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5 years ago
नई दिल्ली:

Madhya Pradesh Government Crisis: सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा के नौ विधायकों के साथ ही मध्य प्रदेश कांग्रेस विधायक दल की याचिकाओं पर सुनवाई की. सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मध्यप्रदेश में अनिश्चितता की स्थिति को फ्लोर टेस्ट द्वारा प्रभावी ढंग से हल किया जाना चाहिए. कोर्ट ने सात दिशा-निर्देश दिए - मध्यप्रदेश असेंबली सेशन 20 मार्च को बुलाया जाए, केवल एक एजेंडा, क्या सरकार को बहुमत है?  हाथ उठाकर हो मतदान, वीडियोग्राफी और लाइव टेलीकास्ट किया जाए, शांतिपूर्ण तरीके से मतदान हो, शाम 5 बजे तक पूरा होगा मतदान और एमपी व कर्नाटक के डीजीपी को सुनिश्चित करना चाहिए कि सत्र की व्यवस्था से 16 विधायकों पर कोई प्रतिबंध ना हों. अगर वे आना चाहते हैं तो सुरक्षा दी जाए.
 

इस मामले में कांग्रेस की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी ने अपना पक्ष रखा. बागी विधायकों का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील मनिंदर सिंह ने कोर्ट से कहा था कि यह गलत है कि विधायकों का अपहरण किया गया और जबरदस्ती के सभी आरोप बकवास हैं. मनिंदर सिंह ने कहा, "उन्होंने अपनी मर्जी से इस्तीफा दिया. विधानसभा अध्यक्ष को उनके इस्तीफे स्वीकार करने के लिए निर्देश जारी किया गया." भाजपा ने जोर देकर कहा कि वह 16 बागी कांग्रेस विधायकों को ला सकती है और चैंबर में न्यायाधीश चंद्रचूड़ और गुप्ता के सामने पेश कर सकती है और न्यायाधीश विधायकों के विचारों का पता लगा सकते हैं.

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस चंद्रचूड़ की बेंच ने सुनवाई के बाद दिशानिर्देश जारी किए.  

Here are the MP Government Crisis Updates:

मध्य प्रदेश मामले में सुनवाई
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने NDTV इंडिया से कहा कि ये लोकतांत्रिक फैसला है.

मध्य प्रदेश मामले में सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मध्यप्रदेश में अनिश्चितता की स्थिति को फ्लोर टेस्ट द्वारा प्रभावी ढंग से हल किया जाना चाहिए. कोर्ट ने सात दिशा-निर्देश दिए - मध्यप्रदेश असेंबली सेशन 20 मार्च को बुलाया जाए, केवल एक एजेंडा, क्या सरकार को बहुमत है?  हाथ उठाकर हो मतदान, वीडियोग्राफी और लाइव टेलीकास्ट किया जाए, शांतिपूर्ण तरीके से मतदान हो, शाम 5 बजे तक पूरा होगा मतदान और एमपी व कर्नाटक के डीजीपी को सुनिश्चित करना चाहिए कि सत्र की व्यवस्था से 16 विधायकों पर कोई प्रतिबंध ना हों. अगर वे आना चाहते हैं तो सुरक्षा दी जाए.
मध्य प्रदेश मामले में सुनवाई
जस्टिस चंद्रचूड़ - हम 10-15 मिनिट का ब्रेक ले रहे हैं. कोर्ट ने कहा कि फिर हम संभावित टाइमलाइन बताएंगे.
मध्य प्रदेश मामले में सुप्रीम कोर्ट कुछ देर बाद अतंरिम आदेश जारी करेगा.

मध्य प्रदेश मामले में सुनवाई
सिंघवी- राज्यपाल के आदेश की न्यायिक समीक्षा हो सकती है. सरकार जाते ही स्पीकर भी चले जाते हैं.
कोर्ट में कई वकीलों ने एक साथ नो-नो बोला.
जस्टिस गुप्ता- ऐसा नहीं होता मिस्टर सिंघवी.

मध्य प्रदेश मामले में सुनवाई
अभिषेक मनु सिंघवी ने जवाब देना शुरू किया. सिंघवी- रोहतगी ने बोम्मई के जो 6 पैराग्राफ पढ़े, वह हमारे हक में हैं.
मध्य प्रदेश मामले में सुनवाई
मनिंदर- स्पीकर ने 6 इस्तीफे स्वीकार किए. बाकी पर फैसला नहीं लिया. इसमें दुर्भावना नज़र आती है.
इस्तीफा देना, सदन में न आना, सब हमारा अधिकार है. इसके लिए हमें मजबूर नहीं किया जा सकता.
मध्य प्रदेश मामले में सुनवाई
मध्यप्रदेश मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है. कोर्ट का समय खत्म होने के बाद भी सुनवाई जारी है. यह सुनवाई 5.15 घंटे से चल रही है.
मध्य प्रदेश मामले में सुनवाई
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता- सरकारिया आयोग ने लिखा कि ऐसा करने के लिए किसी संविधान संशोधन की ज़रूरत नहीं है. अगर राज्यपाल को सरकार के बहुमत पर शक हो और सीएम सत्र बुलाने को तैयार न हो तो राज्यपाल ऐसा कर सकते हैं. आज ही अंतरिम आदेश दिया जाए.
तुषार मेहता ने राज्यपाल की ओर से कहा - फ्लोर टेस्ट पर आज ही आदेश जारी हो.

मध्य प्रदेश मामले में सुनवाई
तुषार मेहता- रोज़ लोकतंत्र का नुकसान हो रहा है.  यह नए जिले बना रहे हैं. राज्यमंत्री नियुक्त कर रहे हैं. 
संसद काम कर रही है, सुप्रीम कोर्ट काम कर रहा है. इनके पास 15 मिनट नहीं था बहुमत साबित करने को? कोरोना का कह रहे थे?

मध्य प्रदेश मामले में सुनवाई
रोहतगी- कर्नाटक में विधायकों ने इस्तीफा दिया. इनके स्पीकर ने एक दिन का नोटिस देकर अयोग्यता तय कर दी. तब क्या जादू किया था? अब 2 हफ्ते चाहिए? अभी यहां अयोग्यता की कोई कार्रवाई भी लंबित नहीं है.
बजट सेशन को टाल दिया. बजट जो कि मनी बिल है, गिर जाता तो सरकार गिर जाती
पूरा हाउस बैठा था. अचानक 12 बजे कोरोना वायरस आ गया. 10 बजे नहीं आया था
तुषार मेहता- मैं राज्यपाल हूं. यह लोग नई नियुक्तियां कर रहे हैं. मुझे इसकी चिंता है.

रोहतगी- CJI की कोर्ट में भी एक MLA के भाई के नाम पर याचिका दायर करवाई गई. वहां से हाई कोर्ट जाने की इजाज़त ले ली गई. यह बात भी इस कोर्ट से छिपाई गई.
मध्य प्रदेश मामले में सुनवाई
मुकुल रोहतगी- यह लोग चाहते हैं कि अविश्वास प्रस्ताव आए. 2-3 हफ्ता बहस चले. हॉर्स ट्रेडिंग करना चाहते हैं. नए जिले बना रहे हैं.
तुषार मेहता- मैं राज्यपाल हूं. यह लोग नई नियुक्तियां कर रहे हैं. मुझे इसकी चिंता है.
मध्य प्रदेश मामले में सुनवाई
कमलनाथ के वकील मनिंदर ने कहा- राज्य में हमें खतरा है. हम नहीं जाएंगे. 
रोहतगी- जब इन पर बन आई थी तो आधी रात को फ्लोर टेस्ट का आदेश मांग रहे थे. आज 2 हफ्ते का समय मांग रहे हैं. इस्तीफे पर फैसले का फ्लोर टेस्ट से कोई लेना-देना नहीं है.
मध्य प्रदेश मामले सुप्रीम कोर्ट में चल रही है सुनवाई
जस्टिस चंद्रचूड़- पहले विधायकों ने कहा था स्पीकर से मिलेंगे, लेकिन नहीं मिले.
रोहतगी- अब नहीं मिलना चाहते. कह चुके हैं कि इस्तीफा स्वीकार हो, नहीं तो अयोग्य करार दें. हम हाउस में नहीं जाएंगे.
मध्य प्रदेश मामले में सुनवाई
रोहतगी- उनकी दलीलें चालू सदन की अवधारणा पर आधारित हैं. बोम्मई केस इसका सबसे अच्छा मामला है. उनकी दलील है कि कुछ नया तय किया जाना चाहिए. बोम्मई केस में राज्यपाल ने बागियों से बात करने के बाद राष्ट्रपति शासन लागू करने का आदेश दिया था. तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सरकार को फ्लोर टेस्ट के लिए कहा जाना चाहिए था. यह चलती विधानसभा का ही मामला था. 6 विधायकों के इस्तीफे इसलिए मंजूर हुए क्योंकि वो कांग्रेस को सूट करते थे.

मध्य प्रदेश मामले में सुनवाई
मुकुल रोहतगी खड़े हुए तो जस्टिस चंद्रचूड़ ने पूछा- आप अविश्वास प्रस्ताव क्यों नहीं ला रहे?
रोहतगी- इनका कहना है कि सरकार सिर्फ अविश्वास प्रस्ताव से जा सकती है. चालू सत्र का सबसे बड़ा उदाहरण बोम्मई है. जब राज्यपाल ने कार्रवाई नहीं की तो सभी मामले दूसरे पक्ष के थे. यहां, हम बेहतर स्थिति में हैं.
मध्य प्रदेश मामले सुप्रीम कोर्ट में चल रही है सुनवाई
कपिल सिब्बल- न्यायालय को हमेशा राज्यपाल के सामने तथ्यों को देखना चाहिए. इस तरह का कोई भी तथ्य (बहुमत की कमी) कभी सामने नहीं आया.यह कैसे हो सकता है? कानून के किसी भी दृष्टिकोण से? अविश्वास प्रस्ताव को आगे बढ़ाने में क्या दिक्कत है?  हमें फ्लोर पर हराइए, लेकिन राज्यपाल के कार्यालय का इस्तेमाल क्यों कर रहे हैं? चालू सत्र के दौरान राज्यपाल की सदन को बुलाने की शक्तियों पर नहीं जाना चाहिए. इससे तो संवैधानिक अराजकता पैदा होगी.
जस्टिस चंद्रचूड़- यह हर जगह के राजनीतिक उठापठक है. स्पीकर ने  6 के इस्तीफे स्वीकार कर लिए. उस समय, जांच आदि का कोई सवाल ही नहीं था, लेकिन अन्य 16 के लिए, स्पीकर का कहना है कि वह नहीं जानते कि वह कब फैसला कर सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने वकील एमएल शर्मा को कहा कि हम आपकी याचिका पर सुनवाई नही करेंगे. शर्मा ने कहा कि केवल पांच मिनट का वक्त दे दीजिए. कोर्ट ने दिया.
सिब्बल ने कहा कि फ्री विल वाले MLA सामान्य फ्लाइट में नहीं गए. चार्टर में गए. 
जस्टिस चंद्रचूड़- सबको चार्टर फ्लाइट का शौक होता है.
सिब्बल (का ईमानदार बयान)- यह राजनीति का गंदा हिस्सा है. हम सबने इसे ऐसा बना दिया है. हम जिम्मेदार हैं. अतीत में अल्पमत सरकार भी सत्ता में बनी रही है. राज्यपाल फ्लोर पर जाने के लिए कैसे कह सकते हैं?

कपिल सिब्बल- जगदंबिका पाल मामला भी चालू सत्र का नहीं था. तब विशेष सत्र बुलाया गया था. जगदंबिका पाल मामला भी चालू सत्र का नहीं था. तब विशेष सत्र बुलाया गया था. कल्याण सिंह के बदले जगदंबिका पाल सीएम बने थे. मैंने सुप्रीम कोर्ट में पाल के लिए बहस की थी. दोनों पक्ष फ्लोर टेस्ट के लिए सहमत हुए थे, फिर सत्र हुआ था.
मध्य प्रदेश मामले सुप्रीम कोर्ट में चल रही है सुनवाई
कमलनाथ के लिए वकालत कर रहे कपिल सिब्बल ने कहा, ''यह एक अलग ही मामला है. इसमें किसी ने राज्यपाल के सामने यह दावा नहीं किया है कि उसके पास बहुमत है.''

सिब्बल- अरुणाचल प्रदेश के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल के आदेश को गलत बताया था. तब गवर्नर ने सत्र बुलाने के साथ उसकी कार्रवाई पर भी निर्देश दिए थे. कुछ विधायक सदन में नहीं आएंगे। सरकार गिर जाएगी। विधायक नई सरकार में कोई पद ले लेंगे। क्या आप (जज) ऐसा उदाहरण स्थापित करेंगे.

सिब्बल- चलिए, मैं मान लेता हूँ कि विधायक बंधक नहीं हैं. आज़ाद हैं. तो फिर विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव क्यों नहीं लाता? विधायक सामने क्यों नहीं आते? मैं सीएम उनकी सुरक्षा का वचन देता हूं. सब पैसे और ताकत का खेल है। हम आंखें बंद नहीं रख सकते.
मध्य प्रदेश मामले सुप्रीम कोर्ट में चल रही है सुनवाई
सिंघवी- राजस्थान, छत्तीसगढ़, ओडिशा, केरल और कुछ राज्यों में कोरोना के चलते विधानसभा स्थगित हो चुकी हैं. महाराष्ट्र भी. क्या कोर्ट तय करेगी कि एमपी में ऐसा हो या नहीं? विश्वास मत की आड़ में लोगों के विश्वास को तोड़ने की कोशिश की जा रही है.
मध्य प्रदेश मामले सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
राज्यपाल के लिए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता- विधानसभा सत्र हमेशा 5 साल का सत्र होता है.
सिंघवी- पूरी तरह से गलत. यह बहुत मौलिक ज्ञान है. यह सदन है जो 5 साल तक रहता है सत्र नहीं. 5 साल के सत्र के बारे में किसी ने नहीं सुना.
जस्टिस चंद्रचूड़- राज्यपालों के पास सरकारों को अस्थिर करने का काम नहीं हो सकता, लेकिन समान रूप से, राज्यपाल के पास विश्वास मत के लिए बुलाने का अधिकार है.
जस्टिस चंद्रचूड- जिस दिन राज्यपाल ने पत्र लिखा, सत्र शुरू नहीं हुआ था. बजट सत्र को सरकार की सहायता और सलाह से बुलाया गया था. राज्यपाल ने कहा कि मेरे संबोधन के बाद विश्वास मत रखिए.
सिंघवी- ये एक निर्देश था कि आपको अयोग्यता का फैसला नहीं करना चाहिए. आज आपने इसकी इजाजत दी तो देश भर में ऐसे मामलों को बाढ़ आ जाएगी.
जस्टिस चंद्रचूड़- राज्यपाल ने सत्र बुलाने को कहा और बहुमत परीक्षण के लिए भी.
सिंघवी- उन्होंने एक तरह से कहा कि स्पीकर इस्तीफे और अयोग्यता पर कोई फैसला न लें. पहले फ्लोर टेस्ट करवाएं.
मध्य प्रदेश मामले सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
जस्टिस हेमंत गुप्ता- यदि सरकार अल्पमत में है, तो क्या राज्यपाल के पास विश्वास मत कराने की शक्ति नहीं है?
सिंघवी- नहीं, वह नहीं कर सकते. उनकी शक्ति सदन बुलाने के बारे में हैं.
मध्य प्रदेश मामले सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
सिंघवी 14 मार्च की राज्यपाल की चिट्ठी की भाषा पर सवाल उठा रहे हैं. जिसमें लिखा था, ''22 विधायकों ने त्यागपत्र प्रेषित किया है. मैंने भी इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया में देखा. मुझे भी चिट्ठी मिली. सरकार बहुमत खो चुकी है.''
सिंघवी- तो राज्यपाल ने खुद ही तय कर लिया? सिंघवी ने चिट्ठी पढ़ने के बाद कहा.
सिंघवी- ज्यादा से ज्यादा राज्यपाल सदन को बुला सकता है और फिर सदन के अध्यक्ष, स्पीकर को पदभार सौंप सकता है.
जस्टिस चंद्रचूड़ ने सिंघवी से पूछा- तो आपके अनुसार राज्यपाल केवल सदन को  बुला सकते हैं और फिर इसे सदन पर छोड़ सकते हैं?
सिंघवी- हां
मध्य प्रदेश मामले सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
जस्टिस चंद्रचूड़- एक और सवाल जो हमारे पास है वह यह कि क्या अदालत ऐसे मामले में हस्तक्षेप करे या राज्यपाल संविधान के अनुसार अपने स्वयं के उपायों पर काम कर सकते हैं. यदि सदन सत्र में नहीं है और यदि सरकार बहुमत खो देती है, तो राज्यपाल को विश्वास मत रखने के लिए स्पीकर को निर्देश देने की शक्ति है. क्या होगा जब विधानसभा को पूर्व निर्धारित किया जाता है और सरकार अपना बहुमत खो देती है? राज्यपाल फिर विधानसभा नहीं बुला सकते? चूंकि इसे अनुमति नहीं देने का मतलब अल्पमत में सरकार जारी रखना होगा.
जस्टिस चंद्रचूड़ - क्या यह आपकी दलील ये है कि फ्लोर टेस्ट चल रहे सदन में तभी हो सकता है जब अविश्वास प्रस्ताव लाया जाए.
सिंघवी- हां, और एक ही तरीका है जब एक मनी बिल गिर जाता है. 
जस्टिस चंद्रचूड- एक बात बहुत स्पष्ट है कि विधायक सभी एक साथ कार्य कर रहे हैं. यह एक राजनीतिक ब्लॉक हो सकता है. हम कोई भी दखल नहीं दे सकते. 
जस्टिस गुप्ता- संसद या विधानसभा के सदस्यों को विचार की कोई स्वतंत्रता नहीं है,  वे व्हिप से संचालित होते हैं.
मध्य प्रदेश मामले सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
सिंघवी बागी विधायकों की तरफ से रखे गए कागज़ात पर सवाल उठाए. जिसपर वकील मुकुल रोहतगी ने कहा, ''एक केस में AOR ने मरे हुए आदमी के नाम से हलफनामा दाखिल कर दिया था. इसमें क्लाइंट की कोई गलती नहीं होती. कागज़ पर तकनीकी सवाल उठाने का कोई मतलब नहीं.
मध्य प्रदेश मामले सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
जस्टिस चंद्रचूड़- हमने यह भी कहा था कि विधायक सदन की कार्रवाई में जाने या न जाने का फैसला खुद ले सकते हैं. संवैधानिक सिद्धांत जो उभरता है, उसमें अविश्वास मत पर कोई प्रतिबंध नहीं है क्योंकि स्पीकर के समक्ष इस्तीफे या अयोग्यता का मुद्दा लंबित है. इसलिए, हमें यह देखना होगा कि क्या राज्यपाल उसके साथ निहित शक्तियों से परे काम करेंगे या नहीं. एक अन्य प्रश्न यह है कि यदि स्पीकर राज्यपाल की सलाह को स्वीकार नहीं करता है, तो राज्यपाल को क्या करना चाहिए. एक विकल्प यह है कि राज्यपाल अपनी रिपोर्ट केंद्र को दे.
सुप्रीम कोर्ट- कर्नाटक का आदेश स्पीकर के अधिकार क्षेत्र में दखल नहीं देता कि वो कब तक अयोग्यता पर फैसला ले लेकिन इसका मतलब ये नहीं की फ्लोर टेस्ट न हो. कर्नाटक के मामले में अगले दिन फ्लोर टेस्ट हुआ था और कोर्ट ने विधायकों की अयोग्यता के मामले को लंबित होने की वजह से फ्लोर टेस्ट नही टाला था. 
सिंघवी- कर्नाटक मामले में कोर्ट ने स्पीकर के इस्तीफों पर फैसला लेने की कोई समय सीमा भी तय नहीं की थी. 
जस्टिस चंद्रचूड़- लेकिन इसके चलते फ्लोर टेस्ट को देर से करवाने की कोई इजाज़त कोर्ट ने नहीं दी थी.
सिंघवी- पूरी प्रक्रिया होती है. 2 हफ्ते लग सकते हैं. सिंघवी ने बताया कि कर्नाटक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर के अधिकारों को किस तरह से अहमियत दी थी. 
सिंघवी ने कोर्ट से पूछा कि वो इसमें आसानी से समझ रहे हैं. जिस पर जस्टिस चंद्रचूड ने कहा, हिंदी एक प्यारी ( ब्यूटीफुल), भाषा है.
सिंघवी- सदन के सत्र के दौरान अदालत ने कभी भी फ्लोर टेस्ट का निर्देश नहीं दिया है. सिंघवी ने इस्तीफा स्वीकार करने के नियम और प्रक्रिया पढ़ी और कहा- ये हिंदी में हैं.
मध्य प्रदेश मामले सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
सिघंवी ने दो हफ्ते मांगे थे. कोर्ट ने कहा, ''यही कारण है कि अदालत तुरंत फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश देने में सक्रिय रही है. विचार यह है कि सुनिश्चित किया जाए कि फ्लोर टेस्ट. जल्द से जल्द हो और ऐसी चीजों को रोका जाए. 

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, ''आपको 22 इस्तीफे मिले, छह का इस्तीफा एक ही बैच में था, स्पीकर ने क्या जांच की थी ? इस्तीफे की तारीख क्या थी और स्पीकर ने वास्तव में एक आदेश कब पारित किया?
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, ''अगर आपने इस्तीफा नामंज़ूर किया. फिर MLA व्हिप से बंध जाएंगे. अगर उन्होंने पालन नहीं किया तो आप फिर भी उन्हें अयोग्य करार दे सकते हैं. हफ्ते हॉर्स ट्रेडिंग के लिए सोने की खान हैं.''
वहीं सिंघवी ने कहा, ''अगर मैंने इस्तीफा अस्वीकार किया तो विधायक व्हिप से बंध जाएंगे. वहीं, मनिंदर ने कहा, ''व्हिप होगा तब भी हम वोट के लिए नहीं आएंगे.'' वकील सिंघवी ने कहा, कितनी बार एक ही बात दोहराई जाएगी.
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, ''स्पीकर के फैसले का फ्लोर टेस्ट पर क्या असर पड़ेगा. इस्तीफे और अयोग्यता के मामलों में स्पीकर का फैसला फ्लोर टेस्ट को कैसे प्रभावित करेगा. इस्तीफे या अयोग्यता का फ्लोर टेस्ट से क्या संबंध? उसे क्यों रोका जाए.''
16 बागी विधायकों ने कहा कहा कि उन्हें कोर्ट का सुझाव मंजूर है. वहीं, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, ''सीएम एक तरफ बैठे हैं और स्पीकर अदालत में राजनीतिक लड़ाई का नेतृत्व कर रहे हैं.''
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर दिग्विजय सिंह MLA से मिलना चाहते है तो उसका कोई मतलब नहीं है. अगर MLA अपने विधानसभा क्षेत्र में नही है तो दिग्विजय सिंह भी ऐसा नही कर रहे है। वो भी अपने क्षेत्र में नही है. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, ''हम आपको अपनी आशंका को दूर करने का एक स्पष्ट तरीका दे रहे हैं. हम एक स्वतंत्र पर्यवेक्षक देंगे. हम सुनिश्चित करेंगे कि वो बैंगलोर में एक तटस्थ स्थान पर जाएं, और एक पर्यवेक्षक नियुक्त  किया जाए.''
इस पर जस्टिस गुप्ता ने कहा, MLA राज्यसभा चुनाव में व्हिप से बंधे होते हैं? फिर सिंघवी ने हां में जवाब दिया. सिंघवी ने कहा कि हमें दो हफ़्ते का समय दिया जाए, 16 विधायकों को MP में आने दीजिये. फिर जज गुप्ता ने कहा, तब वोटर से मिलने की दलील का क्या मतलब रह गया? सिंघवी ने कहा, ''दिग्विजय महत्वपूर्ण नहीं है, मैं MLA को बंधक रखने की बात पर जिरह कर रहा हूं.''
कांग्रेस की ओर से अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, ''आप वीडियो कांफ्रेंसिंग की बात करके एक तरह से विधायकों को बंधक बनाए जाने को मान्यता दे रहे हैं. बिना आपके आदेश के मैं दो हफ्ते में इस्तीफे या अयोग्यता पर फैसला लेने को तैयार हूं. ऐसा किये बिना फ्लोर टेस्ट नहीं होना चाहिए. अगर वह बंधक नहीं हैं तो राज्यसभा चुनाव लड़ रहे दिग्विजय सिंह को अपने वोटर से मिलने क्यों नहीं दिया गया?
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, ''हम एक पर्यवेक्षक को बेंगलुरु या किसी अन्य स्थान पर नियुक्त कर सकते हैं. वे आपके साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर जुड़ सकते हैं और फिर आप निर्णय ले सकते हैं.''
मध्य प्रदेश मामले सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने सिंघवी से पूछा अगर 16 विधायक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये स्पीकर के सामने पेश हो तो? इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, अगर MLA वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बात करें तो स्पीकर फैसला ले लेंगे? हालांकि ने सिंघवी ने मना किया. फिर जज ने कहा, ''संतुलन ज़रूरी है. उनको इस्तीफा देने का अधिकार, आपको फैसला लेने का. हम कोई रास्ता निकालना चाहते हैं. आप यह नहीं कह सकते कि मैं अपना कर्तव्य तय करूंगा और दोष भी लगाऊंगा. हम उनकी स्थिति को सुनिश्चित करने के लिए परिस्थितियां बना सकते हैं कि इस्तीफे वास्तव में स्वैच्छिक है.''
सुप्रीम कोर्ट में सिंघवी से पूछा उस स्थिति में क्या होगा जब स्पीकर कोई फ़ैसला न रहा हो तो?
 सिंघवी वैसे तो कोर्ट को स्पीकर के लिए कोई समय तय नहीं करना चाहिए. स्पीकर को समय दिया देना चाहिए. लेकिन फिर भी आप कह दीजिए कि उचित समय मे स्पीकर तय करे तो वह 2 हफ्ते में तय कर लेंगे.

सिंघवी ने कहा, ''सिर्फ स्पीकर को अयोग्यता (Disqualification) तय करने का अधिकार है. अगर उसकी तबीयत सही नहीं है तो कोई और ऐसा नहीं कर सकता. स्पीकर ने अयोग्य कह दिया तो कोई मंत्री नहीं बन सकता. इसलिए, इससे बचने के लिए स्पीकर के कुछ करने से पहले फ्लोर टेस्ट का मंत्र जपना शुरू कर दिया.''
सिंघवी ने कहा कि कोर्ट स्पीकर के अधिकार क्षेत्र में दखल नही दे सकता. कोर्ट स्पीकर के अधिकार क्षेत्र में दखल नही दे सकता. 16 लोगों के बाहर रहने से सरकार गिर जाएगी. नई सरकार में यह 16 कोई फायदा ले लेंगे. सिंघवी ने आगे कहा, 'यह संवैधानिक पाप के आसपास होने का तीसरा तरीका है. ये मेरे नहीं अदालत के शब्द हैं.'
अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, ''सिर्फ फ्लोर टेस्ट फ्लोर टेस्ट का मंत्र जपा जा रहा है. स्पीकर के अधिकार क्षेत्र में दखल की कोशिश हो रही है. सिर्फ फ्लोर टेस्ट फ्लोर टेस्ट का मंत्र जपा जा रहा है. स्पीकर के अधिकार क्षेत्र में दखल की कोशिश हो रही है. दलबदल कानून के तहत 2/3 का पार्टी से अलग होना जरूरी. अब इससे बचने का नया तरीका निकाला जा रहा है.''
कांग्रेस द्वारा कथित तौर पर उपेक्षा किये जाने से परेशान होकर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था और बाद में भाजपा में शामिल हो गये. इसके बाद ही मध्यप्रदेश के 22 कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था, जिनमें से अधिकांश सिंधिया के कट्टर समर्थक हैं. विधानसभा अध्यक्ष ने छह विधायकों के त्यागपत्र मंजूर कर लिए हैं जबकि शेष 16 विधायकों के त्यागपत्र पर अध्यक्ष ने फिलहाल कोई निर्णय नहीं लिया है.
भोपाल: प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता राहुल कोठारी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार मध्यप्रदेश में जल्द ही जाने वाली है इसलिए भाजपा कार्यालय पर हमला किया गया है. उन्होंने पत्रकारों से कहा, ''हम अपने कार्यालय में शांतिपूर्वक बैठे हुए थे। तभी कांग्रेस के लोगों ने पत्थरों और लाठियों से हमारे ऊपर हमला कर दिया.''

बेंगलुरु में कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह सहित प्रदेश कांग्रेस के मंत्रियों को कर्नाटक पुलिस द्वारा बुधवार सुबह कथित रूप से हिरासत में लिए जाने की घटना से नाराज कांग्रेस कार्यकर्ता यहां भाजपा कार्यालय का घेराव करने आज शाम यहां जमा हो गए और नारेबाजी करने लगे.
कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बुधवार शाम को भोपाल में प्रदेश भाजपा कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया. पुलिस ने कांग्रेस के 58 कार्यकर्ताओं के खिलाफ मामला दर्ज किया है. 
मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री आवास पर मुख्यमंत्री कमलनाथ की अध्यक्षता में बुधवार की रात को कांग्रेस विधायक दल की बैठक हुई. इस बैठक में बेंगलुरू में भाजपा द्वारा बंधक बनाए गए कांग्रेस विधायकों से मुलाकात करने गए कांग्रेस नेताओं को कर्नाटक पुलिस द्वारा मिलने से रोकने, अभद्र व्यवहार करने एवं बल पूर्वक हिरासत में लेने को लेकर सर्वसम्मति से निंदा प्रस्ताव पारित किया गया.
मुकुल रोहतगी ने कहा कि कांग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफे, जिनमें से छह इस्तीफे स्वीकार किये जा चुके हैं, के बाद राज्य सरकार को एक दिन भी सत्ता में बने रहने नहीं देना चाहिए. रोहतगी ने आरोप लगाया कि 1975 में आपात काल लगाकर लोकतंत्र की हत्या करने वाली पार्टी अब डा बी आर आम्बेडकर के उच्च सिद्धांतों की दुहाई दे रही है.
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने सभी बागी विधायकों को न्यायाधीशों के चैंबर में पेश करने का प्रस्ताव रखा जिसे न्यायालय ने अस्वीकार कर दिया. उन्होंने कहा कि वैकल्पिक उपाय के अंतर्गत कर्नाटक उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल गुरुवार को जाकर इन बागी विधायकों से मुलाकात कर सकते हैं और सारी कार्यवाही की वीडियो रिकार्डिंग कर सकते हैं.
जस्टिस चंद्रचूड ने कहा, ''जब स्पीकर ने 6 का इस्तीफा स्वीकार किया तो क्या उन्होंने सभी 22 विधायकों पर अपने विवेक का इस्तेमाल किया.'' इस पर दवे ने कहा, ''आज सबसे बुनियादी मुद्दा यह है कि राज्यपाल एक फ्लोर टेस्ट के लिए कैसे निर्देशित कर सकते हैं? वह यह तय करने वाले कोई नहीं है. इस्तीफे पर निर्णय लेने के लिए राज्यपाल की कोई भूमिका नहीं है. दसवीं अनुसूची के तहत अयोग्यता कार्यवाही में राज्यपाल की कोई भूमिका नहीं है. राज्यपाल द्वारा ऐसा कोई भी आदेश संवैधानिक रूप से ठहरने वाला नहीं है.''
कांग्रेस ने गवर्नर पर सवाल खड़ा करते हुए उनके पत्र का हवाला दिया और कहा, ''गवर्नर ये कैसे कह सकते हैं कि हमारे पास बहुमत नहीं है जबकि बहुमत परीक्षण भी नहीं हुआ. कोई भी विश्वास मत 16 विधायकों की उपस्थिति में होना चाहिए . यदि कांग्रेस से जुड़े 22 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है और यदि सीट खाली हो गई है, तो विश्वास मत को उक्त 22 निर्वाचन क्षेत्रों के मतदाताओं के प्रतिनिधित्व के बिना नहीं रखा जा सकता है, जिसे केवल चुनाव द्वारा सुरक्षित किया जा सकता है.'
कांग्रेस ने आगे कहा, ''स्पीकर को ये देखना होगा कि इस्तीफे स्वैच्छिक हैं या नहीं.'' दवे ने कहा, ''विधायकों को अगुवा किया गया. राज्यपाल ने फ्लोर टेस्ट का जो आदेश भेजा वो पूरी तरह असंवैधानिक है.''
कोर्ट में कांग्रेस की ओर से वकील दुष्यंत दवे ने कहा, ''आज हम एक अजीबोगरीब स्थिति में हैं. राज्य की जनता ने कांग्रेस पर भरोसा किया. सबसे बड़ी पार्टी ने उस दिन विश्वास मत जीता था. 18 महीनों से बहुत ही स्थिर सरकार काम कर रही थी.'' 
न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ ने कांग्रेस के 22 बागी विधायकों के इस्तीफे की वजह से मध्य प्रदेश में उत्पन्न राजनीतिक संकट को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की और कहा कि वह विधानसभा द्वारा यह निर्णय करने के बीच में नहीं पड़ेगी कि किसके पास सदन का विश्वास है लेकिन उसे यह सुनिश्चित करना है कि ये 16 विधायक स्वतंत्र रूप से अपने अधिकार का इस्तेमाल करें. पीठ ने इन विधायकों का चैंबर में मुलाकात करने की पेशकश यह कहते हुये ठुकरा दी कि ऐसा करना उचित नहीं होगा.
बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान, कोर्ट ने बागी विधायकों से न्यायाधीशों के चैंबर में मुलाकात करने की पेशकश को ठुकराते हुये कहा कि विधानसभा जाना या नहीं जाना विधायकों पर निर्भर है, लेकिन उन्हें बंधक बनाकर नहीं रखा जा सकता. 

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