
- सुप्रीम कोर्ट ने एक महिला की पांच करोड़ रुपये गुजारा भत्ते की मांग पर कड़ी आपत्ति जताई और अनुचित बताया.
- महिला ने मात्र एक वर्ष दो महीने की शादी तोड़ने के लिए पांच करोड़ रुपये की मांग की थी.
- पति ने समझौते के लिए 35 लाख रुपये की पेशकश की थी, जिसे महिला ने अस्वीकार कर दिया था.
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में हाल ही में एक ऐसा केस सामने आया, जिसमें महज एक साल दो महीने की शादी तोड़ने के लिए महिला ने पांच करोड़ रुपये का गुजारा भत्ता देने की मांग की गई. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान महिला के इस आचरण पर कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि अगर वह 5 करोड़ रुपये के गुजारा भत्ते की मांग पर अड़ी रही तो उसे "बहुत कठोर आदेश" दिया जाएगा. पीठ ने ये भी कहा कि महिला के सपने बहुत बड़े हैं. शीर्ष अदालत ने दोनों पक्षों को 5 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट के मध्यस्थता केंद्र के समक्ष उपस्थित होने को कहा है. मध्यस्थता रिपोर्ट प्रस्तुत होने के बाद मामले पर फिर से सुनवाई की जाएगी.
5 करोड़ रुपये की मांग को अनुचित बताया
जस्टिस जेबी पारदीवाला की अध्यक्षता वाली पीठ ने 5 करोड़ रुपये की मांग को अनुचित बताया और कहा कि ऐसा रुख प्रतिकूल आदेशों को आमंत्रित कर सकता है. दरअसल, अमेजन में इंजीनियर पति ने समझौते के लिए 35 लाख रुपये की पेशकश की थी, लेकिन पत्नी ने शादी खत्म करने के लिए 5 करोड़ रुपये की मांग की हालांकि, महिला के वकील ने पति की ओर से पेश वकील सैंयद कामरान अली वकील के दावों का खंडन किया और कहा कि मध्यस्थता केंद्र में मांगी गई राशि 5 करोड़ रुपये से कम कर दी गई थी.
उसे वापस बुलाकर आप बहुत बड़ी भूल करेंगे
जस्टिस पारदीवाला ने पति के वकील को संबोधित करते हुए कहा कि उसे वापस बुलाकर आप बहुत बड़ी भूल करेंगे. आप उसे अपने पास नहीं रख पाएंगे, उसके सपने बहुत बड़े हैं. ये टिप्पणियां पिछले सप्ताह गुरुवार को उस समय की गईं जब अदालत विवाह भंग करने के एक मामले की सुनवाई कर रही थी. पीठ ने अंततः अलग हुए जोड़े को आगे की समझौता वार्ता के लिए सुप्रीम कोर्ट के मध्यस्थता केंद्र में लौटने का निर्देश दिया और चेतावनी दी कि पत्नी 5 करोड़ रुपये के गुजारा भत्ते की मांग जारी ना रखे.
अनुचित मांग पर कुछ ऐसे आदेश पारित करने पड़ सकते हैं, जो उन्हें पसंद नहीं आएंगे
पीठ ने कहा कि हमें सूचित किया गया है कि पत्नी ने विवाह भंग के लिए 5 करोड़ रुपये की राशि की मांग की है. दोनों पक्षों के बीच वैवाहिक जीवन लगभग एक वर्ष का है. अगर पत्नी का रुख ऐसा ही रहा तो हमें कुछ ऐसे आदेश पारित करने पड़ सकते हैं, जो उन्हें पसंद नहीं आ सकते. हम उम्मीद करते हैं कि पत्नी उचित मांग रखेंगी और इस मुकदमे को समाप्त करेंगी.
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