
Lilavati Hospital Trust Vs HDFC CEO: मुंबई स्थित लीलावती हॉस्पिटल अक्सर बड़े सेलिब्रिटी की इलाज को लेकर चर्चा में आता रहता है. बीते दिनों सैफ अली खान पर जब चाकू से हमला हुआ था, तब उन्हें इलाज के लिए लीलावाती हॉस्पिटल में ही लाया गया था. इससे पहले भी लीलावती हॉस्पिटल में बॉलीवुड के कई बड़े स्टार ट्रीटमेंट के लिए आ चुके हैं. लीलावती हॉस्पिटल का संचालन लीलावती कीर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट (LKMM Trust) करती है, जो आज किसी दूसरे कारण से सुर्खियों में है.
लीलावती कीर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट ने HDFC बैंक के MD और CEO शशिधर जगदीशन पर गंभीर आरोप लगाए हैं. इन्हीं आरोपों के कारण लीलावती अस्पताल ट्रस्ट चर्चा में है. आइए जानते है इसकी पूरी कहानी.
HDFC के CEO को तत्काल निलंबित करने की मांग
लीलावती कीर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट ने HDFC बैंक के MD और CEO शशिधर जगदीशन पर ट्रस्ट से संबंधित पैसों की धोखाधड़ी के कई मामलों में शामिल होने के आरोप लगाए हैं. ट्रस्ट ने जगदीशन को तत्काल निलंबित करने और उन पर मुकदमा चलाने की मांग की है.
2.05 करोड़ की धोखाधड़ी का आरोप
LKMM ट्रस्ट ने शशिधर जगदीशन पर आरोप लगाते हुए कहा कि बॉम्बे मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश पर FIR नंबर 818/2025 दर्ज की गई थी. जब्त की गई कैश डायरी से पता चला कि कुछ ट्रस्टियों ने 14.42 करोड़ रुपये का गबन किया था. इनमें से 2.05 करोड़ रुपये जगदीशन को मिले थे. इससे पता चलता है कि वो प्रत्यक्ष रूप से इस गड़बड़ी में शामिल थे.

सबूत मिटाने के लिए 1.5 करोड़ रुपए का दिया ऑफर
LKMM ट्रस्ट ने अपने आरोपों में आगे बताया कि इस मामले में 7 अन्य आरोपी भी हैं. ट्रस्ट ने पैसों से जुड़े कई अन्य मामलों में भी जगदीशन पर गंभीर आरोप लगाए हैं. ट्रस्ट ने कहा कि अस्पताल के कर्मचारियों को CSR फंड के नाम पर 1.5 करोड़ रुपये का ऑफर दिया गया. इससे सबूतों को नष्ट करने और न्याय की प्रक्रिया में बाधा डालने की मंशा का पता चलता है. मामले में कई शिकायतों के बाद भी HDFC बैंक ने कार्रवाई नहीं की.
ट्रस्ट ने अपने बयान में आगे कहा है कि हम HDFC बैंक, RBI, SEBI और वित्त मंत्रालय से मांग करते हैं कि वो जगदीशन को सस्पेंड करें. उनको सभी कार्यकारी और बोर्ड की भूमिकाओं से तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाए.
लीलावती ट्रस्ट के आरोपों पर HDFC ने क्या कहा
HDFC बैंक ने लीलावती कीर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट के आरोपों का खंडन किया और इसे “निराधार और दुर्भावनापूर्ण” बताया. HDFC बैंक का कहना है कि उन्होंने इस मामले को लेकर कानूनी सलाह ले ली है और वह अपने एमडी और सीईओ की छवि की रक्षा करेंगे.
HDFC बैंक ने अपने आधिकारिक बयान में कहा, "लीलावती ट्रस्ट, उसके ट्रस्टियों और अधिकारियों द्वारा बैंक के एमडी और सीईओ के खिलाफ लगाए गए आरोप निराधार और दुर्भावनापूर्ण हैं. अपमानजनक और बेतुके आरोपों का मजबूती और स्पष्ट रूप से खंडन किया जाता है."
लेनदेन से जुड़े धोखाधड़ी की कहानी हाथ से लिखी डायरी में दर्ज
मालूम हो कि जगदीशन के खिलाफ आरोप है कि एलकेएमएम के एक पूर्व सदस्य ने ट्रस्ट के एक मौजूदा सदस्य के पिता को परेशान करने के एकमात्र उद्देश्य से उन्हें 2.05 करोड़ रुपए दिए थे. याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि इस लेनदेन को हाथ से लिखी डायरी में दर्ज किया गया था. डायरी को मौजूदा सदस्यों ने बरामद किया था.
बैंक के प्रवक्ता ने क्या कुछ कहा
HDFC बैंक के प्रवक्ता ने कहा कि यह लंबे समय से बकाया ऋण की वसूली का मामला है. बैंक प्रवक्ता ने आगे कहा, "ट्रस्टी प्रशांत मेहता और उनके परिवार के सदस्यों पर HDFC बैंक का काफी बकाया है, जिसे कभी चुकाया नहीं गया. बैंक द्वारा पिछले दो दशकों में वसूली और प्रवर्तन कार्रवाई की गई है और हर स्तर पर प्रशांत मेहता और उनके परिवार के अन्य सदस्यों ने कई परेशान करने वाली कानूनी कार्रवाई का सहारा लिया है."
कोर्ट से हारने के बाद सीईआई पर लगा रहे आरोप
प्रवक्ता ने आगे बताया, "सुप्रीम कोर्ट सहित सभी स्तरों पर लगातार विफल होने के बाद, उन्होंने अब बैंक के एमडी और सीईओ पर हाल ही में दुर्भावनापूर्ण व्यक्तिगत हमलों का सहारा लिया है, जिसका एकमात्र उद्देश्य बैंक और उसके MD और CEO को कानून के तहत हर संभव तरीके से सभी बकाया ऋणों की वसूली करने के आदेश को पूरा करने से डराना और धमकाना है."
प्रवक्ता ने कहा, "बैंक को विश्वास है कि हमारी न्यायिक प्रक्रिया बैंक और उसके एमडी और सीईओ की छवि को धूमिल करने के ट्रस्टी और लीलावती ट्रस्ट के अधिकारियों के धोखाधड़ीपूर्ण इरादे और कुटिल उद्देश्यों को पहचान लेगी."
अब समझिए लीलावती ट्रस्ट की कहानी
लीलावती कीर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट की स्थापना 1997 में भारत के प्रसिद्ध हीरा और आभूषण कारोबारी कीर्तिलाल मेहता ने की थी. 1944 में उन्होंने मुंबई में 'ब्यूटीफुल डायमंड्स' नाम से हीरा व्यवसाय की स्थापना की थी, जो बाद में फैलते-फैलते कई देशों तक फैली. फिर 1997 में उन्होंने लीलावती कीर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट के जरिए मुंबई में वर्ल्ड क्लास सुविधाओं से लैस अपनी मां के नाम पर लीलावती हॉस्पिटल की स्थापना की.
लीलावती हॉस्पिटल के मालिकों में कैसे हुई लड़ाई
कुछ समय बाद उनके छोटे भाई विजय मेहता के परिवार के लोग भी ट्रस्ट के बोर्ड में शामिल हुए. बाद में इन दोनों भाइयों के परिवार में विवाद हो गया. साल 2002-03 में आरोप लगे कि किशोर मेहता विदेश में इलाज कराने गए थे, इसी दौरान विजय मेहता के परिवार ने ट्रस्ट पर अपना नियंत्रण बनाने के लिए बोर्ड मेंबर्स के जाली हस्ताक्षर किए.
आगे चल कर किशोर और विजय दोनों भाइयों की मौत हो गई लेकिन ये लड़ाई उनकी अगली पीढ़ी तक चलती रही.
करीब 20 साल लंबी लड़ाई के बाद साल 2023 में ट्रस्ट का कंट्रोल किशोर मेहता के परिवार को दे दिया गया.
परिवार के विवाद से ही जुड़े HFDC के CEO
HDFC के CEO शशिधर जगदीशन और ट्रस्ट के बीच विवाद की जड़ें यहीं से जुड़ी हैं. नए ट्रस्टियों ने आरोप लगाया है कि घोटाले के एक मामले में पुराने ट्रस्टियों ने पैसों का गबन किया और इसमें शशिधर जगदीशन भी शामिल थे. अब देखना है कि इस मामले में आगे क्या कहानी निकल कर सामने आती है.
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