मुकेश अग्रवाल पर उसकी एक सहकर्मी ने यौन शोषण के आरोप लगए हैं.
गुवाहाटी:
बॉलीवुड और राजनीति गलियारों तक पहुंचने के बाद अब आईपीएस अधिकारी का नाम भी 'मी टू' (MeToo) अभियान में निशाने पर आया है. असम के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी पर उसकी एक सहकर्मी ने यौन शोषण के आरोप लगए हैं. माजुली (मुख्यालय) पुलिस की अतिरिक्त अधीक्षक लीना डोले ने अतिरिक्त महानिदेशक (कानून और व्यवस्था) मुकेश अग्रवाल पर छह वर्ष पहले उसका यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया. अग्रवाल इस पर प्रतिक्रिया देने के लिए मौजूद नहीं हुए.
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डोले ने एक फेसबुक पोस्ट में लिखा, 'मैं कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की पीड़ित हूं. मार्च 2012 में मेरे एक सीनियर आईपीएस मुकेश अग्रवाल, (जो तब लॉजिस्टिक के आईजीपी थे) ने मेरे अच्छे काम के लिए मुझे छुट्टियों पर ले जाने का प्रस्ताव दिया था.' पुलिस अधिकारी ने कहा कि उन्होंने यह प्रस्ताव ठुकराते हुए डीजीपी को इसकी जानकारी दी थी. उन्होंने कहा कि मैंने मुकेश अग्रवाल के लिए लिखित शिकायत दर्ज कराई थी. डोले के पति ने शिकायत दर्ज कराए जाने के छह महीने बाद खुदकुशी कर ली थी.
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उन्होंने कहा कि इसके बाद तत्कालीन मुख्य सचिव ईमली चौधरी (जांच अधिकारी) मेरे घर आईं और मुझे आश्वासन दिलाया कि मेरे पति ने उस शिकायत की वजह से आत्महत्या नहीं की है. डोले ने लिखा कि तब तक जांच प्रक्रिया शुरू नहीं हुई थी. मेरे मामले को गलतफहमी के तौर पर खारिज कर दिया गया, जबकि आरोपी ने इस तथ्य को स्वीकार किया था. आरोपी ने मेरे पति को बताए बिना मुझे छुट्टियों पर चलने का प्रस्ताव दिया. इसके बाद उसकी (आरोपी की) पत्नी ने उसके पति की छवि धूमिल करने का आरोप लगाते हुए मुझ पर मानहानि का मामला कर दिया.
डोले ने हालांकि बाद में गुवाहाटी उच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दायर की थी और उसे जीत हासिल हुई थी. दो बच्चों की मां डोले ने हालांकि कहा कि उन्हें मामले में किसी भी तरह कोई न्याय नहीं मिला. उन्होंने लिखा, मेरे पति के आत्महत्या करने का दुख...और फिर जांच समिति के मामले को गलतफहमी बताते हुए खारिज कर देना, जबकि आरोपी ने मेरे द्वारा लगाए आरोपों को खुद स्वीकार किया था. पुलिस अधिकारी ने शोक जताया कि उनके इस अनुभव के बाद सरकारी विभाग में से किसी ने अपने अनुभव साझा नहीं किए. मैं एक उदाहरण हूं. हार का...लेकिन फिर भी जो भी इसके (कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के) खिलाफ खड़ी हुईं हैं उनको शक्ति मिले. 'मी टू'...
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उन्होंने कहा कि गुवाहाटी उच्च न्यायालय में उनके खिलाफ चल रहे मामले के लंबित होने के चलते, शिकायतकर्ता पर मानहानि का मामला दर्ज नहीं कराया जा सकता.
(इनपुट: भाषा)
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डोले ने एक फेसबुक पोस्ट में लिखा, 'मैं कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की पीड़ित हूं. मार्च 2012 में मेरे एक सीनियर आईपीएस मुकेश अग्रवाल, (जो तब लॉजिस्टिक के आईजीपी थे) ने मेरे अच्छे काम के लिए मुझे छुट्टियों पर ले जाने का प्रस्ताव दिया था.' पुलिस अधिकारी ने कहा कि उन्होंने यह प्रस्ताव ठुकराते हुए डीजीपी को इसकी जानकारी दी थी. उन्होंने कहा कि मैंने मुकेश अग्रवाल के लिए लिखित शिकायत दर्ज कराई थी. डोले के पति ने शिकायत दर्ज कराए जाने के छह महीने बाद खुदकुशी कर ली थी.
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उन्होंने कहा कि इसके बाद तत्कालीन मुख्य सचिव ईमली चौधरी (जांच अधिकारी) मेरे घर आईं और मुझे आश्वासन दिलाया कि मेरे पति ने उस शिकायत की वजह से आत्महत्या नहीं की है. डोले ने लिखा कि तब तक जांच प्रक्रिया शुरू नहीं हुई थी. मेरे मामले को गलतफहमी के तौर पर खारिज कर दिया गया, जबकि आरोपी ने इस तथ्य को स्वीकार किया था. आरोपी ने मेरे पति को बताए बिना मुझे छुट्टियों पर चलने का प्रस्ताव दिया. इसके बाद उसकी (आरोपी की) पत्नी ने उसके पति की छवि धूमिल करने का आरोप लगाते हुए मुझ पर मानहानि का मामला कर दिया.
लीना डोले ने कहा कि उन्हें अब तक न्याय का इंतजार है.
डोले ने हालांकि बाद में गुवाहाटी उच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दायर की थी और उसे जीत हासिल हुई थी. दो बच्चों की मां डोले ने हालांकि कहा कि उन्हें मामले में किसी भी तरह कोई न्याय नहीं मिला. उन्होंने लिखा, मेरे पति के आत्महत्या करने का दुख...और फिर जांच समिति के मामले को गलतफहमी बताते हुए खारिज कर देना, जबकि आरोपी ने मेरे द्वारा लगाए आरोपों को खुद स्वीकार किया था. पुलिस अधिकारी ने शोक जताया कि उनके इस अनुभव के बाद सरकारी विभाग में से किसी ने अपने अनुभव साझा नहीं किए. मैं एक उदाहरण हूं. हार का...लेकिन फिर भी जो भी इसके (कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के) खिलाफ खड़ी हुईं हैं उनको शक्ति मिले. 'मी टू'...
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उन्होंने कहा कि गुवाहाटी उच्च न्यायालय में उनके खिलाफ चल रहे मामले के लंबित होने के चलते, शिकायतकर्ता पर मानहानि का मामला दर्ज नहीं कराया जा सकता.
(इनपुट: भाषा)
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