केस की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी वकील को फटकार भी लगाई.
नई दिल्ली:
हिमाचल प्रदेश के कसौली में अवैध निर्माण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश सरकार को लगाई फटकार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार जिस तरह से इस मामले में काम कर रही है, वो बर्दाश्त नही किया जा सकता. कोर्ट ने स्टेट्स रिपोर्ट पर भी नाराजगी जताई है. वहीं, हिमाचल प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि आरोपी न्यायिक हिरासत में है और अब आरोप पत्र दाखिल करेंगे. दूसरी तरफ, कसौली में अवैध निर्माण के मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट उस वक्त गुस्सा हो गया जब हिमाचल सरकार की ओर से पेश वकील अभिनव मुखर्जी ने जस्टिस मदन बी लोकुर, जस्टिस अब्दुल नजीर और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच को हिमाचल हाईकोर्ट के एक केस से संबंधी कागजात दिया और कहा कि अवैध निर्माण से संबंधित ये केस हाईकोर्ट में लंबित है और इसे दाखिल करने वाली याचिकाकर्ता पूनम गुप्ता हैं. जो सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई कर रही बेंच में शामिल जस्टिस दीपक गुप्ता की पत्नी हैं. ऐसे में उनको इस मामले की सुनवाई नहीं करनी चाहिए.
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इस बात पर बेंच ने नाराजगी जाहिर की और कहा कि क्या आपने ये याचिका पढ़ी है ? यह मामला कुछ और है और ये फॉरेस्ट की जमीन से जुडा मामला है. बिना जानकारी के इस तरह की बात नहीं करनी चाहिए. कोर्ट ने कहा कि आप कोर्ट के अफसर और काबिल वकील हैं. किसी सरकार के प्रवक्ता नहीं. आपको खुद पहले चीजें समझनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के वकील को कहा कि आप सरकारी वकील है, कोई राज्य सरकार के ‘ चम्मच’ नहीं हैं. सुप्रीम कोर्ट ने दो महीने के भीतर फिर से स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने कसौली में होटलों में किए गए अवैध निर्माण को ढहाने के आदेश दिए थे. इसी दौरान कारवाई के वक्त होटल मालिक ने एक महिला अफसर की गोली मारकर हत्या कर दी थी. इस घटना पर सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लेकर सुनवाई शुरू की थी.
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गौरतलब है कि कसौली में अवैध निर्माण के मामले में पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश सरकार को कहा था कि उन अधिकारियों के नाम बताएं और उनके खिलाफ क्या करवाई की है उसकी डिटेल रिपोर्ट दें जिनके कार्यकाल में कसौली में अवैध निर्माण हुआ है. हिमाचल में अवैध निर्माण को रोकने के लिए क्या गाइड लाइन है. हिमाचल प्रदेश सरकार ये बताए कि राज्य में अवैध निर्माण को रोकने के लिए क्या क्या कदम उठाए गए हैं. अगर राज्य में अवैध निर्माण हुए हैं तो उनको गिराने के लिए सरकार क्या काम कर रही है.
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इस बात पर बेंच ने नाराजगी जाहिर की और कहा कि क्या आपने ये याचिका पढ़ी है ? यह मामला कुछ और है और ये फॉरेस्ट की जमीन से जुडा मामला है. बिना जानकारी के इस तरह की बात नहीं करनी चाहिए. कोर्ट ने कहा कि आप कोर्ट के अफसर और काबिल वकील हैं. किसी सरकार के प्रवक्ता नहीं. आपको खुद पहले चीजें समझनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के वकील को कहा कि आप सरकारी वकील है, कोई राज्य सरकार के ‘ चम्मच’ नहीं हैं. सुप्रीम कोर्ट ने दो महीने के भीतर फिर से स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है. दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने कसौली में होटलों में किए गए अवैध निर्माण को ढहाने के आदेश दिए थे. इसी दौरान कारवाई के वक्त होटल मालिक ने एक महिला अफसर की गोली मारकर हत्या कर दी थी. इस घटना पर सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लेकर सुनवाई शुरू की थी.
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गौरतलब है कि कसौली में अवैध निर्माण के मामले में पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश सरकार को कहा था कि उन अधिकारियों के नाम बताएं और उनके खिलाफ क्या करवाई की है उसकी डिटेल रिपोर्ट दें जिनके कार्यकाल में कसौली में अवैध निर्माण हुआ है. हिमाचल में अवैध निर्माण को रोकने के लिए क्या गाइड लाइन है. हिमाचल प्रदेश सरकार ये बताए कि राज्य में अवैध निर्माण को रोकने के लिए क्या क्या कदम उठाए गए हैं. अगर राज्य में अवैध निर्माण हुए हैं तो उनको गिराने के लिए सरकार क्या काम कर रही है.
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