प्रधानमंत्री मोदी जवानों के साथ उत्तराखंड के हर्षिल में दीवाली मनाने पहुंचे.
नई दिल्ली:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तराखंड के जिस गांव हर्षिल में दीवाली मनाने पहुंचे, उसकी कभी भारत के स्विटजरलैंड के रूप में पहचान रही.उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में भागीरथी और जालंदरी नदियों के संगम स्थल पर बस्पा घाटी के सिरे पर तलहटी में बसा यह एक हिमालयी गांव है. यह खूबसूरत गांव 8000 फीट की उंचाई पर स्थित है. प्रधानमंत्री मोदी ने बुधवार को यहां पहुंचकर जवानों से मुलाकात की और उनके साथ दिवाली मनाई. इस दौरान पीएम मोदी जवानों को अपने हाथों से मिठाइयां भी खिलाईं. इस गांव के नाम को लेकर एक पौराणिक मान्यता भी है. कहा जाता है कि जब भागीरथी और जालंदरी नदियों में अस्तित्व को लेकर तर्क हुआ तो भगवान विष्णु ‘हरि' ने विशाल शिला का रूप धारण कर दोनों के प्रवाह को शांत किया था. इस वजह से हरि और शिला के मिश्रित शब्द के रूप में इस क्षेत्र को हर्षिल के नाम से जाना गया.
हर्षिल गंगोत्री धाम के रास्ते में स्थित है और जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से लगभग 95 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. हर्षिल से लम्खागा दर्रे के माध्यम से ट्रेक करके हिमाचल प्रदेश पहुंचा जा सकता है. इसे भारत-चीन सीमा पर स्थित नेलोंग घाटी के द्वार के रूप में भी जाना जाता है. यहां सेब की खेती होती है. 19वीं सदी में ब्रिटिश फ्रेडेरिक विल्सन ने इस क्षेत्र में सेब और आलू की खेती को प्रारंभ करवाया था. कहा जाता है कि अपने ज़माने में हर्षिल भारत और तिब्बत के मध्य व्यापार के पैदल मार्ग का एक केंद्र हुआ करता था. हर्षिल में मूलतः भोटिया समुदाय के लोग रहते हैं. हर्षिल का बघोरी गांव तिब्बती और भारतीय संस्कृति का अनूठा संगम है. जहां छोटे घर और कुटीर उद्योगों की झलक देखने को मिलती है.
राज कपूर ने अपनी फिल्म ‘राम तेरी गंगा मैली' की मुख्य शूटिंग भी इसी इलाके में की थी. 80 के दशक की इस फिल्म में राजीव कपूर और मन्दाकिनी की अदाकारी से कई गानों और रोमांटिक दृश्यों की शूटिंग हुई थी और क्षेत्र का प्राकृतिक सौन्दर्य पहली बार रुपहले परदे पर दुनिया ने देखा था. हर्षिल में झरनों, पोस्ट ऑफिस और कई खूबसूरत दृश्यों को बहुत सुन्दरता से फिल्माया गया था. उत्तराखंड में आई प्राकृतिक आपदा के दौरान हर्षिल से गंगोत्री में फंसे हजारों तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को रेस्क्यू किया गया था. बताया जाता है कि यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां जवानों के साथ दीवाली मनाने पहुंचे. इस दौरान
हर्षिल गंगोत्री धाम के रास्ते में स्थित है और जिला मुख्यालय उत्तरकाशी से लगभग 95 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. हर्षिल से लम्खागा दर्रे के माध्यम से ट्रेक करके हिमाचल प्रदेश पहुंचा जा सकता है. इसे भारत-चीन सीमा पर स्थित नेलोंग घाटी के द्वार के रूप में भी जाना जाता है. यहां सेब की खेती होती है. 19वीं सदी में ब्रिटिश फ्रेडेरिक विल्सन ने इस क्षेत्र में सेब और आलू की खेती को प्रारंभ करवाया था. कहा जाता है कि अपने ज़माने में हर्षिल भारत और तिब्बत के मध्य व्यापार के पैदल मार्ग का एक केंद्र हुआ करता था. हर्षिल में मूलतः भोटिया समुदाय के लोग रहते हैं. हर्षिल का बघोरी गांव तिब्बती और भारतीय संस्कृति का अनूठा संगम है. जहां छोटे घर और कुटीर उद्योगों की झलक देखने को मिलती है.
राज कपूर ने अपनी फिल्म ‘राम तेरी गंगा मैली' की मुख्य शूटिंग भी इसी इलाके में की थी. 80 के दशक की इस फिल्म में राजीव कपूर और मन्दाकिनी की अदाकारी से कई गानों और रोमांटिक दृश्यों की शूटिंग हुई थी और क्षेत्र का प्राकृतिक सौन्दर्य पहली बार रुपहले परदे पर दुनिया ने देखा था. हर्षिल में झरनों, पोस्ट ऑफिस और कई खूबसूरत दृश्यों को बहुत सुन्दरता से फिल्माया गया था. उत्तराखंड में आई प्राकृतिक आपदा के दौरान हर्षिल से गंगोत्री में फंसे हजारों तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को रेस्क्यू किया गया था. बताया जाता है कि यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां जवानों के साथ दीवाली मनाने पहुंचे. इस दौरान
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