सुधीर मुनगंटीवार की फाइल तस्वीर
ऑनलाइन शॉपिंग के बढ़ते दायरे से महाराष्ट्र की सरकार डर गई है। राज्य सरकार ने वित्त विभाग के अधिकारीयों को इस बात के जांच के आदेश दिए हैं कि वह ऑनलाइन शॉपिंग से राजस्व को होनेवाले घाटे की जांच कर रिपोर्ट पेश करें। किसी भी दुकान के अलावा केवल सीधे वेबसाइट के जरिये जरूरी माल खरीदने को ऑनलाइन शॉपिंग कहा जाता है।
आसोचैम के मुताबिक 2014 में 4 करोड़ ग्राहकों ने भारत में ऑनलाइन शॉपिंग की। जिससे इस इंडस्ट्री का कारोबार 17 बिलियन डालर तक बढ चुका है और सालाना उस में 35 फीसदी की बढ़ोतरी हो रही है।
दरअसल, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सहयोगी संस्था स्वदेशी जागरण मंच ने ऑनलाइन शॉपिंग के खिलाफ़ सबसे पहले आपत्ति उठाई है। ऑनलाइन शॉपिंग साइट्स पर पाबंदी लाने की मांग को लेकर मंच के प्रतिनिधियों ने राज्य के वित्तमंत्री सुधीर मुनगंटीवार से मुलाक़ात की।
इस बैठक में ऑनलाइन माल बेचनेवाली कम्पनीयों से राज्य सरकार के टैक्स अदा न करने की बात कही गई। इन मुलाक़ात के बाद सुधीर मुनगंटीवार ने डर जताया है कि, अगर कानूनन ऑनलाइन शॉपिंग पर नियंत्रण नहीं लग सका तो महाराष्ट्र का कारोबार खतरे में आ सकता है। मैंने इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं।
इस मुद्दे पर मंच की राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य अनिल गचके ने एनडीटीवी इंडिया से बात करते हुए दावा किया कि, ऑनलाइन शॉपिंग के बाजार पर विदेशी कम्पनीयों का कब्ज़ा है। यह कम्पनीयां बड़ी मात्रा में सरकारी टैक्स की चोरी कर रही है। इस बिक्री में पेश होते रियायती दाम बाजार से भारतीय व्यापारियों को बेदखल करने की तरफ़ बढ़ते कदम हैं। इस दावे के साथ स्वदेशी जागरण मंच ने महाराष्ट्र और केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि, जबतक कानूनन ऑनलाइन शॉपिंग पर नियंत्रण नहीं आता तब तक भारत मे इस पर सम्पूर्ण पाबंदी लगे।
उधर, स्वदेशी जागरण मंच की आपत्ति को खारिज़ करते हुए फ़्लिपकार्ट ने एनडीटीवी इंडिया को बताया है कि, वह चीजें बेचने की जगह से जुड़े सभी कानून का पालन करती है।
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