महाराष्ट्र के महिला एवं बाल विकास मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा ने विधवाओं को सम्मान देने के वास्ते उनके लिए 'गंगा भागीरथी' शब्द का इस्तेमाल करने का प्रस्ताव दिया है. लोढा ने इस संबंध में बुधवार को अपने विभाग के प्रधान सचिव को पत्र लिखा था. उनका यह पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है.
कांग्रेस ने लोढा के इस प्रस्ताव को लेकर उनकी आलोचना की और उनसे माफी मांगने को कहा. कुछ सामाजिक और महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने इस प्रस्ताव की आलोचना करते हुए कहा कि ऐसे ‘अनुचित फैसलों' के बजाय महिलाओं के लिए समान अधिकार और सामाजिक सुरक्षा के उपायों पर जोर दिया जाना चाहिए.
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता लोढा ने पत्र में लिखा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्तियों के लिए ‘दिव्यांग' शब्द का इस्तेमाल करने का सुझाव दिया गया था और इससे दिव्यांग लोगों के प्रति समाज का नजरिया काफी बदला है. इसी तरह विधवाओं के लिए भी 'गंगा भागीरथी' शब्द के इस्तेमाल के वास्ते एक विस्तृत प्रस्ताव तैयार किया जाना चाहिए.''
मंत्री ने बाद में वीडियो के जरिए एक बयान में कहा, ‘‘यह प्रस्ताव केवल विचाराधीन है और इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं की गई है. मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि जब तक प्रस्ताव प्रस्तुत नहीं किया जाता है और विभाग में ठीक से चर्चा नहीं की जाती है, तब तक कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी. ''
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की लोकसभा सदस्य सुप्रिया सुले ने इस फैसले को पीड़ादायक बताते हुए कहा कि इसे तत्काल रद्द किया जाना चाहिए. सुप्रिया सुले ने कहा, ‘‘ राजमाता जीजाबाई, अहिल्याबाई होल्कर, सावित्रीबाई फुले जैसी मेधावी महिलाओं ने समाज में बहुत योगदान दिया. ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर निर्णय लेते समय सरकार को विधवाओं के कल्याण के लिए काम करने वाले गैर-सरकारी संगठनों, व्यक्तियों और संगठनों से परामर्श करना चाहिए था.''
कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई ने इस प्रस्ताव की निंदा करते हुए कहा कि इसने भाजपा की ‘मनुवादी' विचारधारा का खुलासा किया है और यह विधवाओं को नीचा दिखाने का भाजपा का प्रयास है. कांग्रेस के प्रवक्ता अतुल लोंधे ने कहा कि मंगल प्रभात लोढा प्रगतिशील महाराष्ट्र पर एक ‘कलंक' हैं और उन्हें महिलाओं से माफी मांगनी चाहिए.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रत्नाकर महाजन ने कहा कि राज्य के कुछ हिस्सों में विधवाओं को संदर्भित करने के लिए ‘गंगा भागीरथी' का उपयोग किया जाता है क्योंकि उन्हें 'सौभाग्यवती' कहकर संबोधित नहीं किया जा सकता.
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