Coronavirus testing: ऐसे समय जब कोरोना के केसों की संख्या देश में तेजी से बढ़ रही है, महानगर मुंबई (Mumbai) की टेस्टिंग (Coronavirus testing) शुरू से सवालों में रही है. टेस्टिंग की क्षमता बढ़ाने का दावा किया गया है लेकिन अगस्त महीने में सिर्फ़ 14% ही वृद्धि हुई. दूसरी ओर, इसी दौरान यानी अगस्त में महाराष्ट्र (Maharastra) राज्य में 67% टेस्टिंग बढ़ी. हेल्थ एक्सपर्ट कम टेस्टिंग को ख़तरनाक मान रहे हैं. विपक्ष ने भी इसे मुद्दा बना रहा है. मुंबई के कोरोना टेस्टिंग के आंकड़े इसकी हकीकत बयां करते हैं.मुंबई में जुलाई महीने से टेस्टिंग को आसान बनाया गया है, वहीं हर दिन टेस्टिंग की क्षमता क़रीब 12,000 तक बतायी जाती है फिर भी अगस्त महीने में हर रोज़ औसतन 7,670 टेस्टिंग ही हो पायी.
बीते 24 घंटे में देश में COVID-19 के सबसे ज्यादा टेस्ट
जुलाई में औसतन हर दिन 6,671 टेस्टिंग देखी गयी थी यानी अगस्त में हुई टेस्टिंग में महज़ 14% की ही वृद्धि हुई. दूसरी ओर, इसी दौरान अगर अगस्त माह में महाराष्ट्र के टेस्टिंग के आंकड़े पर नजर डालें तो क़रीब 67% का इज़ाफ़ा है. राज्य में हर दिन औसतन क़रीब 65,000 टेस्टिंग राज्य में हो रही हैं, ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि मुंबई में टेस्टिंग की कम संख्या का कारण क्या है. यह मामला अब सियासी मुद्दा बन गया है. कम टेस्टिंग को लेकर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव ठाकरे सरकार को ख़त लिखा है.
कम टेस्टिंग का मामला वाकई अहम है. कोरोना से संक्रमित होकर मरीज़ों की सेवा में लौटे शहर के जाने-माने डॉक्टर जलील पारकर भी टेस्टिंग और ट्रेसिंग को जरूरी मान रहे हैं. डॉ. पारकर कहते हैं, 'इसका कोई नया ट्रीटमेंट तो है नहीं! कोई नई दवा तो आयी नहीं है, अगर हमको इस बीमारी को कंट्रोल करना है, कोविड पर हावी होना है तो पहला उपाय है-टेस्टिंग टेस्टिंग टेस्टिंग! दूसरा ट्रेसिंग, ट्रेसिंग,ट्रेसिंग! हमने देखा था कि कोविड का प्रकोप कुछ कम हुआ लेकिन एक हफ़्ते से धीरे-धीरे बढ़ रहा है, वजह सोच-सोचकर हम सभी थक चुके हैं. मैं भी थक चुका हूँ, सोचना छोड़ दिया है, बस लोगों की जान कैसे बचानी है ये सोचते हैं और कोशिश कर रहे हैं.'
सरकारी कोविड अस्पताल सायन हॉस्पिटल के पूर्व डीन और कोविड केयर सेंटर रहे साई अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर सुलेमान मचेंट भी कम टेस्टिंग को ख़तरनाक मान रहे हैं. उन्होंने कहा, 'जितनी जल्दी पोसिटिव केसेस पकड़े जाएँगे, उतनी जल्दी ट्रैक कर पाओगे. उनको आइसोलेट करोगे और वायरस को स्प्रेड होने से बचा पाओगे. आख़िर बाद में तो उनको पकड़ना ही है इसलिए मल्टीप्लाई होने से पहले पकड़ लीजिए. ये बहुत ख़तरनाक बीमारी है, टेस्टिंग बहुत ज़रूरी है. उदाहरण देते हुए वे कहते हैं, 'गड्ढे वाले रोड पर अगर गाड़ी चलानी है तो आंखें खोलकर चलानी होगी.' साई अस्पताल के एक अन्य डॉक्टर, दयानेश्वर वाघमारे ने भी कोरोना की सेकंड वेब के लिए तैयार रहने की जरूरत बताई. उन्होंने कहा, 'एक वेव तो हम कंट्रोल कर चुके हैं, सेकेंड वेव के लिए तैयार होना चाहिए, माइग्रेंट वर्कर्स या अनटेस्टेड लोग जो पॉप्युलेशन में हैं, की वजह से सेकंड आउटब्रेक आने के चांसेस हैं. हमें इसके लिए तैयार रहना होगा.''
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