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This Article is From Sep 22, 2015

सरकार के नुमाइंदों की निंदा को राजद्रोह बताने वाले महाराष्ट्र सरकार के सर्कुलर पर रोक

सरकार के नुमाइंदों की निंदा को राजद्रोह बताने वाले महाराष्ट्र सरकार के सर्कुलर पर रोक
बॉम्बे हाईकोर्ट (फाइल फोटो)।
मुंबई: बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के उस सर्कुलर पर रोक लगा दी है, जिसके मुताबिक सरकार या उसके नुमाइंदों की निंदा को राजद्रोह माना जाएगा। कोर्ट ने इस मामले में सरकार से दो हफ्ते के अंदर अपना जवाब कोर्ट में दाखिल करने को कहा है।

असीम त्रिवेदी ने खटखटाया अदालत का दरवाजा
सन 2012 में कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी की गिरफ्तारी के बाद कोर्ट ने आईपीसी की धारा 124 ए के तहत गिरफ्तारी को लेकर दिशानिर्देश जारी किए थे, लेकिन कुछ दिनों पहले महाराष्ट्र सरकार के गृह विभाग ने जो सर्कुलर निकाला था उसके मुताबिक अगर किसी भी जनप्रतिनिधि के खिलाफ दिए बयान या लेख से हिंसा भड़कती है तो ऐसा करने वाले के खिलाफ आईपीसी की धारा 124 ए के तहत कार्रवाई होगी। बाद में इस मुद्दे पर जब बवाल मचा तो अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) केपी बख्शी का बयान आया कि सरकार ने कोर्ट के आदेश के आधार पर सर्कुलर जारी किया है और इसके सर्कुलर के अनुसार बस सरकारी नौकर को गलत तरीके से दिखाए जाने पर मनाही है।

सरकार के इस सर्कुलर के खिलाफ कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी और वकील नरेन्द्र शर्मा ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था। अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) केपी बख्शी का कहना है कि उन्होंने कोर्ट के आदेश के आधार पर सर्कुलर जारी किया है और इस सर्कलुर के अनुसार बस सरकारी नौकर को गलत तरीके से दिखाए जाने पर मनाही है।  सामाजिक कार्यकर्ताओं का आरोप है कि सर्कुलर का गलत तरीके से तर्जुमा कर अभिव्यक्ति को दबाने की कोशिश की गई।

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