विज्ञापन

कौन है बंगाल का मतुआ समुदाय? जिसने बिगाड़ा BJP का 'खेला', चल गई ममता की 'चाल'

बंगाल में लोकसभा की 11 ऐसी सीटें हैं जहां मतुआ समुदाय निर्णायक वोटर रहे हैं. इस चुनाव में मतुआ बहुल 6 सीटों पर टीएमसी को जीत मिली है.

कौन है बंगाल का मतुआ समुदाय? जिसने बिगाड़ा BJP का 'खेला', चल गई ममता की 'चाल'
नई दिल्ली:

बंगाल में विधानसभा या लोकसभा के लिए जब-जब चुनाव होते हैं तो एक समुदाय जिसकी सबसे अधिक चर्चा होती है वो है मतुआ समुदाय है. मतुआ समुदाय अनुसूचित जाति (SC) के अंतर्गत आती हैं. मतुआ नामशूद्र या निचली जाति के हिंदू शरणार्थी हैं. जो भारत और बांग्लादेश (पूर्वी पाकिस्तान) के विभाजन और बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान पश्चिम बंगाल में आ गए थे. इस समुदाय का बंगाल के कई जिलों पर प्रभाव रहा है. बांग्लादेश (Bangladesh) से सटे जिले मालदा, नादिया, हावड़ा, कूच बिहार, उत्तर दिनजापुर और दक्षिण दिनजापुर पर प्रभाव रहा है. बंगाल में एससी समुदाय की लगभग 18 प्रतिशत आबादी इसी समुदाय से आते हैं. कई आंकड़ों में इस समुदाय की आबादी बंगाल में ढाई करोड़ तक बतायी जाती है. 

बंगाल की 11 लोकसभा सीटों पर इस समुदाय का प्रभाव

बंगाल में लोकसभा की 11 ऐसी सीटें हैं जहां मतुआ समुदाय निर्णायक वोटर रहे हैं. कृष्णानगर, कूच बिहार, जॉयनगर, बर्धमान पूर्वी, बर्धमान पश्चिमी, मालदा दक्षिणी,  मालदा उत्तरी, सिलीगुड़ी, रानाघाट,रायगंज, बारासात  में इस समुदाय का दबदबा रहा है. इस चुनाव में इन 11 में से 6 सीटों पर टीएमसी, 1 पर कांग्रेस और 4 सीटों पर बीजेपी को जीत मिली है. भारतीय जनता पार्टी की तरफ से सीएए लागू होने की बात कही गयी थी और उम्मीद थी कि इन सीटों पर बीजेपी को अच्छी सफलता मिलेगी. 
Latest and Breaking News on NDTV

सीएए का समर्थक रहा है मतुआ समुदाय
केंद्र सरकार की तरफ से लाए गए नए नागरिकता कानून को लेकर सबसे अधिक खुश बंगाल का यही समुदाय रहा है. इस समुदाय की तरफ से इसकी खुशी भी मनायी गयी थी. इस समुदाय का मानना रहा था कि सीएए लागू होने के बाद उन्हें भारत की स्थायी नागरिकता मिल जाएगी. सीएए के बाद उनके पास वो सभी अधिकार हो जाएंगे जो भारतीय नागरिकों के पास होते हैं. 

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी मतुआ समुदाय की नागरिकता को लेकर चिंताओं को दूर करने का प्रयास किया था उन्होंने आश्वासन दिया था कि समुदाय के सदस्यों को नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के तहत नागरिकता मिलेगी. शाह ने इसके साथ ही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर इसके बारे में अफवाह फैलाने का आरोप भी लगाया था. शाह ने मतुआ समुदाय के गढ़ बनगांव में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा, ''ममता बनर्जी बंगाल में नागरिकता संशोधन कानून के क्रियान्वयन को कभी नहीं रोक सकतीं क्योंकि यह केंद्र सरकार का कानून है. ''

ममता बनर्जी ने मतुआ समुदाय को कैसे साधा? 
साल 1977 के चुनाव से माकपा को इस समुदाय का वोट मिलता रहा था. बंगाल में टीएमसी की मबजूती के बाद यह समुदाय ममता बनर्जी के साथ हो गया. बीजेपी की तरफ से सीएए लाकर इस समुदाय को अपनी तरफ लाने की कोशिश हुई हालांकि इस लोकसभा चुनाव के परिणाम ने बीजेपी को बहुत अधिक उत्साहित नहीं किया है. मतुआ समुदाय को लेकर ममता बनर्जी ने कहा था कि उन्हें अपनी नागरिकता साबित करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि वे कानूनी मतदाता हैं और उनके पास आधार कार्ड भी है.

Latest and Breaking News on NDTV

सीएए को लेकर कन्फ्यूज रहे मतुआ समुदाय के मतदाता
 

मतुआ समुदाय का कुछ हिस्सा सीएए को लेकर उत्साहित रहा लेकिन कुछ इसे लेकर परेशान भी दिखा. नागरिकता को लेकर कन्फ्यूजन की स्थिति का असर बनगांव और राणाघाट समेत पांच लोकसभा सीटों पर देखने को मिले और इसका लाभ टीएमसी को हुआ.  टीएमसी की तरफ से कहा गया कि मतुआ समुदाय के लोग अगर सीएए के तहत नागरिकता का आवेदन करते हैं, तो उन पर विदेशी होने का ठप्पा लग जाएगा. इसके बाद उन्हें सरकारी सुविधाओं का लाभ भी नहीं मिलेगा.

बीजेपी से क्या नाराज है मतुआ समुदाय?
बंगाल में मतुआ समुदाय के वोट बैंक को मजबूत बनाने के लिए बीजेपी की तरफ से तमाम प्रयास किए गए. अपने बांग्लादेश दौरे के दौरान पीएम मोदी इस समुदाय के मंदिर में भी पहुंचे थे. हालांकि हाल के दिनों में बंगाल बीजेपी में पद को लेकर इस समुदाय के कुछ नेताओं में नाराजगी देखने को मिली थी. साथ ही सीएए को लेकर भी इस समुदाय के लोगों में कन्फ्यूजन रहा है.

Latest and Breaking News on NDTV

2 गुट में बंटा हुआ है मतुआ समुदाय
मतुआ समुदाय की प्रमुख वीणापाणि देवी के 2019 में निधन के बाद. उनके  परिवार में दरार दिखने लगी थी. उनकी मृत्यु के बाद परिवार के अंदर की दरार सामने दिखने लगी. परिवार दो खेमों में बंटा हुआ है. एक में भाजपा से बनगांव के निवर्तमान सांसद व केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर हैं, जबकि दूसरे का नेतृत्व उनकी चाची तृणमूल नेता व राज्यसभा सांसद ममता बाला ठाकुर कर रही हैं. मटुआ वोट बैंक के ट्रांसफर में भी इस विवाद का योगदान दिखता रहा है. 

हरिचंद्र ठाकुर को देवता मानते हैं मतुआ समुदाय के लोग 
मतुआ समुदाय के लोग हरिचंद ठाकुर को अपना देवता मानते हैं. हरिचंद ठाकुर के बारे में ही ये माना जाता है उन्होंने मतुआ समुदाय की नींव रखी थी. मतुआ समुदाय के लोग ओराकांडी में हरिचंद ठाकुर और गुरुचंद ठाकुर के निवास और आसपास के क्षेत्र को पवित्र स्थल के तौर पर मानते हैं. मतुआ समुदाय और उनके नेता आज़ादी के बाद से राजनीति में लगातार सक्रिय रहे हैं. भारत और बाग्लादेश दोनों ही जगह इनकी मजबूत पकड़ रही है. 

ये भी पढ़ें-: 

  1. खिलखिलाकर हंस पड़े मोदी, नीतीश-नायडू भी खुद को न रोक पाए, NDA की बैठक में ऐसा हुआ क्या?
  2. अहंकार की राजनीति के खिलाफ है ये जनादेश... सचिन पायलट ने बताया चुनाव में कैसे मजबूत हुए कांग्रेस के हाथ?

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Previous Article
MUDA जमीन घोटाला: थम नहीं रहीं सिद्धारमैया की मुश्किलें, पहले FIR के आदेश, अब CBI जांच की मांग
कौन है बंगाल का मतुआ समुदाय? जिसने बिगाड़ा BJP का 'खेला', चल गई ममता की 'चाल'
Jammu Kashmir Election: जम्मू कश्मीर में दूसरे चरण का मतदान आज, कई इलाके अलगाववाद प्रभावित
Next Article
Jammu Kashmir Election: जम्मू कश्मीर में दूसरे चरण का मतदान आज, कई इलाके अलगाववाद प्रभावित
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com