
संगम:
इलाहाबाद में चल रहे महाकुंभ मेले में महाशिवरात्रि के मौके पर आखिरी शाही स्नान के अवसर पर संगम तट पर श्रद्धालुओं का जनसमुद्र उमड़ पड़ा। करीब 60 लाख श्रद्धालुओं ने महाकुंभ के आखिरी दिन संगम में डुबकी लगाई।
संगम के 12 घाटों पर श्रद्धालुओं को स्नान कराया जा रहा था। तड़के से ही चारों तरफ हर-हर गंगे और हर-हर महादेव के नारे गुंजायमान हो रहे थे। लोगों ने गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदी के संगम में स्नान कर शिव मंदिरों में पूजा-अर्चना की।
कहा जा रहा है कि महाशिवरात्रि के दिन महाकुंभ के शाही स्नान का यह संयोग 237 सालों बाद आया था। स्नान करने आने वालों में देश के कोने कोने के लोग शामिल थे।
महाशिवरात्रि के आखिरी शाही स्नान पर डुबकी लगाने वालों में रविवार को ज्यादातर आम श्रद्धालु ही शामिल रहे। विभिन्न अखाड़ों के साधु, नागा और कल्पवासी जा चुके हैं।
मेला प्रशासन के अधिकारियों के मुताबिक, शाम सात बजे तक 60 लाख श्रद्धालुओं ने स्नान किया। स्नान का सिलसिला समाचार लिखे जाने तक जारी था। श्रद्धालु देर रात रात स्नान करेंगे इसलिए आंकड़ा अभी और बढ़ सकता है।
मकर संक्रांति से शुरू हुए 55 दिवसीय महाकुंभ मेला का महाशिवरात्रि के शाही स्नान के साथ ही समापन हो गया। पूरे मेले के दौरान करीब आठ करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई।
आखिरी शाही स्नान के लिए एकत्र होने वाली भीड़ के मद्देनजर सुरक्षा के चाक चौबंद इंतजाम किए गए थे। इलाहाबाद के मंडलायुक्त देवेश चतुर्वेदी ने संवाददाताओं से कहा कि मेले के चप्पे-चप्पे पर अर्द्धसैनिक बलों के जवानों के साथ-साथ राज्य पुलिस और प्रांतीय सशस्त्र बल
(पीएसी) के जवानों की तैनाती की गई थी। उन्होंने बताया कि मेला क्षेत्र में शनिवार से ही चार पहिया और दोपहिया वाहनों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई थी। स्नानार्थियों को वापस भेजने के लिए रेलवे और रोडवेज की तरफ से बसों और ट्रेनों की अतिरिक्त व्यवस्था की गई थी।
उधर, महाकुंभ से कूच करने वाले नागा संन्यासियों ने शिवरात्रि के मौके पर वाराणसी स्थित काशी विश्वनाथ की पूजा-अर्चना की और जलाभिषेक किया।
संगम के 12 घाटों पर श्रद्धालुओं को स्नान कराया जा रहा था। तड़के से ही चारों तरफ हर-हर गंगे और हर-हर महादेव के नारे गुंजायमान हो रहे थे। लोगों ने गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदी के संगम में स्नान कर शिव मंदिरों में पूजा-अर्चना की।
कहा जा रहा है कि महाशिवरात्रि के दिन महाकुंभ के शाही स्नान का यह संयोग 237 सालों बाद आया था। स्नान करने आने वालों में देश के कोने कोने के लोग शामिल थे।
महाशिवरात्रि के आखिरी शाही स्नान पर डुबकी लगाने वालों में रविवार को ज्यादातर आम श्रद्धालु ही शामिल रहे। विभिन्न अखाड़ों के साधु, नागा और कल्पवासी जा चुके हैं।
मेला प्रशासन के अधिकारियों के मुताबिक, शाम सात बजे तक 60 लाख श्रद्धालुओं ने स्नान किया। स्नान का सिलसिला समाचार लिखे जाने तक जारी था। श्रद्धालु देर रात रात स्नान करेंगे इसलिए आंकड़ा अभी और बढ़ सकता है।
मकर संक्रांति से शुरू हुए 55 दिवसीय महाकुंभ मेला का महाशिवरात्रि के शाही स्नान के साथ ही समापन हो गया। पूरे मेले के दौरान करीब आठ करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई।
आखिरी शाही स्नान के लिए एकत्र होने वाली भीड़ के मद्देनजर सुरक्षा के चाक चौबंद इंतजाम किए गए थे। इलाहाबाद के मंडलायुक्त देवेश चतुर्वेदी ने संवाददाताओं से कहा कि मेले के चप्पे-चप्पे पर अर्द्धसैनिक बलों के जवानों के साथ-साथ राज्य पुलिस और प्रांतीय सशस्त्र बल
(पीएसी) के जवानों की तैनाती की गई थी। उन्होंने बताया कि मेला क्षेत्र में शनिवार से ही चार पहिया और दोपहिया वाहनों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई थी। स्नानार्थियों को वापस भेजने के लिए रेलवे और रोडवेज की तरफ से बसों और ट्रेनों की अतिरिक्त व्यवस्था की गई थी।
उधर, महाकुंभ से कूच करने वाले नागा संन्यासियों ने शिवरात्रि के मौके पर वाराणसी स्थित काशी विश्वनाथ की पूजा-अर्चना की और जलाभिषेक किया।
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