बिहार आम की अलग-अलग प्रजातियों के लिए जाना जाता है. चाहे बात दशहरी आम की करें या फिर लंगड़ा की या फिर चौसा और अलफॉन्सो की है, बिहार में ये तमाम प्रजातियों के आम मिलते हैं. लेकिन अगर मैं आपसे कहूं कि बिहार में ही दुनिया का सबसे महंगा आम भी मिलता है तो आप शायद ही मेरी बातों पर भरोसा कर पाएंगे लेकिन ये सच है. दरअसल, नालंदा के चंडी प्रखंड के ढकनिया गांव में मुकेश कुमार अपने कुछ रिश्तेदारों के साथ मिलकर दुनिया की सबसे महंगी प्रजाति के आम की पैदावार कर रहे हैं. मुकेश कुमार ने मियाजाकी आम को लेकर 2021 में सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी हासिल की थी. इसके बाद मुकेश ने जापान से इस प्रजाति के पौधे को मंगवाया था. पिछले तीन साल से इस पेड पर आम आ रहे हैं. मुकेश का दावा है कि ये आम मियाजाकी प्रजाति का ही है. आपको बता दें कि मियाजाकी प्रजाति का आम दुनिया भर में प्रचलित है. चलिए आज हम इस आम के बारे में आपको कुछ अहम बातें बताते हैं. आखिर किन कारणों से ये आम इतना खास है...
आखिर इस प्रजाति को मियाजाकी ही क्यों कहते हैं
अगर आपको इस आम के बारे में विस्तार से बताएं तो मियाजाकी आम पहले सिर्फ जापान के क्यूशू प्रान्त के मियाजाकी शहर में उगाया जाता था. यही वजह है कि इस आम का नाम मियाजाकी रखा गया था. अगर बात इस आम के वजन की करें तो इस प्रजाति के एक आम का वजन 350 ग्राम या इससे अधिक होता है. मियाजाकी आम में चीनी की मात्रा 15 फीसदी या इससे ज्यादा होती है. यह आम भारत और दक्षिण पूर्व एशिया में लोकप्रिय आम की किस्मों की तुलना में अपने अलग रूप और रंग के लिए लोकप्रिय है. इन आमों को "एग ऑफ द सन" (जापानी में ताइयो-नो-तमागो) के नाम से भी जाना जाता है.
बेहद कीमती होता है ये आम
अगर आपको मैं इस प्रजाति के आम की कीमत के बारे में बताऊं तो आप हैरान हो जाएंगे. इस प्रजाति के एक किलो आम की कीमत लाखों में है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में इस प्रजाति के एक किलो आम की कीमत 2.70 लाख रुपये तक है. कई बार ऑफ सीजन में तो इसकी कीमत 3.50 लाख रुपये प्रति किलो तक भी चली जाती है. यही वजह है कि इस आम को दुनिया का सबसे महंगा आम माना जाता है.जापान में इस आम की सबसे ज्यादा पैदावार अप्रैल और अगस्त के बीच होता है. मियाज़ाकी के आम पूरे जापान में मिलते हैं और इसके उत्पादन की मात्रा ओकिनावा के बाद जापान में दूसरे स्थान पर है. ये आम एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं और इनमें बीटा-कैरोटीन और फोलिक एसिड होता है. , जो उन लोगों के लिए बहुत अच्छा है जिन्हें थकी हुई आंखों की मदद की ज़रूरत होती है, व्यापार संवर्धन केंद्र ने कहा. ये कम होती दृष्टि को रोकने में भी बेहद मददगार हैं.
मियाजाकी के स्थानीय लोगों की मानें तो मियाज़ाकी में इस आम का उत्पादन 70 के दशक के अंत और 80 के दशक की शुरुआत में शुरू हुआ था. उनके अनुसार मियाजाकी के गर्म मौसम, लंबे समय तक धूप और प्रचुर बारिश ने मियाज़ाकी में किसानों के लिए आम की खेती करना संभव बना दिया है. अब यह यहां की प्रमुख उपज है. (रिपोर्ट आलोक कुमार)
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