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This Article is From Jun 17, 2020

लद्दाख में जान गंवाने वाले सिपाही राजेश के परिवार ने कहा, 'उम्‍मीद है चीन को करारा जवाब देगा भारत'

राजेश के कजिन अभिजीत ओरांग ने कहा, "मुझे अपने भाई पर गर्व है. मुझे उम्मीद है कि भारत चीन को करारा जवाब देगा." राजेश ने करीब 15 दिन पहले घर पर फोन लगाकर बहन से बात की थी. उसने बताया था कि वह पहाड़ पर जा रहा है और हो सकता है कि वह कुछ दिनों के लिए घर न आ सके.

लद्दाख में जान गंवाने वाले सिपाही राजेश के परिवार ने कहा, 'उम्‍मीद है चीन को करारा जवाब देगा भारत'
लद्दाख संघर्ष में बंगाल के राजेश ओरांग को जान गंवानी पड़ी है
कोलकाता:

Ladakh Clash: पूर्वी लद्दाख में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक संघर्ष (Ladakh Clash) में जान न्‍योछावर करने वाले 20 भारतीय सैनिकों में सिपाही 26 वर्षीय राजेश ओरांग (Sepoy Rajesh Oraon) भी हैं. बेटे की 'शहादत' की खबर मिलने के बाद से राजेश के पिता बिस्‍तर पर ही हैं. सेना मुख्यालय से शाम 5 बजे के आसपास राजेश के पिता सुभाष के पास फोन आया. खबर सुनकर पिता इतने स्‍तब्‍ध थे कि कोइ सवाल भी नहीं पूछ सके. उन्‍हें बस यही याद है कि 16, बिहार रेजीमेंट के सिपाही राजेश  बंगाल के बीरभूम जिले (Bengal's Birbhum district) के बेलघरिया से 2,500 किलोमीटर दूर लद्दाख की गलवान वैली में चीनी सैनिकों के साथ हिंसक झड़प में जान गंवा चुके हैं.राजेश लद्दाख झड़प में जान गंवाने वाले बंगाल के संभवत: एकमात्र जवान हैं. सशस्त्र बलों में भर्ती होने वाले अपने परिवार के पहले शख्‍स राजेश ने पांच साल पहले सेना से जुड़े थे. परिवार में माता-पिता के अलावा दो छोटी बहनें हैं. राजेश के जान गंवाने की खबर सुनकर हर कोइ सदमे में है.

राजेश के कजिन अभिजीत ओरांग ने कहा, "मुझे अपने भाई पर गर्व है. मुझे उम्मीद है कि भारत चीन को करारा जवाब देगा." राजेश ने करीब 15 दिन पहले घर पर फोन लगाकर बहन से बात की थी. उसने बताया था कि वह पहाड़ पर जा रहा है और हो सकता है कि वह कुछ दिनों के लिए घर न आ सके. युवक करीब आठ माह पहले बंगाल स्थित घर पहुंचा था. इस दौरान माता-पिता ने उसकी शादी की लिए प्रयास किए थे. उसका मई में घर जाने का कार्यक्रम था लेकिन कोरोना वायरस के कारण जारी लॉकडाउन के कारण यह संभव नहीं हो सका. किसान के बेटे राजेश अपने परिवार का एकमात्र रोजीरोटी कमाने वाले थे. उनके पिता के पास थोड़ी सी जमीन है लेकिन वह बीमार होने के कारण खुद काम नहीं कर सकते. उनका घर भी कच्‍चा बना हुआ है. सिपाही राजेश ओरांग का परिवार अब उनकी पार्थिव देह गांव पहुंचने का इंतजार कर रहा है.

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