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पत्थर भी चीर दे, 1300 साल पुरानी जादुई तलवार को उड़ा ले गए चोर! देखकर 'अजूबा' याद आ जाएगी

फ्रांस में 1300 साल से ये तलवार एक चट्टान में धंसी हुई थी. अब ये गायब है. वहां के लोगों के लिए ये उनकी ऐतिहासिक विरासत थी. जादुई थी इसलिए कहा जाता है कि इसे कोई नष्ट नहीं कर पाया. इस तलवार की शक्तियों को देख अमिताभ बच्चन की फिल्म 'अजूबा' की जादुई तलवार की याद आ गई.

पत्थर भी चीर दे, 1300 साल पुरानी जादुई तलवार को उड़ा ले गए चोर! देखकर 'अजूबा' याद आ जाएगी
1300 साल पुरानी जादुई तलवार की गजब कहानी...

अमिताभ बच्चन की फिल्म 'अजूबा' में वो जादुई तलवार जो अमीर बाबा (सईद जाफरी) बहारिस्तान के दयालु और नेक सुल्तान (शम्मी कपूर) को देते हैं और सुल्तान इसे खंभे में गाड़ देते हैं. इसके बाद अमीर बाबा घोषणा करते हैं कि सुल्तान का वारिस ही इसे यहां से निकाल पाएगा. फिल्म की कहानी आगे बढ़ती है... और सुल्तान का बेटा अजूबा यानी अमिताभ बच्चन इसे दीवार से निकालता है और इससे अपने राज्य की रक्षा करता है. ये तो कहानी हुई 1990 में आई अजूबा फिल्म की कि कैसे एक जादुई तलवार से सुल्तान का बेटा अपने साम्राज्य की रक्षा करता है. खैर, 1990 से निकलकर अब आ जाते हैं 2024 की दुनिया में, आजकल भी एक जादुई तलवार की चर्चा हो रही है, लेकिन फ्रांस की. फिल्म अजूबा में भी तलवार पत्थर चीरकर अंदर घुसी थी और यहां ये भी चट्टान के भीतर धंसी हुई थी.

अचानक गायब हो गई है डुरंडल

दरअसल, फ्रांस के गौरव से जुड़ी एक जादुई तलवार डुरंडल अचानक गायब हो गई है. इस ऐतिहासिक विरासत को दुनिया में सबसे तेज धार वाली और कभी नष्ट ना होने वाली तलवार माना जाता है. टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक- यह तलवार 1300 साल से पत्थर की एक चट्टान में दबी हुई थी. इस तलवार को फ्रेंच एक्सकैलिबर के तौर पर जाना जाता है. ये भी पता चला है कि 18वीं सदी में एक फरिश्ते ने इसे रोमन सम्राट शारलेमोन को दी थी. इसके बाद शारलेमोन ने ये तलवार अपने सबसे प्रिय सैनिक रौलैंड को दी थी हालांकि अब तक पता नहीं चला है कि ये तलवार रहस्यमय तरीके से कैसे गायब हो गई. स्थानीय लोगों का मानना है कि चोरों ने इसे चुरा लिया.यह तलवार जब चोरी हुई तो जमीन से 100 फीट ऊपर थी. पुलिस अभी तक पता नहीं कर पाई है कि आखिर इसकी चोरी भी कैसे संभव हुई.

पत्थर को भी काट देती थी ये तलवार

11वीं सदी की एक कविता में इसकी जादुई शक्तियों का जिक्र है. ये फ्रांस का सबसे पुराना साहित्य है.  "द सॉन्ग ऑफ रोलैंड" ऑक्सफोर्ड में बोडलियन लाइब्रेरी में इसकी एक प्रति रखी हुई है. इसमें इस तलवार से जुड़े किस्सों और कहानियों का जिक्र है, जो बहुत शौक से एक-दूसरे को बताए जाते हैंं. यदि इन कहानियों पर विश्वास किया जाए तो ये तलवार एक ही वार से पत्थर को काट देती थी.

फ्रांस और स्पेन की सीमा पर एक खाई जो सिर्फ इसके एक कट से बनी

इस कविता पर विश्वास किया जाए तो डुरंडल की बहादुरी और वीरता के साथ-साथ इसकी आलौकिक शक्तियों का जिक्र इसमें किया गया है. ये तलवार कहां से आई ये रहस्यमयी ही है. इसके मुताबिक- एक युद्ध के दौरान देवदूत या कहें फरिश्ता ये तलवार शारलेमोन को सौंपता है, जिसका अर्थ ये है कि ईश्वर की शक्तियां शारलेमोन के साथ हैं. इसी तलवार को शारलेमोन ने अपने वफादार सैनिक रोलैंड को दिया था. बताया जाता है कि रोलैंड ने रोन्सेवॉक्स दर्रे में एक लड़ाई लड़ी थी, ऐसा कहा जाता है कि फ्रांस और स्पेन की सीमा पर एक खाई है जो रोलैंड ने इस तलवार के सिर्फ एक कट से बनाई थी.

रोलैंड ने बहुत कोशिश की लेकिन इसे तोड़ नहीं पाया

ये भी कहावत है कि राजा शरालेमोन ने अपने सबसे प्रिय सैनिक और शूरवीर रोलैंड एक उपहार में दी थी. युद्ध में मरने से पहले रोलैंड ने तलवार को नष्ट करने की कोशिश की ताकि ये दुश्मनों के हाथ ना लग जाए, लेकिन बहुत कोशिशों के बावजूद वह इसकी जादुई शक्तियों की वजह से उसे तोड़ ही नहीं पाया था. 

हवा में फेंका तो सैकड़ों किलोमीटर दूर पहुंच गई थी ये तलवार

कविता-कहानी और किस्सो में यहां बताया जाता है कि आखिरकार परेशान होकर उसने तलवार को हवा में फेंक दिया और तलवार भी कार की तरह सैकड़ों किलोमीटर की दूरी तरह करके फ्रांसीसी शहर रोकामाडॉर में एक चट्टान पर गढ़ गई. वैसे अब तलवार के अचानक गायब होने से स्थानीय लोग काफी परेशान हैं. उनका मानना है कि उनका भाग्य इस पौराणिक हथियार से जुड़ा हुआ था. एक अखबार के मुताबिक- मेयर डॉमिनीक  लेनफां ने बताया कि डुरंडल सदियों से रोकामाडॉर की परंपरा का हिस्सा रहा है और ऐसा एक भी गाइड नहीं रहा जो यात्रा के दौरान इसकी बात ना करता हो.

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