Madhya Pradesh Government Crisis: सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा के नौ विधायकों के साथ ही मध्य प्रदेश कांग्रेस विधायक दल की याचिकाओं पर सुनवाई की. सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मध्यप्रदेश में अनिश्चितता की स्थिति को फ्लोर टेस्ट द्वारा प्रभावी ढंग से हल किया जाना चाहिए. कोर्ट ने सात दिशा-निर्देश दिए - मध्यप्रदेश असेंबली सेशन 20 मार्च को बुलाया जाए, केवल एक एजेंडा, क्या सरकार को बहुमत है? हाथ उठाकर हो मतदान, वीडियोग्राफी और लाइव टेलीकास्ट किया जाए, शांतिपूर्ण तरीके से मतदान हो, शाम 5 बजे तक पूरा होगा मतदान और एमपी व कर्नाटक के डीजीपी को सुनिश्चित करना चाहिए कि सत्र की व्यवस्था से 16 विधायकों पर कोई प्रतिबंध ना हों. अगर वे आना चाहते हैं तो सुरक्षा दी जाए.
इस मामले में कांग्रेस की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी ने अपना पक्ष रखा. बागी विधायकों का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील मनिंदर सिंह ने कोर्ट से कहा था कि यह गलत है कि विधायकों का अपहरण किया गया और जबरदस्ती के सभी आरोप बकवास हैं. मनिंदर सिंह ने कहा, "उन्होंने अपनी मर्जी से इस्तीफा दिया. विधानसभा अध्यक्ष को उनके इस्तीफे स्वीकार करने के लिए निर्देश जारी किया गया." भाजपा ने जोर देकर कहा कि वह 16 बागी कांग्रेस विधायकों को ला सकती है और चैंबर में न्यायाधीश चंद्रचूड़ और गुप्ता के सामने पेश कर सकती है और न्यायाधीश विधायकों के विचारों का पता लगा सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस चंद्रचूड़ की बेंच ने सुनवाई के बाद दिशानिर्देश जारी किए.
Here are the MP Government Crisis Updates:
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मध्यप्रदेश में अनिश्चितता की स्थिति को फ्लोर टेस्ट द्वारा प्रभावी ढंग से हल किया जाना चाहिए. कोर्ट ने सात दिशा-निर्देश दिए - मध्यप्रदेश असेंबली सेशन 20 मार्च को बुलाया जाए, केवल एक एजेंडा, क्या सरकार को बहुमत है? हाथ उठाकर हो मतदान, वीडियोग्राफी और लाइव टेलीकास्ट किया जाए, शांतिपूर्ण तरीके से मतदान हो, शाम 5 बजे तक पूरा होगा मतदान और एमपी व कर्नाटक के डीजीपी को सुनिश्चित करना चाहिए कि सत्र की व्यवस्था से 16 विधायकों पर कोई प्रतिबंध ना हों. अगर वे आना चाहते हैं तो सुरक्षा दी जाए.
कपिल सिब्बल- न्यायालय को हमेशा राज्यपाल के सामने तथ्यों को देखना चाहिए. इस तरह का कोई भी तथ्य (बहुमत की कमी) कभी सामने नहीं आया.यह कैसे हो सकता है? कानून के किसी भी दृष्टिकोण से? अविश्वास प्रस्ताव को आगे बढ़ाने में क्या दिक्कत है? हमें फ्लोर पर हराइए, लेकिन राज्यपाल के कार्यालय का इस्तेमाल क्यों कर रहे हैं? चालू सत्र के दौरान राज्यपाल की सदन को बुलाने की शक्तियों पर नहीं जाना चाहिए. इससे तो संवैधानिक अराजकता पैदा होगी.
सिंघवी- राजस्थान, छत्तीसगढ़, ओडिशा, केरल और कुछ राज्यों में कोरोना के चलते विधानसभा स्थगित हो चुकी हैं. महाराष्ट्र भी. क्या कोर्ट तय करेगी कि एमपी में ऐसा हो या नहीं? विश्वास मत की आड़ में लोगों के विश्वास को तोड़ने की कोशिश की जा रही है.
जस्टिस चंद्रचूड़- एक और सवाल जो हमारे पास है वह यह कि क्या अदालत ऐसे मामले में हस्तक्षेप करे या राज्यपाल संविधान के अनुसार अपने स्वयं के उपायों पर काम कर सकते हैं. यदि सदन सत्र में नहीं है और यदि सरकार बहुमत खो देती है, तो राज्यपाल को विश्वास मत रखने के लिए स्पीकर को निर्देश देने की शक्ति है. क्या होगा जब विधानसभा को पूर्व निर्धारित किया जाता है और सरकार अपना बहुमत खो देती है? राज्यपाल फिर विधानसभा नहीं बुला सकते? चूंकि इसे अनुमति नहीं देने का मतलब अल्पमत में सरकार जारी रखना होगा.
सिंघवी बागी विधायकों की तरफ से रखे गए कागज़ात पर सवाल उठाए. जिसपर वकील मुकुल रोहतगी ने कहा, ''एक केस में AOR ने मरे हुए आदमी के नाम से हलफनामा दाखिल कर दिया था. इसमें क्लाइंट की कोई गलती नहीं होती. कागज़ पर तकनीकी सवाल उठाने का कोई मतलब नहीं.
जस्टिस चंद्रचूड़- हमने यह भी कहा था कि विधायक सदन की कार्रवाई में जाने या न जाने का फैसला खुद ले सकते हैं. संवैधानिक सिद्धांत जो उभरता है, उसमें अविश्वास मत पर कोई प्रतिबंध नहीं है क्योंकि स्पीकर के समक्ष इस्तीफे या अयोग्यता का मुद्दा लंबित है. इसलिए, हमें यह देखना होगा कि क्या राज्यपाल उसके साथ निहित शक्तियों से परे काम करेंगे या नहीं. एक अन्य प्रश्न यह है कि यदि स्पीकर राज्यपाल की सलाह को स्वीकार नहीं करता है, तो राज्यपाल को क्या करना चाहिए. एक विकल्प यह है कि राज्यपाल अपनी रिपोर्ट केंद्र को दे.
सुप्रीम कोर्ट ने सिंघवी से पूछा अगर 16 विधायक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये स्पीकर के सामने पेश हो तो? इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, अगर MLA वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बात करें तो स्पीकर फैसला ले लेंगे? हालांकि ने सिंघवी ने मना किया. फिर जज ने कहा, ''संतुलन ज़रूरी है. उनको इस्तीफा देने का अधिकार, आपको फैसला लेने का. हम कोई रास्ता निकालना चाहते हैं. आप यह नहीं कह सकते कि मैं अपना कर्तव्य तय करूंगा और दोष भी लगाऊंगा. हम उनकी स्थिति को सुनिश्चित करने के लिए परिस्थितियां बना सकते हैं कि इस्तीफे वास्तव में स्वैच्छिक है.''