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This Article is From Jun 08, 2016

मालेगांव 2008 बम धमाका : एनआईए की चार्जशीट ख़ारिज करने की मांग

मालेगांव 2008 बम धमाका : एनआईए की चार्जशीट ख़ारिज करने की मांग
प्रज्ञा ठाकुर की फाइल फोटो
मुंबई: मालेगांव बम धमाके में एनआईए की सप्लीमेंट्री चार्जशीट के विरोध का सिलसिला थम नहीं रहा। बुधवार को धमाके के एक पीड़ित निसार अहमद बिलाल ने तो दखल याचिका दायर कर एनआईए की सप्लीमेंट्री चार्जशीट को ही ख़ारिज करने की मांग की है। इसके अलावा मामले में कोई भी फैसला लेने से पहले एटीएस को सुनने की गुहार लगाई गई है। मामले की सुनवाई अब 10 जून को होगी।

29 सितंबर 2008 को मालेगांव में हुए बम धमाके में 6 लोगों की मौत हुई थी और 101 लोग जख्मी हुए थे। तब महाराष्ट्र एटीएस ने धमाके के लिये इस्तेमाल मोटरसाइकिल के जरिये साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को गिरफ्तार किया। उसके बाद कर्नल पुरोहित और रिटायर मेजर रमेश उपाध्याय जैसे लोगों की गिरफ्तारी हुई। एटीएस ने मामले में कई गवाहों के बयान दर्ज कर दावा किया कि साध्वी भी धमाके की साजिश में शामिल थी।

साल 2011 में जांच एनआईए को सौंप दी गई। 5 साल बाद 13 मई 2016 को एनआईए ने सप्लीमेंट्री चार्जशीट फाइल कर दावा किया है कि धमाके में इस्तेमाल मोटरसाइकिल भले साध्वी के नाम पर थी लेकिन 2 साल पहले से उसका इस्तेमाल और रखरखाव रामजी कलसांगरा कर रहा था और साजिश में शामिल होने का दावा करने वाले गवाह मजिस्ट्रेट के सामने अपने ताज़ा बयान में मुकर चुके हैं। इसलिए साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्‍त सबूत नहीं है।

यानी एक तरह से एनआईए ने साध्वी को क्लीन चिट दे दी है। एनआईए ने साध्वी के साथ ही पांच और आरोपियों को भी क्लीन चिट दी है। एनआईए ने मामले पर मकोका लगाने के लिये एटीएस पर फर्जीवाड़ा करने का आरोप भी लगाया है।

इसके पहले 4 बार जमानत पाने में असफल रही साध्वी ने क्लीन चिट के आधार पर जमानत अर्जी दी। लेकिन उसके विरोध में तो दखल अर्जियां दाखिल हुई ही, एनआईए की सप्लीमेंट्री चार्जशीट के खिलाफ भी दखल याचिका दायर हुई हैं।

मालेगांव 2006 बम धमाकों में मुस्लिम आरोपियों को क़ानूनी मदद देने वाली जमियत ए उलेमा की लीगल टीम ने बुधवार को अदालत में 2 अर्जियां दायर कर एनआईए की सप्लीमेंट्री चार्जशीट को ही ख़ारिज करने की मांग की है। अर्जी में कहा गया है कि केंद्र में सरकार बदलने के बाद एनआईए का रवैया बदल गया है। साल 2014 तक साध्वी की जमानत अर्जी का विरोध करने वाली एनआईए अब उसे अचानक से कैसे क्लीनचिट दे रही है?

याचिका में साफ लिखा गया है कि एनआईए केंद्र की बीजेपी सरकार के इशारे पर काम कर रही है। अर्जी में आरोप लगाया है कि एनआईए द्वारा दायर चार्जशीट से लगता है कि आरोपियों को बचाने के लिए और जेल से बाहर निकालने के लिए अपने राजनैतिक आकाओं की इच्छा पर ऐसा किया गया है।

याचिका में एनआईए की पूर्व वकील रोहिणी सालियन के उस आरोप का भी उल्लेख किया गया है जिसमें उन्होंने कहा था कि एनआईए उन्हें आरोपियों के प्रति नरम रवैया अपनाने के लिए कह रही है।

खास बात यह है कि अर्जी में एनआईए की सप्लीमेंट्री चार्जशीट को ख़ारिज कर एटीएस की चार्जशीट के आधार पर ही मुकदमा चलाने का आग्रह किया गया है। जबकि यही एटीएस मालेगांव 2006 बम धमाकों में फर्जी युवकों को फ़ंसाने के लिए बदनाम हो चुकी है।

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