केरल के मुख्यमंत्री ओम्मन चांडी (फाइल फोटो)
तिरुवनंतपुरम:
केरल के मुख्यमंत्री ओम्मन चांडी ने सौर पैनल घोटाले की जांच करने वाले न्यायिक आयोग के समक्ष 14 घंटे से ज्यादा गवाही दी जो देर रात तक चली। इस दौरान उन्होंने कहा कि उनका पोलीग्राफ टेस्ट कराने की जरूरत नहीं है क्योंकि उन्होंने 'कुछ भी गलत' नहीं किया है। चांडी केरल के पहले मुख्यमंत्री हैं जो न्यायिक आयोग के समक्ष उपस्थित हुए और उन्होंने आयोग से कहा कि उनके और उनके कार्यालय के खिलाफ आरोप 'राजनीतिक रूप से प्रेरित' हैं।
जिरह के दौरान उन्होंने कहा, 'उसकी (लाई डिटेक्टर टेस्ट) जरूरत क्या है। मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है। किसी को संदेह नहीं है कि मैंने कुछ गलत किया है।' एक अधिकारी ने आज कहा कि चांडी की गवाही करीब 14 घंटे चली। सरकारी अतिथि गृह के बाहर चांडी ने लाई डिटेक्टर टेस्ट के बारे में पूछे जाने पर संवाददाताओं को भी यही जवाब दिया। उन्होंने आयोग से कहा कि उनके और उनके कार्यालय के खिलाफ लगे आरोप 'राजनीति से प्रेरित' हैं।
अच्युतानंदन ने कहा, आयोग के आगे सच नहीं बोले चांडी
विपक्ष के नेता वीएस अच्युतानंदन ने चांडी पर प्रहार करते हुए आरोप लगाए कि उन्होंने आयोग के समक्ष सच नहीं बोला। तिरुवनंतपुरम में उन्होंने संवाददाताओं से कहा, 'अगर उन्होंने (चांडी ने) सच बोला होता तो वह पोलीग्राफ जांच कराने को तैयार क्यों नहीं हुए।'आयोग घोटाले के बारे में साक्ष्य जुटाने के अंतिम चरण में है। घोटाले का पर्दाफाश 2013 में हुआ था जिससे कांग्रेस नीत यूडीएफ सरकार को काफी शर्मिंदगी उठानी पड़ी। कोच्चि के आयोग ने सरकारी अतिथि गृह में अपनी बैठक की ताकि चांडी गवाही दे सकें।
मुख्यमंत्री चांडी ने सहयोग के आरोपों से किया था इनकार
टीम सोलर कंपनी को सहयोग करने के आरोपों से इंकार करते हुए चांडी ने कहा था कि घोटाले का पता चलने के बाद सरकार ने ‘घोटालेबाजों’ बीजू राधाकृष्णन और सरिता एस. नायर पर कानूनी कार्रवाई करने में सहयोग किया।चांडी ने कहा था कि उनकी सरकार ने धोखाधड़ी करने वालों को दंडित किया जाना सुनिश्चित किया जो 2005 से ही अपराध कर रहे थे और आरोपियों को सजा सुनाया जाना दिखाता है कि उनकी सरकार घोटाले को लेकर गंभीर है। चांडी ने विपक्ष पर हमला करते हुए कहा कि आयोग के समक्ष अपने आरोप साबित करने के लिए वे कुछ भी नहीं पेश कर सके कि उन्होंने और उनके कार्यालय ने टीम सोलर कंपनी का सहयोग किया था।
एलडीएफ ने सीएम का इस्तीफा मांगा
विपक्षी माकपा के नेतृत्व में एलडीएफ ने घोटाले में चांडी का इस्तीफा मांगते हुए व्यापक आंदोलन की शुरूआत की थी। घोटाले में पता चला कि मुख्यमंत्री कार्यालय के दो सदस्य टेनी जोप्पेन और जिक्कुमोन का सरिता से कथित तौर पर जुड़ाव था।सरकार ने घोटाले की जांच के लिए 23 अक्तूबर 2013 को एक सदस्यीय आयोग का गठन किया था जिसमें उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश शिवराजन शामिल थे।
सरिता और राधाकृष्णन ने सौर पैनल समाधान की पेशकश करते हुए कई लोगों से करोड़ों रुपये की ठगी की थी। दोनों ने चांडी के नाम सहित उच्च स्तर के नामों का उपयोग कर कथित तौर पर व्यापार के लिए प्रचार किया था।सरिता जहां नौ महीने जेल में रहने के बाद जमानत पर हैं वहीं राधाकृष्णन अपनी पत्नी की हत्या के सिलसिले में अब भी जेल में हैं।
जिरह के दौरान उन्होंने कहा, 'उसकी (लाई डिटेक्टर टेस्ट) जरूरत क्या है। मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है। किसी को संदेह नहीं है कि मैंने कुछ गलत किया है।' एक अधिकारी ने आज कहा कि चांडी की गवाही करीब 14 घंटे चली। सरकारी अतिथि गृह के बाहर चांडी ने लाई डिटेक्टर टेस्ट के बारे में पूछे जाने पर संवाददाताओं को भी यही जवाब दिया। उन्होंने आयोग से कहा कि उनके और उनके कार्यालय के खिलाफ लगे आरोप 'राजनीति से प्रेरित' हैं।
अच्युतानंदन ने कहा, आयोग के आगे सच नहीं बोले चांडी
विपक्ष के नेता वीएस अच्युतानंदन ने चांडी पर प्रहार करते हुए आरोप लगाए कि उन्होंने आयोग के समक्ष सच नहीं बोला। तिरुवनंतपुरम में उन्होंने संवाददाताओं से कहा, 'अगर उन्होंने (चांडी ने) सच बोला होता तो वह पोलीग्राफ जांच कराने को तैयार क्यों नहीं हुए।'आयोग घोटाले के बारे में साक्ष्य जुटाने के अंतिम चरण में है। घोटाले का पर्दाफाश 2013 में हुआ था जिससे कांग्रेस नीत यूडीएफ सरकार को काफी शर्मिंदगी उठानी पड़ी। कोच्चि के आयोग ने सरकारी अतिथि गृह में अपनी बैठक की ताकि चांडी गवाही दे सकें।
मुख्यमंत्री चांडी ने सहयोग के आरोपों से किया था इनकार
टीम सोलर कंपनी को सहयोग करने के आरोपों से इंकार करते हुए चांडी ने कहा था कि घोटाले का पता चलने के बाद सरकार ने ‘घोटालेबाजों’ बीजू राधाकृष्णन और सरिता एस. नायर पर कानूनी कार्रवाई करने में सहयोग किया।चांडी ने कहा था कि उनकी सरकार ने धोखाधड़ी करने वालों को दंडित किया जाना सुनिश्चित किया जो 2005 से ही अपराध कर रहे थे और आरोपियों को सजा सुनाया जाना दिखाता है कि उनकी सरकार घोटाले को लेकर गंभीर है। चांडी ने विपक्ष पर हमला करते हुए कहा कि आयोग के समक्ष अपने आरोप साबित करने के लिए वे कुछ भी नहीं पेश कर सके कि उन्होंने और उनके कार्यालय ने टीम सोलर कंपनी का सहयोग किया था।
एलडीएफ ने सीएम का इस्तीफा मांगा
विपक्षी माकपा के नेतृत्व में एलडीएफ ने घोटाले में चांडी का इस्तीफा मांगते हुए व्यापक आंदोलन की शुरूआत की थी। घोटाले में पता चला कि मुख्यमंत्री कार्यालय के दो सदस्य टेनी जोप्पेन और जिक्कुमोन का सरिता से कथित तौर पर जुड़ाव था।सरकार ने घोटाले की जांच के लिए 23 अक्तूबर 2013 को एक सदस्यीय आयोग का गठन किया था जिसमें उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश शिवराजन शामिल थे।
सरिता और राधाकृष्णन ने सौर पैनल समाधान की पेशकश करते हुए कई लोगों से करोड़ों रुपये की ठगी की थी। दोनों ने चांडी के नाम सहित उच्च स्तर के नामों का उपयोग कर कथित तौर पर व्यापार के लिए प्रचार किया था।सरिता जहां नौ महीने जेल में रहने के बाद जमानत पर हैं वहीं राधाकृष्णन अपनी पत्नी की हत्या के सिलसिले में अब भी जेल में हैं।
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