नए रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने रेलवे प्रशासन के कामकाज के तौर-तरीके में बड़ा बदलाव करने का फैसला किया है, जिसके तहत पहले अहम फैसले में रेलवे प्रशासन में जवाबदेही और पारदर्शिता के नए मापदंड तय करने के लिए 'मेट्रोमैन' ई श्रीधरन की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गई है।
रेलमंत्री का यह फैसला उनके उस आदेश के बाद आया है, जिसमें उन्होंने रेलवे बोर्ड को साफ शब्दों में बता दिया था कि रेलवे टेंडर और प्रोक्योरमेन्ट से जुड़ी फाइलें उनके पास भेजना अब ज़रूरी नहीं होगा। रेलमंत्री की तरफ से जारी ऑर्डर में कहा गया है कि इस बारे में ज़्यादा अधिकार जनरल मैनेजर रैंक के अधिकारियों को दिए जाने चाहिए।
श्रीधरन से कहा गया है कि वह दो हफ्ते के अंदर अपनी अंतरिम रिपोर्ट रेलमंत्री को सौंपें और फाइनल रिपोर्ट तीन महीने के अंदर तैयार करें। श्रीधरन को यह अधिकार भी दिया गया है कि वह चाहें तो किसी बाहरी संस्था की मदद लेने की सिफारिश भी कर सकते हैं। इस कमेटी से यह भी कह दिया गया है कि वह मौजूदा व्यवस्था में सुधार के लिए ज़रूरी नए नियम और कायदे रेलमंत्री को सुझाएं।
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