्रा में धन शोधन किया गया था। राज्य सरकार ने म्यूटेशन रद्द करते हुए कहा था कि आयुक्त, कोलोनाइजेशन, बीकानेर ने इन्हें जारी नहीं किया था। राज्य पुलिस ने 18 मामलों में कोलायत की एक अदालत में आरोपपत्र भी दाखिल किए हैं।
सूत्रों ने कहा कि उन्होंने पहले की मीडिया खबरों पर संज्ञान लिया है जिनमें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वड्रा से जुड़ी एक कंपनी का जिक्र किया गया था, जिसने इनमें से कुछ भूमि खरीदी थी। एजेंसी ने प्राथमिकी में वड्रा या उनसे जुड़ी किसी कंपनी का नाम नहीं लिया है। लेकिन इसमें राज्य सरकार के कुछ अधिकारियों और कुछ ‘‘भूमि माफिया’’ का नाम लिया गया है।
प्रतिक्रिया के लिए वड्रा से संपर्क नहीं हो सका लेकिन कांग्रेस पार्टी ने इसे ‘‘राजनीतिक बदले की भावना’’ बताया। ईडी की कार्रवाई के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस महासचिव और प्रवक्ता शकील अहमद ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ उन्होंने कुछ गलत नहीं किया है। उनके खिलाफ कोई मामला लंबित नहीं है। यह सरासर राजनीतिक बदले की भावना है।’’
राज्य सरकार ने इसी साल जनवरी में 374.44 हेक्टेयर भूमि का म्यूटेशन (भूमि हस्तांतरण) रद्द कर दिया था। इसके पहले भूमि विभाग ने ‘‘अवैध निजी लोगों’’ के नामों से आवंटन किए जाने का पता लगने का दावा किया था।
केंद्रीय जांच एजेंसी ने राज्य पुलिस द्वारा पिछले साल अगस्त में दाखिल की गयी 18 प्राथमिकियों के आधार पर यह मामला लिया है। इसके पहले स्थानीय तहसीलदार ने एक शिकायत दर्ज करायी थी। उन्होंने अपनी शिकायत में कहा था कि बीकानेर के 34 गांवों में सरकारी भूमि को भूमि माफिया ने सरकारी अधिकारियों की मदद से ‘‘फर्जी दस्तावेज’’ तैयार कर ‘‘हड़प’’ लिया जिसका उपयोग सेना की फायरिंग रेंज का विस्तार करने के लिए किया जाना था।
सूत्रों ने कहा कि एजेंसी को संदेह है कि इस मामले में फर्जी दस्तावेज के जरिए कम कीमत पर जमीन खरीदने वाले लोगों द्वारा बड़ी मात्रा में धन शोधन किया गया था। राज्य सरकार ने म्यूटेशन रद्द करते हुए कहा था कि आयुक्त, कोलोनाइजेशन, बीकानेर ने इन्हें जारी नहीं किया था। राज्य पुलिस ने 18 मामलों में कोलायत की एक अदालत में आरोपपत्र भी दाखिल किए हैं।
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