कर्नल पुरोहित की जमानत मंजूर
नई दिल्ली:
मालेगांव ब्लास्ट के मामले में 9 साल से जेल में बंद कर्नल पुरोहित को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है. न्यायमूर्ति आरके अग्रवाल और न्यायमूर्ति एएम सप्रे की पीठ ने बंबई हाईकोर्ट के फैसले को दरकिनार करते हुए यह फैसला सुनाया. हाईकोर्ट ने पुरोहित को जमानत देने से इनकार कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसने पुरोहित को कुछ शर्तों के साथ जमानत दी है. पुरोहित ने 17 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि वह ‘राजनीतिक खेल’ में फंस गए हैं.
मालेगांव ब्लास्ट मामला : NIA ने कर्नल श्रीकांत पुरोहित की जमानत का विरोध किया
कर्नल पुरोहित के वकील हरीश साल्वे ने कोर्ट से कहा कि न्याय के हित में पुरोहित को जमानत मिलनी चाहिए. कर्नल पुरोहित का बम धमाके से कोई लिंक नहीं मिला है और अगर धमाके के आरोप हट जाते हैं तो अधिकतम सजा सात साल हो सकती है जबकि वह 9 साल से जेल में हैं. पुरोहित की ओर से यह भी माना गया कि वह अभिनव भारत संगठन की मीटिंग में गए थे, लेकिन वह सेना की जासूसी के लिए वहां गए थे. पुरोहित ने सुप्रीम कोर्ट में यह भी कहा कि उन्हें राजनीतिक क्रॉसफायर का शिकार बनाया गया है और ATS ने गलत तरीके से फंसाया है. गिरफ्तार होते ही सेना की ओर से पुरोहित के खिलाफ कोर्ट ऑफ इन्क्वॉयरी के आदेश दे दिए गए और इसके बाद उन्हें सेना से हटा दिया गया था.
कर्नल पुरोहित महाराष्ट्र के ब्राह्मण परिवार से हैं. उनके पिता एक बैंक अधिकारी रहे हैं. पुणे में जन्मे पुरोहित की स्कूली शिक्षा अभिनव विद्यालय में हुई. 1994 में पुरोहित को चेन्नई स्थित ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी से पासआउट होने के बाद मराठा लाइट इनफेंट्री में कमीशन मिला. इसके बाद वह जम्मू-कश्मीर गए और यहां पर बीमार पड़ने के बाद उन्हें मेडिकल लेवल पर डाउनग्रेड कर दिया गया. इसके बाद उन्हें यहां से मिलिट्री इंटेलीजेंस में शिफ्ट कर दिया गया.
जब पुरोहित को नासिक के देओलाली में लाइजन यूनिट ऑफिसर के तौर पर भेजा गया और इसी समय वह एक रिटायर्ड मेजर रमेश उपाध्याय के संपर्क में आए थे और रमेश उपाध्याय भी इस ब्लास्ट के आरोपी हैं और जेल में बंद हैं. पुरोहित पर सेना से 60 किलो RDX चुराने का आरोप लगा और कहा गया कि इसमें से कुछ का इस्तेमाल उन्होंने मालेगांव ब्लास्ट में भी किया.
गौरतलब है कि 2008 में हुए मालेगांव धमाके में 6 लोगों की मौत हो गई थी और तकरीबन 100 लोग जख्मी हो गए थे. 29 सितंबर 2008 को मालेगांव में एक बाइक में बम लगाकर विस्फोट किया गया था. साध्वी प्रज्ञा पर भोपाल, फरीदाबाद की बैठक में धमाके की साजिश रचने के आरोप लगे थे. साध्वी और पुरोहित को 2008 में गिरफ्तार किया था.
मालेगांव ब्लास्ट मामला : NIA ने कर्नल श्रीकांत पुरोहित की जमानत का विरोध किया
कर्नल पुरोहित के वकील हरीश साल्वे ने कोर्ट से कहा कि न्याय के हित में पुरोहित को जमानत मिलनी चाहिए. कर्नल पुरोहित का बम धमाके से कोई लिंक नहीं मिला है और अगर धमाके के आरोप हट जाते हैं तो अधिकतम सजा सात साल हो सकती है जबकि वह 9 साल से जेल में हैं. पुरोहित की ओर से यह भी माना गया कि वह अभिनव भारत संगठन की मीटिंग में गए थे, लेकिन वह सेना की जासूसी के लिए वहां गए थे. पुरोहित ने सुप्रीम कोर्ट में यह भी कहा कि उन्हें राजनीतिक क्रॉसफायर का शिकार बनाया गया है और ATS ने गलत तरीके से फंसाया है. गिरफ्तार होते ही सेना की ओर से पुरोहित के खिलाफ कोर्ट ऑफ इन्क्वॉयरी के आदेश दे दिए गए और इसके बाद उन्हें सेना से हटा दिया गया था.
कर्नल पुरोहित महाराष्ट्र के ब्राह्मण परिवार से हैं. उनके पिता एक बैंक अधिकारी रहे हैं. पुणे में जन्मे पुरोहित की स्कूली शिक्षा अभिनव विद्यालय में हुई. 1994 में पुरोहित को चेन्नई स्थित ऑफिसर्स ट्रेनिंग एकेडमी से पासआउट होने के बाद मराठा लाइट इनफेंट्री में कमीशन मिला. इसके बाद वह जम्मू-कश्मीर गए और यहां पर बीमार पड़ने के बाद उन्हें मेडिकल लेवल पर डाउनग्रेड कर दिया गया. इसके बाद उन्हें यहां से मिलिट्री इंटेलीजेंस में शिफ्ट कर दिया गया.
जब पुरोहित को नासिक के देओलाली में लाइजन यूनिट ऑफिसर के तौर पर भेजा गया और इसी समय वह एक रिटायर्ड मेजर रमेश उपाध्याय के संपर्क में आए थे और रमेश उपाध्याय भी इस ब्लास्ट के आरोपी हैं और जेल में बंद हैं. पुरोहित पर सेना से 60 किलो RDX चुराने का आरोप लगा और कहा गया कि इसमें से कुछ का इस्तेमाल उन्होंने मालेगांव ब्लास्ट में भी किया.
गौरतलब है कि 2008 में हुए मालेगांव धमाके में 6 लोगों की मौत हो गई थी और तकरीबन 100 लोग जख्मी हो गए थे. 29 सितंबर 2008 को मालेगांव में एक बाइक में बम लगाकर विस्फोट किया गया था. साध्वी प्रज्ञा पर भोपाल, फरीदाबाद की बैठक में धमाके की साजिश रचने के आरोप लगे थे. साध्वी और पुरोहित को 2008 में गिरफ्तार किया था.
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