
हर साल की तरह इस साल भी कोंकण क्षेत्र में मानसून दस्तक देने को तैयार है. प्राकृतिक सौंदर्य और हरियाली से भरपूर यह क्षेत्र अपनी मुश्किल भौगोलिक स्थितियों और बहुत ज्यादा बारिश की वजह से रेलवे ऑपरेशंस के लिए अनेक चुनौतियां पेश करता है. लेकिन कोंकण रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड (KRCL) ने इन चुनौतियों से निपटने के लिए एक खास ब्लूप्रिंट तैयार किया है. SVS वाला यह ब्लूप्रिंट यात्रियों को सुरक्षित उनकी डेस्टिनेशन तक लेकर जाएगा. SVS यानी सिक्योरिटी, विजिलेंस और सर्विस और इन तीन फैक्टर्स के साथ कोंकण रेलवे पूरी तरह से तैयार है. कोंकण रेलवे का कहना है कि यह ब्लूप्रिंट जो न सिर्फ यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करती है बल्कि रेलवे सेवाओं की निरंतरता भी बनाए रखती है.
पानी निकालने की तैयारी
कोंकण रेलवे ने मानसून से पहले व्यापक स्तर पर कटावों की जांच और कैचवॉटर ड्रेनेज की सफाई का कार्य पूरा कर लिया है. बीते साल में किए गए भू-सुरक्षा (Geo-safety) कामों की वजह से भूस्खलन और पत्थर गिरने की घटनाओं में खास कमी आई है. पिछले एक दशक में मानसून के दौरान बड़े स्तर पर कोई अवरोध नहीं हुआ है, जो KRCL की निरंतर सुरक्षा पहलों का प्रमाण है.
पेट्रोलिंग और निगरानी
मानसून के दौरान संवेदनशील स्थानों पर 636 ट्रेंड कर्मचारियों की तैनाती की गई है, जो चौबीसों घंटे गश्त करेंगे. आपात स्थिति से निपटने के लिए ब्रेकडाउन राहत नेटवर्क (BRN) एक्स्कावेटर्स को चिपलून, रत्नागिरी, कणकवली और वेरना में तैनात किया गया है. रेल अनुरक्षण वाहनों (RMVs) को 9 प्रमुख स्थानों - वीर, चिपलून, रत्नागिरी, राजापुर रोड, कुडाल, वेरना, कारवार, भटकल, और उडुपी में तैनात किया गया है. इसके अलावा, टॉवर वैगनों को भी तैयार रखा गया है.
ऑपरेशनल बदलाव
लोको पायलटों को भारी बारिश में विजिबिलिटी में कमी होने पर ट्रेन की गति को 40 किमी/घंटा तक सीमित करने का निर्देश दिया गया है. आपातकालीन स्थितियों के लिए रत्नागिरी और वेरना में चिकित्सकीय सुविधा से लैस सेल्फ-प्रोपेल्ड एक्सीडेंट रिलीफ मेडिकल वैन (ARMVs) को तैनात किया गया है. इसके अलावा वेरना में एक्सीडेंट रिलीफ ट्रेन (ART) को भी 15 मिनट के अंदर परिचालन हेतु तैयार रखा गया है. अगर किसी स्थान पर जलस्तर 100 मिमी से अधिक हो जाता है, तो सुरक्षा के तहत ट्रेन सेवाएं अस्थायी रूप से स्थगित कर दी जाती हैं.
एडवांस्ड कम्युनिकेशन
सभी सुरक्षा कर्मियों को मोबाइल फोन दिए गए हैं जिससे वे आपातकालीन स्थिति में नियंत्रण कक्ष या स्टेशन से तत्काल संपर्क कर सकें. लोको पायलटों और गार्ड्स को वॉकी-टॉकी दिए गए हैं. वहीं सभी स्टेशनों पर 25-वॉट VHF सेट लगाए गए हैं जिससे स्टेशन मास्टर और ट्रेन चालक दल के बीच निरंतर समन्वय बना रहे. हर 1 किमी पर इमरजेंसी कम्युनिकेशन सॉकेट (EMC) लगाए गए हैं। ARMVs में सैटेलाइट फोन भी मौजूद हैं जिससे आपदा के समय संचार व्यवस्था बाधित न हो.
टेक्नोलॉजी बेस्ड मॉनिटरिंग
कम रोशनी और धुंध में दृश्यता बढ़ाने के लिए एलईडी सिग्नलों की स्थापना की गई है. मानसूनी वर्षा की निगरानी के लिए 9 स्टेशनों पर स्वचालित वर्षा मापक (Rain Gauge) लगाए गए हैं. इसके अतिरिक्त प्रमुख पुलों - काली, सावित्री और वशिष्ठ नदियों पर बाढ़ चेतावनी प्रणाली सक्रिय है. चार प्रमुख पुलों और वायाडक्ट्स पर पवनगति मापक (Anemometer) स्थापित किए गए हैं ताकि तेज हवा की स्थिति में पूर्व चेतावनी मिल सके.
नियंत्रण कक्ष और चिकित्सकीय सहायता
रत्नागिरी, बेलापुर और मडगांव में 24x7 नियंत्रण कक्ष पूरी मानसून अवधि के दौरान सक्रिय रहेंगे. चिकित्सकीय टीमें चिपलून, रत्नागिरी, वेरना, मडगांव, कारवार और उडुपी में तैनात की गई हैं ताकि किसी भी आपात स्थिति से निपटा जा सके.
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