
- कुकी-जो परिषद ने राष्ट्रीय राजमार्ग-02 पर मुक्त आवाजाही के लिए खोलने का निर्णय लिया है.
- गृह मंत्रालय, मणिपुर सरकार, कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन और यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट के बीच त्रिपक्षीय समझौता हुआ है.
- समझौते में मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता और स्थायी शांति के लिए समाधान की आवश्यकता को दोहराया गया है.
पीएम मोदी के मणिपुर दौरे के हलचल के बीच दो बड़े डेवलपमेंट हुए हैं. कुकी और ज़ोमी जनजातियां का नेतृत्व करने वाले संगठन कुकी-जो परिषद (KZC) ने यात्रियों और आवश्यक वस्तुओं की मुक्त आवाजाही के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग-02 खोलने का फैसला किया है. यह निर्णय गृह मंत्रालय के अधिकारियों और KZC के प्रतिनिधिमंडल के बीच पिछले कुछ दिनों में नई दिल्ली में हुई कई बैठकों के बाद लिया गया. KZC ने भारत सरकार द्वारा NH-02 पर शांति बनाए रखने और वहां तैनात सुरक्षा बलों के साथ सहयोग करने की प्रतिबद्धता जताई.
इन मुद्दों पर बनी सहमति
इसके साथ ही, आज नई दिल्ली में गृह मंत्रालय, मणिपुर सरकार, और कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन (KNO) तथा यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट (UPF) के प्रतिनिधियों के बीच एक त्रिपक्षीय बैठक भी आयोजित हुई. बैठक का समापन एक त्रिपक्षीय सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन्स (Suspension of Operations) समझौते पर हस्ताक्षर के साथ हुआ, जिसमें दोबारा बातचीत के आधार पर नियम और शर्तें (ग्राउन्ड रुल्स) शामिल हैं, जो समझौते पर हस्ताक्षर की तारीख से एक वर्ष की अवधि के लिए प्रभावी होंगी. अन्य प्रावधानों के साथ, संशोधित ग्राउन्ड रुल्स में निम्नलिखित को दोहराया गया:
- मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता.
- मणिपुर राज्य में स्थायी शांति और स्थिरता लाने के लिए बातचीत आधारित समाधान की आवश्यकता.
KNO और UPF ने भी निम्नलिखित पर सहमति जताई है:
- सात निर्दिष्ट शिविरों को संघर्ष की आशंका वाले क्षेत्रों से दूर स्थानांतरित करना.
- निर्दिष्ट शिविरों की संख्या को कम करना.
- हथियारों को निकटतम CRPF/BSF शिविरों में स्थानांतरित करना.
- सुरक्षा बलों द्वारा कैडरों की कठोर शारीरिक सत्यापन प्रक्रिया, ताकि विदेशी नागरिकों को, यदि कोई हों, सूची से हटाया जाए.
संयुक्त निगरानी समूह अब से ग्राउन्ड रुल्स के प्रवर्तन की बारीकी से निगरानी करेगा, और भविष्य में उल्लंघनों से सख्ती से निपटा जाएगा, जिसमें SoO समझौते की समीक्षा भी शामिल है. एसओओ समझौते पर पहली बार औपचारिक रूप से 2008 में हस्ताक्षर किए गए थे. हर साल एक संयुक्त निगरानी समूह इस समझौते की समीक्षा करता है और इसके भविष्य का फैसला करता है. मोटे तौर पर, एसओओ समझौते में कहा गया है कि विद्रोहियों को निर्दिष्ट शिविरों में रहना होगा और उनके हथियारों को बंद गोदामों में रखना होगा, जिनकी नियमित निगरानी की जाएगी.
दो दर्जन विद्रोही समूह दो प्रमुख समूहों - कुकी नेशनल ऑर्गनाइजेशन (KNO) और यूनाइटेड पीपुल्स फ्रंट (UPF) के अंतर्गत आते हैं. इन दोनों ने, जो अन्य समूहों का प्रतिनिधित्व करते हैं, एसओओ समझौते पर हस्ताक्षर किए.
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