
'पाकिस्तान कभी नहीं सुधरेगा, झूठ बोलना उसकी फितरत का हिस्सा है....' भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए पाकिस्तान को ऐसा सबक सिखाया है, जिसकी गूंज पूरी दुनिया ने सुनी है. पाकिस्तान को अब ये समझ में आ गया है कि भारत अब रुकने वाला नहीं है. आतंकवाद के खिलाफ भारत अब कड़े से कड़ा रुख अपनाने से पहले एक बार भी नहीं सोचेगा. पूर्व सेना प्रमुख रिटायर्ड जनरल निर्मल चंद्र विज का हालांकि, कहना है कि पाकिस्तान सुधरने वाला नहीं है. झूठ बोलने पाकिस्तान का चरित्र है, जिसे वह छोड़ने वाला नहीं है.
हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर की घोषणा के दौरान डायरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशंस (DGMO) की भूमिका चर्चा में है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जब पाकिस्तान घुटनों पर आया, तो उनके डीजीएमओ ही भारत के सामने सीजफायर के लिए गिड़गिड़ाए थे. यह पद, जिसमें सैन्य अभियानों की योजना बनाना और उनकी देखरेख करना भी शामिल है, उतना ही महत्वपूर्ण था (यदि अधिक नहीं) जब भारत और पाकिस्तान ने 1999 में कारगिल युद्ध लड़ा था. उस समय इस पद पर निर्मल चंद्र विज थे, जो 2005 में सेना प्रमुख बने और नियंत्रण रेखा पर 740 किलोमीटर लंबी बाड़ लगाने के निर्णय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
शुक्रवार को एनडीटीवी के साथ एक खास इंटरव्यू में जनरल विज (सेवानिवृत्त) ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद, जिसके दौरान भारत ने पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के हेडक्वार्टरों सहित आतंकवादी ठिकानों पर हमला किया. इस्लामाबाद को यह स्पष्ट संदेश दे दिया गया है कि उसका 'परमाणु प्रपंच' अब काम नहीं करेगा और भारत अपनी राष्ट्रीय अखंडता की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है.

जनरल विज ने यह भी कहा कि उनके अनुभव ने उन्हें सिखाया है कि पाकिस्तान कभी नहीं सुधरेगा और झूठ बोलना उसके चरित्र का हिस्सा है. जनरल विज ने हाल ही में एक पुस्तक 'अलोन इन द रिंग - डिसीजन-मेकिंग इन क्रिटिकल टाइम्स' लिखी है. वह कहते हैं, 'मुझे लगता है कि यह पुस्तक भविष्यसूचक साबित हुई है, क्योंकि मैंने लिखा है कि हमारे पश्चिमी पड़ोसी इतने कट्टर और अविश्वसनीय हैं कि आप वास्तव में उनके बारे में निश्चित रूप से कुछ नहीं कह सकते. और भारत द्वारा शांति बनाए रखने के सभी प्रयासों के बावजूद, वे राज्य द्वारा बढ़ावा दिए जाने वाले आतंकवाद में शामिल रहे हैं.'
जनरल विज ने जनरल तौकीर जिया, जो कारगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी डीजीएमओ थे, उनके साथ अपनी बातचीत को याद करते हुए कहा कि उस समय उनके सामने देश की झूठ बोलने और भ्रम फैलाने की आदत साफतौर से सामने आई थी. उन्होंने बताया, 'आप समझ सकते हैं कि झूठ बोलना उनके चरित्र और इकोसिस्टम का हिस्सा है... एक बार मैंने उनसे कहा था कि जब प्वाइंट 5140 पर कब्जा कर लिया गया (कारगिल युद्ध के दौरान), तो हमें बहुत सारे नक्शे मिले हैं, जो विधिवत चिह्नित हैं. इसके जवाब में वे केवल 'अहमक' कह पाए, जिसका अर्थ है 'मूर्ख' या 'बेवकूफ'. यही उनकी समस्या है... वे सच नहीं बोलेंगे.'
यह पूछे जाने पर कि कारगिल और अब के बीच हालात कैसे बदल गए हैं और क्या युद्ध एक विकल्प है...? पूर्व सेना प्रमुख ने कहा कि उन्हें लगता है कि अगर पाकिस्तानी डीजीएमओ ने पिछले सप्ताह अपने भारतीय समकक्ष को फोन करके उनसे संपर्क नहीं किया होता, तो भारत "किसी भी हद तक जा सकता था". वहीं, उन्होंने कहा, 'अगर आप किसी सैनिक से पूछें, तो मुझे नहीं लगता कि युद्ध एक विकल्प है, भले ही लड़ना हमारा काम है और हम शायद कभी-कभी लड़ने के लिए उत्सुक हो जाते हैं. लेकिन युद्ध कभी भी बहुत कुछ हल नहीं करता है आखिरकार, आपको बातचीत की मेज पर जाना होगा. लेकिन दूसरे व्यक्ति को होश में लाने के लिए- जैसा कि नेपोलियन ने कहा था, अगर आप दूसरे के सिर पर बंदूक तानते हैं, तो उसकी समझदारी बेहतर हो जाती है और वह बात करने के लिए कहीं अधिक समझदार हो जाता है. इसलिए युद्ध दूसरे व्यक्ति को समझ के उचित स्तर पर लाने और (उसे) अधिक समझदारी से बात करने के लिए एक विकल्प है.' जनरल विज ने यह भी बताया कि पाकिस्तान के बारे में कुछ भी भविष्यवाणी करना बहुत मुश्किल है, क्योंकि यह स्पष्ट नहीं है कि सेना को सरकार नियंत्रित कर रही है या स्थिति उलटी है.

जनरल विज ने कहा, "भारत कहीं अधिक मजबूत देश हैं और हमने दुनिया को दिखाया है कि हम बहुत ही तर्कसंगत हैं. पहली ब्रीफिंग, जो विदेश सचिव और दो महिला अधिकारियों द्वारा दी गई थी (जिन्होंने बहुत अच्छा काम किया) यह स्पष्ट कर दिया गया था कि यह प्रतिक्रिया थी. हमने आतंकवादी ठिकानों पर हमला किया था और एक देश के रूप में पाकिस्तान के खिलाफ हमारे मन में कुछ भी नहीं था और हम इसे बढ़ाना नहीं चाहते थे. लेकिन उन्होंने इसे बढ़ाया... और अंजाम भुगता. मुझे लगता है कि कश्मीर हर मामले में पाकिस्तान को एकजुट करने का एक हथियार रहा है. इसलिए उनके कामकाज के तंत्र को समझना बहुत मुश्किल है.'
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