
द्रमुक नेता एमके स्टालिन को विधानसभा से जबरदस्ती पकड़कर बाहर निकाला गया.
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डीएमके के सभी 89 विधायकों को किया गया निलंबित.
डीएमके नेता एमके स्टालिन पर अपमानजनक टिप्पणी का विरोध कर रहे थे विधायक.
एक सप्ताह तक विधानसभा आने पर लगी रोक.
विधानसभा अध्यक्ष पी धनपाल ने विधानसभा के मार्शलों को डीएमके के सदस्यों को बाहर निकालने का आदेश दिया. इससे पहले विपक्ष के सदस्य खड़े होकर टिप्पणियों को रिकॉर्ड से निकाल देने की मांग कर रहे थे, लेकिन अध्यक्ष ने उनकी मांग को खारिज कर दिया और उनसे सदन को सुचारू रूप से चलाने में सहयोग करने को कहा. बाद में सरकार ने डीएमके सदस्यों को एक हफ्ते के लिए निलंबित करने का प्रस्ताव रखा, जिसे ध्वनि मत से पारित कर दिया.
भवन और आईटी विभागों के लिए अनुदान की मांग को लेकर हो रही बहस के दौरान यह हंगामा तब हुआ, जब एआईएडीएमके सदस्य एस गुनासेकरन ने स्टालिन का नाम लिए बिना ‘नामाक्कू नामे’ कार्यक्रम पर कुछ टिप्पणियां की, जिसे इस साल विधानसभा चुनाव से पहले डीएमके के कोषाध्यक्ष ने शुरू किया था. ‘नामाक्कू नामे’ कार्यक्रम के दौरान स्टालिन ने राज्य का दौरा किया था और लोगों से बातचीत की थी.
कार्यक्रम के बारे में की टिप्पणियों पर डीएमके सदस्यों ने कड़ी आपत्ति जताई. वे चाहते थे कि विधानसभा स्पीकर उसे सदन की कार्यवाही से हटा दें. धनपाल ने हालांकि कहा कि विधायक ने सीधे तौर पर किसी का जिक्र नहीं किया, लिहाजा टिप्पणियों को हटाने की जरूरत नहीं है. सदन में डीएमके के उपनेता दुरई मुरुगन ने कहा कि नामक्कू नामे स्टालिन की पहल थी, लिहाजा टिप्पणियां सिर्फ उनके संदर्भ में की गई है और उन्होंने टिप्पणियों को हटाने की मांग की.
इस वक्त तक स्टालिन ने खुद खड़े हो कर कहा कि उन्हें गर्व है कि नामाक्कू नामे का जिक्र विधानसभा में बहस के दौरान हुआ. उन्होंने भी कुछ टिप्पणियां की जिन्हें बाद में स्पीकर ने कार्यवाही से हटा दिया. इसके बाद डीएमके सदस्य खड़े हो गए और स्पीकर की कार्रवाई का विरोध करने लगे, जबकि धनपाल ने उनसे सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चलाने में सहयोग करने को कहा.
जब डीएमके सदस्यों ने उनके द्वारा बार-बार किए जा रहे आग्रह पर ध्यान नहीं दिया तो उन्होंने मार्शलों को हंगामा कर रहे विधायकों को बाहर निकाल देने को कहा. स्टालिन को आखिरकार सदन से पकड़कर बाहर निकालने से पहले उन्होंने कुछ देर धरना दिया.
स्पीकर ने बाद में कहा कि उन्हें ऐसी कार्रवाई करनी पड़ी, क्योंकि डीएमके सदस्यों ने उनके सहयोग के आग्रहों पर ध्यान नहीं दिया. फिर सदन के नेता और वित्तमंत्री ओ पनीरसेल्वम ने डीएमके सदस्यों को एक हफ्ते के लिए निलंबित करने के वास्ते एक प्रस्ताव पेश किया, जिसे एआईएडीएमके के प्रभुत्व वाले सदन में ध्वनि मत से पारित कर दिया गया.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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