जजों की नियुक्ति को लेकर सरकार और न्यायपालिका के बीच बीते दो महीने से चल रही खींचतान के बीच केंद्र ने शनिवार को पांच जजों की नियुक्ति को हरी झंडी दे दी है.
कॉलेजियम के नाम से जाने जाने वाले जजों के पैनल ने, जो सिफारिशें करता है, ने दिसंबर में हाई कोर्ट के तीन मुख्य न्यायाधीशों और दो जजों के नाम सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति के लिए भेजे थे, जिससे शीर्ष अदालत में जजों की कुल संख्या 32 हो जाएगी.
ये हैं पांच न्यायाधीश जिनकी नियुक्ति को केंद्र ने मंजूरी दे दी है:
न्यायमूर्ति पंकज मित्तल : साल 1982 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से ग्रेजुएट और मेरठ कॉलेज से एलएलबी पास करने के बाद, न्यायमूर्ति पंकज मिथल ने 1985 से इलाहाबाद उच्च न्यायालय में प्रक्टिस किया है. जनवरी 2021 में, उन्हें जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में प्रमोट किया गया था.
न्यायमूर्ति संजय करोल : उन्हें 11 नवंबर, 2019 को पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था. इससे पहले, उन्होंने त्रिपुरा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में काम किया था. न्यायमूर्ति करोल ने त्रिपुरा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के संरक्षक-इन-चीफ के साथ-साथ त्रिपुरा न्यायिक अकादमी के अध्यक्ष के रूप में काम किया है. उनका जन्म 23 अगस्त 1961 को शिमला में हुआ था.
न्यायमूर्ति पीवी संजय कुमार : उन्होंने 2021 में मणिपुर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली और इससे पहले पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश थे. उनका जन्म 14 अगस्त, 1963 को पी. रामचंद्र रेड्डी के घर हुआ था, जो आंध्र प्रदेश के पूर्व महाधिवक्ता (1969 से 1982) थे.
न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह : इनका जन्म 11 मई, 1963 को हुआ था और 27 सितंबर, 1991 को बिहार स्टेट बार काउंसिल में उनका नामांकन हुआ था. उन्हें 20 जून, 2011 को पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया और फिर 10 अक्टूबर, 2021 को आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया. उन्हें पिछले साल 20 जून को पटना उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया.
न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा : इन्होंने साल 1988 में अलाहाबाद यूनिवर्सिटी से लॉ में स्नातक किया औक 12 दिसंबर, 1988 में बतौर वकील पंजीकृत हुए. इलाहाबाद उच्च न्यायालय में सिविल, राजस्व, आपराधिक और संवैधानिक पक्षों में अभ्यास करने के बाद, उन्हें 21 नवंबर, 2011 को अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया. उन्होंने 06 अगस्त, 2013 को स्थायी न्यायाधीश के रूप में शपथ ली.
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