राहुल गांधी के अमेठी छोड़ रायबरेली से चुनाव लड़ने की क्या है Inside Story, पढ़ें 

कांग्रेस पार्टी ने राहुल गांधी को रायबरेली और केएल शर्मा को अमेठी से मैदान में उतारने का फैसला किया है. सूत्रों के अनुसार कांग्रेस को इस फैसले तक पहुंचने के लिए कई दिनों तक की चर्चा करनी पड़ी. इस चर्चा के दौरान कई वरिष्ठ नेताओं से भी चर्चा की गई.

राहुल गांधी के अमेठी छोड़ रायबरेली से चुनाव लड़ने की क्या है Inside Story, पढ़ें 

कांग्रेस ने राहुल गांधी को अमेठी की जगह रायबरेली से उतारा मैदान में

नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव 2024 में अमेठी और रायबरेली से कांग्रेस का उम्मीदवार कौन होगा. अब इसपर से सस्पेंस खत्म हो चुका है. कांग्रेस पार्टी ने रायबरेली से राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को जबकि अमेठी से किशोरी लाल शर्मा को मैदान में उतारा है. राहुल के सामने रायबरेली में बीजेपी के उम्मीदवार दिनेश प्रताप सिंह होंगे. वहीं अमेठी में किशोरी लाल शर्मा के सामने होंगी केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी. राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को अमेठी की जगह रायबरेली से मैदान में उतारने के कांग्रेस के फैसले ने सभी को आश्चर्यचकित जरूर किया है. ऐसे में कांग्रेस के इस फैसले तक पहुंचने के पीछे की इनसाइड स्टोरी को जानना बेहद जरूरी है. 

निर्णय पर पहुंचे से पहले हुआ मंथन

पार्टी सूत्रों की मानें तो राहुल गांधी को रायबरेली से उम्मीदवार बनाने को लेकर गांधी परिवार में काफी चर्चा हुई. गांधी परिवार ने रायबरेली के साथ-साथ अमेठी से किसे उम्मीदवार बनाया जाए, इसे लेकर काफी बार चर्चा हुई. कांग्रेस अध्यक्ष और पार्टी में बहुत सारे नेताओं का यह मानना था कि राहुल और प्रियंका दोनों को चुनाव लड़ना चाहिए. मगर राहुल गांधी का कहना था कि उनका अमेठी से लड़ने से कुछ हासिल नहीं होगा क्योंकि वो अगर जीत भी जाते हैं तो अमेठी सीट ही छोड़ेगें ना कि वायनाड.

सूत्रों के अनुसार राहुल का यह तर्क था कि वायनाड की जनता ने उन्हें उस वक्त साथ दिया जब अमेठी के लोगों ने उनका साथ छोड़ दिया था. यही वजह है कि राहुल अमेठी से हारने के बाद वहां गए भी नहीं. फिर यह भी बात हुई कि यदि राहुल अमेठी जीत भी जाते हैं तो उनके इस्तीफा देने के बाद वहां से किसी को तो लड़ाना ही पड़ेगा तो अभी क्यों नहीं.

प्रियंका गांधी को लेकर भी हुई बात

रही बात रायबरेली की तो यह सीट कांग्रेस की सबसे सुरक्षित सीट मानी जाती है पिछली बार सोनिया गांधी यहां से पौने दो लाख वोटों से जीतीं थी. मगर उनके वोटों का प्रतिशत लगातार कम हो रहा था. फिर राहुल गांधी सोनिया गांधी को यह समझाने में कामयाब रहे कि चुंकि प्रियंका अभी फ़िलहाल चुनाव नहीं लड़ना नहीं चाहती हैं तो क्यों ना वो खुद रायबरेली से चुनाव लड़ें. और अगर चुनाव के बाद यदि एक सीट छोड़ने की नौबत आती है तो रायबरेली से प्रियंका को मैदान में उतारा जाए. ऐसा इसलिए भी क्योंकि तब तक यह भी पता चल जाएगा कि इंडिया गठबंधन और कांग्रेस की चुनाव में क्या स्थिति रहती है. 

इस वजह से केएल शर्मा को अमेठी से मिला टिकट

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सूत्रों का कहना है कि एक तर्क यह भी दिया गया कि यदि अमेठी से राहुल लड़ते हैं और हार जाते हैं तो दो लगातार हार के बाद उनकी स्थिति काफ़ी कमजोर हो जाएगी और स्मृति ईरानी का कद काफी बढ़ जाएगा. ज़ाहिर है राहुल गांधी ऐसा कोई भी जोखिम नहीं लेना चाहते थे. इन सब बातों पर चर्चा के बाद यह तय किया गया कि राहुल रायबरेली से चुनाव लड़ेंगे. और पार्टी किशोरी लाल शर्मा को अमेठी से लड़ाया जाएगा. के एल शर्मा अमेठी को अच्छी तरह जानते हैं. साथ ही राहुल और सोनिया गांधी का चुनाव प्रबंधन कर चुके हैं और उनके प्रतिनिधि के तौर पर काम करते रहे हैं.