नई दिल्ली:
कठुआ में आठ साल की बच्ची से बलात्कार और उसकी हत्या के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है. मामले की जांच में जुटी पुलिस ने कहा है कि आरोपियों में से एक सांझी राम ने हत्या की बात कबूल ली है. पूछताछ के दौरान उसने बताया कि उसे बच्ची के अपहरण के चार दिनों बाद बलात्कार की बात पता चली और बलात्कार में अपने बेटे के भी शामिल होने का पता चला. इसके बाद उसने बच्ची की हत्या करने का निर्णय लिया.
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जांचकर्ताओं ने बताया कि 10 जनवरी को अपह्रत बच्ची से उसी दिन सबसे पहले सांझी राम के नाबालिग भतीजे ने बलात्कार किया था. सांझी राम को इस घटना की जानकारी 13 जनवरी को मिली जब उसके भतीजे ने अपना गुनाह कबूल किया. सांझी राम ने जांचकर्ताओं को बताया कि उसने ‘देवीस्थान ’में पूजा की और अपने भतीजे को घर प्रसाद ले जाने को कहा, लेकिन वह देर करता रहा. इसके गुस्से में उसे पीट दिया. पिटने के बाद नाबालिग ने सोचा कि शायद उसके चाचा को लड़की से रेप करने की बात पता चल गई है और उसने खुद ही सारी बात कबूल कर ली. नाबालिग ने अपने चचेरे भाई विशाल ( सांझी राम का बेटा ) को भी इस मामले में फंसाया और कहा कि दोनों ने मंदिर के अंदर बच्ची से बलात्कार किया. यह जानने के बाद सांझी राम ने तय किया कि बच्ची को मार दिया जाना चाहिए, जिससे वह अपने बेटे तक पहुंचने वाले हर सुराग को मिटा सके. साथ ही घूमंतु समुदाय को भगाने के अपने मकसद को भी हासिल कर सके.
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इसके बाद 14 जनवरी को सांझी राम ने बच्ची की हत्या कर दी. हालांकि इसके बाद चीजें योजना के मुताबिक नहीं हुईं. वह बच्ची को मारने के बाद उसे हीरानगर नहर में फेंकना चाहता था, लेकिन वाहन का इंतजाम नहीं होने के कारण उसे उसी‘देवीस्थान ’ में वापस ले आया जिसका सांझी राम सेवादार था. बाद में बच्ची का शव 17 जनवरी को जंगल से बरामद हुआ था. जांचकर्ताओं ने बताया कि सांझी राम ने अपने भतीजे को जुर्म स्वीकार करने के लिए तैयार कर लिया था, लेकिन बेटे विशाल को इससे दूर रखा और उसे आश्वासन दिया था कि उसे रिमांड होम से जल्द बाहर निकाल लेगा. गौरतलब है कि इस मामले में नाबालिग के अलावा सांझी राम , उसके बेटे विशाल और पांच अन्य को आरोपी बनाया गया है। जांचकर्ताओं ने पीटीआई - भाषा को बताया कि बच्ची को हिंदू वर्चस्व वाले इलाके से घुमंतू समुदाय के लोगों को डराने और हटाने के लिए यह पूरी साजिश रची गई. दूसरी तरफ, सांझी राम के वकील अंकुर शर्मा ने जांचकर्ताओं द्वारा किए जा रहे घटना के इस वर्णन पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया और कहा कि वह अपनी बचाव रणनीति नहीं बता सकते.
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जांचकर्ताओं ने बताया कि 10 जनवरी को अपह्रत बच्ची से उसी दिन सबसे पहले सांझी राम के नाबालिग भतीजे ने बलात्कार किया था. सांझी राम को इस घटना की जानकारी 13 जनवरी को मिली जब उसके भतीजे ने अपना गुनाह कबूल किया. सांझी राम ने जांचकर्ताओं को बताया कि उसने ‘देवीस्थान ’में पूजा की और अपने भतीजे को घर प्रसाद ले जाने को कहा, लेकिन वह देर करता रहा. इसके गुस्से में उसे पीट दिया. पिटने के बाद नाबालिग ने सोचा कि शायद उसके चाचा को लड़की से रेप करने की बात पता चल गई है और उसने खुद ही सारी बात कबूल कर ली. नाबालिग ने अपने चचेरे भाई विशाल ( सांझी राम का बेटा ) को भी इस मामले में फंसाया और कहा कि दोनों ने मंदिर के अंदर बच्ची से बलात्कार किया. यह जानने के बाद सांझी राम ने तय किया कि बच्ची को मार दिया जाना चाहिए, जिससे वह अपने बेटे तक पहुंचने वाले हर सुराग को मिटा सके. साथ ही घूमंतु समुदाय को भगाने के अपने मकसद को भी हासिल कर सके.
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इसके बाद 14 जनवरी को सांझी राम ने बच्ची की हत्या कर दी. हालांकि इसके बाद चीजें योजना के मुताबिक नहीं हुईं. वह बच्ची को मारने के बाद उसे हीरानगर नहर में फेंकना चाहता था, लेकिन वाहन का इंतजाम नहीं होने के कारण उसे उसी‘देवीस्थान ’ में वापस ले आया जिसका सांझी राम सेवादार था. बाद में बच्ची का शव 17 जनवरी को जंगल से बरामद हुआ था. जांचकर्ताओं ने बताया कि सांझी राम ने अपने भतीजे को जुर्म स्वीकार करने के लिए तैयार कर लिया था, लेकिन बेटे विशाल को इससे दूर रखा और उसे आश्वासन दिया था कि उसे रिमांड होम से जल्द बाहर निकाल लेगा. गौरतलब है कि इस मामले में नाबालिग के अलावा सांझी राम , उसके बेटे विशाल और पांच अन्य को आरोपी बनाया गया है। जांचकर्ताओं ने पीटीआई - भाषा को बताया कि बच्ची को हिंदू वर्चस्व वाले इलाके से घुमंतू समुदाय के लोगों को डराने और हटाने के लिए यह पूरी साजिश रची गई. दूसरी तरफ, सांझी राम के वकील अंकुर शर्मा ने जांचकर्ताओं द्वारा किए जा रहे घटना के इस वर्णन पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया और कहा कि वह अपनी बचाव रणनीति नहीं बता सकते.
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