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This Article is From Jun 10, 2022

अपने सीमावर्ती क्षेत्र के सभी घटनाक्रमों पर सावधानीपूर्वक नजर रखते हैं : विदेश मंत्रालय

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने साप्ताहिक प्रेस वार्ता में बृहस्पतिवार को यह बात कही .

अपने सीमावर्ती क्षेत्र के सभी घटनाक्रमों पर सावधानीपूर्वक नजर रखते हैं : विदेश मंत्रालय
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने साप्ताहिक प्रेस वार्ता में बृहस्पतिवार को यह बात कही
नई दिल्ली:

भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह चीन से उम्मीद करता है कि अगले दौर की सैन्य स्तर की वार्ता में वह पूर्वी लद्दाख से जुड़े मुद्दों का साझा रूप से स्वीकार्य समाधान निकालने के लिये काम करेगा, क्योंकि दोनों पक्षों का मानना है कि मौजूदा स्थिति का लम्बा खिंचना किसी के हित में नहीं है. विदेश मंत्रालय ने कहा कि सरकार पश्चिमी क्षेत्र में चीन द्वारा सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के निर्माण समेत सभी घटनाक्रम पर सावधानीपूर्वक नजर रखती है तथा क्षेत्रीय अखंडता एवं सम्प्रभुता की रक्षा के लिये सभी उपाय करने को प्रतिबद्ध है.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने साप्ताहिक प्रेस वार्ता में बृहस्पतिवार को यह बात कही . उनसे अमेरिकी सेना के प्रशांत क्षेत्र के कमांडिंग जनरल चार्ल्स ए. फ्लिन के बुधवार को दिये गए बयान के बारे में पूछा गया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत से लगती सीमा के निकट चीन द्वारा कुछ रक्षा बुनियादी ढांचे स्थापित किया जाना चिंता की बात है.

बागची ने कहा कि वह जनरल फ्लिन के बयान पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहेंगे . उन्होंने हालांकि कहा, ‘‘ सरकार पश्चिमी क्षेत्र में चीन द्वारा सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के निर्माण समेत सभी घटनाक्रम की सावधानीपूर्वक निगरानी करती है.''

प्रवक्ता ने कहा कि सरकार क्षेत्रीय अखंडता एवं सम्प्रभुता की रक्षा के लिये सभी उपाय करने को प्रतिबद्ध है.

उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने सीमावर्ती क्षेत्रों की आवश्यक्ताओं को पूरा करने तथा आधारभूत ढांचे के विकास के लिये हाल के वर्षो में कई कदम उठाये हैं, जिसमें भारत की सामरिक एवं सुरक्षा जरूरतों को पूरा करना और आर्थिक विकास शामिल है.

गौरतलब है कि फ्लिन ने बुधवार को कहा था कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) का अस्थिर और कटु व्यवहार मददगार नहीं है और भारत से लगती अपनी सीमा के निकट चीन द्वारा स्थापित किए जा रहे कुछ रक्षा बुनियादी ढांचे चिंताजनक हैं.

चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में गतिरोध के संबंध में बागची ने कहा कि राजनयिक एवं सैन्य कमांडर स्तर की कई दौर की वार्ता हो चुकी है. इसके अलावा रक्षा मंत्री, विदेश मंत्री एवं राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के स्तर पर भी बातचीत हुई है.

उन्होंने कहा कि इससे कुछ प्रगति हुई है, क्योंकि पूर्वी लद्दाख में कुछ क्षेत्रों में पीछे हटने के मामले सामने आए हैं. शेष मुद्दों के हल के लिये चीनी पक्ष के साथ बातचीत जारी रहेगी .

उन्होंने कहा कि अगले दौर की सैन्य स्तर की वार्ता में वह पूर्वी लद्दाख से जुड़े मुद्दों का साझा रूप से स्वीकार्य समाधान निकालने के लिये काम करेगा.

बागची ने कहा कि इन वार्ताओं में भारत की यह अपेक्षा है कि चीनी पक्ष, भारतीय पक्ष के साथ शेष मुद्दों के समाधान के लिये सक्रियता से काम करेगा . उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष यह मानते हैं कि मौजूदा स्थिति का लम्बा खिंचना किसी के हित में नहीं है.

उन्होंने कहा कि इस संबंध में हाल ही में यह सहमति बनी है कि दोनों के बीच शीर्ष कमांडर स्तर की वार्ता जल्द ही होगी . हालांकि, उन्होंने इसकी कोई तिथि अभी नहीं बतायी है.

प्रवक्ता ने कहा कि भारत का हमेशा से मानना रहा है कि सामान्य स्थिति बहाली के लिये वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति एवं अमन कायम करना जरूरी है, जो वर्ष 2020 में चीनी कार्रवाई से बाधित हुई .उन्होंने कहा कि भारतीय पक्ष ने चीन के साथ राजनयिक एवं सैन्य स्तर पर संवाद बनाये रखा है.

गौरतलब है कि भारत और चीन के सशस्त्र बलों के बीच पांच मई, 2020 से पूर्वी लद्दाख में सीमा पर तनावपूर्ण संबंध बने हुए हैं, जब पैंगोंग सो क्षेत्र में दोनों पक्षों के बीच हिंसक झड़प हुई थी.

भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख विवाद को सुलझाने के लिए अब तक 15 दौर की सैन्य वार्ता की है. दोनों पक्षों के बीच राजनयिक और सैन्य वार्ता के परिणामस्वरूप पैंगोंग सो के उत्तरी और दक्षिणी तट और गोगरा से सैनिकों को हटा लिया गया था.

पिछले महीने ऐसी खबरें आई थीं कि चीन पूर्वी लद्दाख में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण पैंगोंग झील के आसपास अपने कब्जे वाले क्षेत्र में एक अन्य पुल का निर्माण कर रहा है और वह ऐसा कदम इसलिए उठा रहा है ताकि सेना को इस क्षेत्र में अपने सैनिकों को जल्द जुटाने में मदद मिल सके. चीन का हिंद-प्रशांत क्षेत्र के विभिन्न देशों जैसे वियतनाम और जापान के साथ समुद्री सीमा विवाद है.

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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