संघर्ष यात्रा में मर्सिडीज बेंज की एसी बस में सवार अशोक चव्हाण और विपक्ष के विधायक.
मुंबई:
किसानों के मसले सुनने के लिए महाराष्ट्र में विपक्ष की संघर्ष यात्रा नया विवाद लेकर चल रही है. इस विवाद के केंद्र में है वह एयर कंडीशंड बस जिसमें से विपक्षी दलों के विधायक संघर्ष यात्री बनकर सफर कर रहे हैं. इस बस पर लगा मर्सिडीज बेंज का स्टीकर ही बस के आलीशान होने का अहसास करा रहा है.
महाराष्ट्र में विधान भवन में बजट सत्र चल रहा है. इसे बीच में छोड़कर अपने लचर हो चले संगठन में जान फूंकने के लिए कांग्रेस ने महाराष्ट्र में संघर्ष यात्रा का आयोजन किया है. इस बार कांग्रेस ने एनसीपी को भी साथ में लिया है. राज्य के उन इलाकों में संघर्ष यात्रा गुजरेगी जहां किसान सबसे ज्यादा परेशान हैं. किसान की कर्जमाफी इस यात्रा का मुख्य एजेंडा है.
किसान आत्महत्याओं के लिए परिचित विदर्भ से इस यात्रा की बुधवार को शुरुआत हुई. इस मौके पर संघर्ष यात्री विधायकों ने चंद्रपुर में आत्महत्या कर चुके किसान के परिजनों से मुलाकात की. लेकिन इस दौरान यातायात के लिए एसी बस से सफर करना सत्तापक्ष के लिए टिप्पणी करने का मुद्दा बना.
बीजेपी नेता और राज्य के मंत्री विनोद तावड़े ने संघर्ष यात्रा को एसी बस से घूमते विपक्षी नेताओं की पिकनिक करार दिया है. तो किसान आंदोलन से जुड़े वरिष्ठ नेता विजय जावंदिया ने इस संघर्ष यात्रा को लेकर विधायकों से माफी की उम्मीद की है. एनडीटीवी इंडिया से बातचीत में जावंदिया ने पूछा कि ऐसी यात्राएं ग्रामीण भारत और शहरी भारत में कहीं दूरी तो पैदा नहीं करतीं? क्या इसके लिए माफी नहीं मांगी जानी चाहिए?
वैसे आपको बता दें कि कांग्रेस ने संघर्ष यात्रा में शामिल होने वाले अपने विधायकों को एक आचार संहिता थमा दी थी. जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया था कि यात्रा के दौरान कोई भी विधायक महंगे आभूषण जैसे घड़ी, गॉगल आदि पहनकर नहीं चलेगा. साथ ही आयोजन के दौरान सादगी बनी रहेगी.
उधर, एसी बस से चल रही संघर्ष यात्रा पर निशाना बनाए जाने को लेकर महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने गुस्सा जाहिर किया है. मीडिया से बातचीत में चव्हाण ने कहा कि संघर्ष यात्रा में चल रही एसी बस का मुद्दा किसान कर्जमाफी के मुद्दे से ध्यान हटाने की सत्ता पक्ष की कोशिश है. अगर एसी से सत्ता पक्ष को इतना ही परहेज है तो वे अपने सरकारी बंगलों से एसी हटवा दें.
(साथ में इनपुट संजय तिवारी से)
महाराष्ट्र में विधान भवन में बजट सत्र चल रहा है. इसे बीच में छोड़कर अपने लचर हो चले संगठन में जान फूंकने के लिए कांग्रेस ने महाराष्ट्र में संघर्ष यात्रा का आयोजन किया है. इस बार कांग्रेस ने एनसीपी को भी साथ में लिया है. राज्य के उन इलाकों में संघर्ष यात्रा गुजरेगी जहां किसान सबसे ज्यादा परेशान हैं. किसान की कर्जमाफी इस यात्रा का मुख्य एजेंडा है.
किसान आत्महत्याओं के लिए परिचित विदर्भ से इस यात्रा की बुधवार को शुरुआत हुई. इस मौके पर संघर्ष यात्री विधायकों ने चंद्रपुर में आत्महत्या कर चुके किसान के परिजनों से मुलाकात की. लेकिन इस दौरान यातायात के लिए एसी बस से सफर करना सत्तापक्ष के लिए टिप्पणी करने का मुद्दा बना.
बीजेपी नेता और राज्य के मंत्री विनोद तावड़े ने संघर्ष यात्रा को एसी बस से घूमते विपक्षी नेताओं की पिकनिक करार दिया है. तो किसान आंदोलन से जुड़े वरिष्ठ नेता विजय जावंदिया ने इस संघर्ष यात्रा को लेकर विधायकों से माफी की उम्मीद की है. एनडीटीवी इंडिया से बातचीत में जावंदिया ने पूछा कि ऐसी यात्राएं ग्रामीण भारत और शहरी भारत में कहीं दूरी तो पैदा नहीं करतीं? क्या इसके लिए माफी नहीं मांगी जानी चाहिए?
वैसे आपको बता दें कि कांग्रेस ने संघर्ष यात्रा में शामिल होने वाले अपने विधायकों को एक आचार संहिता थमा दी थी. जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया था कि यात्रा के दौरान कोई भी विधायक महंगे आभूषण जैसे घड़ी, गॉगल आदि पहनकर नहीं चलेगा. साथ ही आयोजन के दौरान सादगी बनी रहेगी.
उधर, एसी बस से चल रही संघर्ष यात्रा पर निशाना बनाए जाने को लेकर महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने गुस्सा जाहिर किया है. मीडिया से बातचीत में चव्हाण ने कहा कि संघर्ष यात्रा में चल रही एसी बस का मुद्दा किसान कर्जमाफी के मुद्दे से ध्यान हटाने की सत्ता पक्ष की कोशिश है. अगर एसी से सत्ता पक्ष को इतना ही परहेज है तो वे अपने सरकारी बंगलों से एसी हटवा दें.
(साथ में इनपुट संजय तिवारी से)
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