बसपा प्रमुख मायावती (फाइल फोटो )
लखनऊ:
बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) सुप्रीमो मायावती ने यूपी के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की 'विकास रथ यात्रा' को 'दिवालिया रथयात्रा' करार दिया है. उन्होंने कहा कि करोड़ों रुपये की लागत से तैयार 'लक्जरी रथ' सपा सरकार के मुखिया की यात्रा के प्रारम्भ में ही दिवाला निकाल गया. यही नहीं, रथयात्रा के साथ चलने वालों ने जमकर हुड़दंग किया और पुलिस को केवल तमाशबीन बने रहने को मजबूर होना पड़ा.
मायावती ने कहा, 'विकास रथयात्रा’के शुभारंभ के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में सपा परिवार व सपा सरकार की मौजूदगी में समर्थक आपस में भिड़ गए. इसने प्रदेश में अराजकता की स्थिति की पोल खोल दी है. उन्होंने कहा कि सपा सरकार ने अगर जनहित व जनकल्याण के वास्तविक काम किए होते तो फिर उसे भारी सरकारी शान-शौकत के साथ यह 'विकास रथयात्रा' निकालने की जरूरत नहीं पड़ती.
बसपा प्रमुख ने आरोप लगाया कि सपा शासनकाल में यूपी में केवल जातिवाद, द्वेष, भ्रष्टाचार एवं जंगलराज का बोलबाला रहा है और इसके लिए कई बार विभिन्न अदालतों से राज्य सरकार को फटकार मिलती रही है. राज्य में डेंगू जैसी घातक बीमारी ने इस तरह महामारी का रूप धारण कर लिया कि हाईकोर्ट को इसमें दखल देना पड़ा.
उन्होंने कहा कि जिस सपा सरकार पर प्रदेश की करीब 22 करोड़ जनता का ख़्याल रखने की संवैधानिक जिम्मेदारी है, वह सिर्फ कुछ जिलों और मंडल के स्तर पर इक्का-दुक्का विकास की बात कर लोगों का वोट हासिल करना चाहती है. यह प्रदेश की जनता के साथ अन्याय नहीं तो और क्या है? मायावती ने आरोप लगाया कि बीजेपी से भी सपा की मिलीभगत है, इसी कारण सपा सरकार के मुखिया, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार के खिलाफ इशारों-इशारों में बात करते हैं और खुलकर आलोचना करने से हिचकते हैं.
मायावती ने कहा, 'विकास रथयात्रा’के शुभारंभ के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में सपा परिवार व सपा सरकार की मौजूदगी में समर्थक आपस में भिड़ गए. इसने प्रदेश में अराजकता की स्थिति की पोल खोल दी है. उन्होंने कहा कि सपा सरकार ने अगर जनहित व जनकल्याण के वास्तविक काम किए होते तो फिर उसे भारी सरकारी शान-शौकत के साथ यह 'विकास रथयात्रा' निकालने की जरूरत नहीं पड़ती.
बसपा प्रमुख ने आरोप लगाया कि सपा शासनकाल में यूपी में केवल जातिवाद, द्वेष, भ्रष्टाचार एवं जंगलराज का बोलबाला रहा है और इसके लिए कई बार विभिन्न अदालतों से राज्य सरकार को फटकार मिलती रही है. राज्य में डेंगू जैसी घातक बीमारी ने इस तरह महामारी का रूप धारण कर लिया कि हाईकोर्ट को इसमें दखल देना पड़ा.
उन्होंने कहा कि जिस सपा सरकार पर प्रदेश की करीब 22 करोड़ जनता का ख़्याल रखने की संवैधानिक जिम्मेदारी है, वह सिर्फ कुछ जिलों और मंडल के स्तर पर इक्का-दुक्का विकास की बात कर लोगों का वोट हासिल करना चाहती है. यह प्रदेश की जनता के साथ अन्याय नहीं तो और क्या है? मायावती ने आरोप लगाया कि बीजेपी से भी सपा की मिलीभगत है, इसी कारण सपा सरकार के मुखिया, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार के खिलाफ इशारों-इशारों में बात करते हैं और खुलकर आलोचना करने से हिचकते हैं.
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