KCR की नज़र अब महाराष्ट्र की राजनीति पर, कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना ने साधा निशाना

उत्तर प्रदेश के बाद महाराष्ट्र दूसरा सबसे बड़ा राज्य है जिसमें लोकसभा के 48 सीट है. केसीआर की एंट्री का असर विपक्षी पार्टियों के वोट पर पड़ सकता है.

KCR की नज़र अब महाराष्ट्र की राजनीति पर, कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना ने साधा निशाना

मुंबई:

तेलंगाना के मुख्यमंत्री और बीआरएस के अध्यक्ष के चंद्रशेखर राव महाराष्ट्र के अपने दौरे में शक्तिप्रदर्शन करते नज़र आए. करीब 600 वाहनों के साथ सोलापुर पहुंचे केसीआर ने पंढरपुर शहर में भगवान् विट्ठल की मंदिर में पूजा की और बड़ी संख्या में मौजूद लोगों को भी सम्बोधित किया. पिछले कुछ महीनों में जिस तरह से केसीआर की नज़र महाराष्ट्र की तरफ है, उससे महाराष्ट्र की विपक्षी पार्टियां केसीआर की पार्टी को बीजेपी की बी टीम का नाम दे रही हैं.

करीब 600 वाहनों के साथ सोमवार को सोलापुर पहुंचे तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने मंगलवार के दिन पंढरपुर शहर में भगवान् विट्ठल की मंदिर में पूजा की और शक्ति प्रदर्शन करते हुए एक सभा को सम्बोधित किया. इस सभा में एनसीपी के पूर्व विधायक भरत भालके के बेटे भागीरथ भालके उनकी पार्टी में शामिल हुए.  इससे पहले भी बीआरएस ने महाराष्ट्र के चंद्रपुर, औरंगाबाद, नांदेड़ और लातूर से कई नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल किया था. केसीआर इन इलाकों के किसानों को अपने पास लाने की कोशिश कर रहे हैं और राज्य के कई जगहों पर 'अबकी बार किसान सरकार' के नारों के बैनर भी लगाए गए हैं. 

'अबकी बार किसान सरकार'

तेलंगाना के सीएम केसीआर ने कहा कि पहले भी  हिन्दुस्तान में कई लोगों ने कई नारे दिए हैं. लेकिन सिर्फ बीआरएस अकेली पार्टी है जिसने कहा है कि 'अबकी बार किसान सरकार'. किसी ने यह बात नहीं किया था. करीब 60 फीसदी लोग किसान हैं. इसलिए अब यह लोग डर रहे हैं. सब साफ़ समझ आ रहा है. 

कांग्रेस ने साधा निशाना

कांग्रेस ने केसीआर पर निशाना साधा है कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि तेलंगाना के बहुत महत्त्व्पूर्ण नेता कांग्रेस पार्टी में शामिल हो रहे हैं... अभी इनकी मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गाँधी से मुलाक़ात हुई, लम्बी बातचीत हुई है. 

संजय राउत ने बोला हमला

उद्धव ठाकरे की पार्टी के नेता संजय राउत ने कहा कि महाराष्ट्र की राजनीति पर केसीआर का कोई असर नहीं पडेगा, असर पडेगा तो तेलंगाना कि राजनीति पर पडेगा. अगर केसीआर ऐसी ही नौटंकी करते रहे तो तेलंगाना में हार जाएंगे और इसलिए हार के डर से वो महाराष्ट्र में घुस गए हैं. यहां बहुत बड़े काफिले को लेकर वो आए हैं, बड़े बड़े टेंट लगाए, लेकिन उधर दिल्ली में उनकी पार्टी टूट गई. 

एक तरफ महाराष्ट्र की राजनीति में एंट्री करने के बाद जहां बीआरएस का लक्ष्य अपने आप को क्षेत्रीय पार्टी से राष्ट्रीय पार्टी बनाने का है तो वहीं महाराष्ट्र के विपक्षी पार्टियों का मानना है की केसीआर के कारण महाराष्ट्र में बीजेपी को फायदा होगा. गौरतलब है कि 2019 में एक थर्ड फ्रंट वंचित बहुजन पार्टी के चुनाव लड़ने का असर कांग्रेस और एनसीपी के नेता झेल चुके हैं. 

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