बेंगलुरु:
कर्नाटक में बीजेपी सत्ता से बेदखल होने जा रही है, और कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिल जाने के आसार दिखाई देने लगे हैं। कांग्रेस के साथ-साथ जनता दल (सेक्युलर) को भी खासी सफलता मिलती दिखाई दे रही है, और बीजेपी से बागी हुए पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा की पार्टी केजेपी भी हाजिरी दर्ज कराने में कामयाब रही है।
राज्य की 224-सदस्यीय विधानसभा में से 223 सीटों के लिए हुए मतदान के बाद बुधवार सुबह से हो रही मतगणना के दौरान बिल्कुल वैसे ही परिणाम सामने आ रहे हैं, जैसे सभी एक्ज़िट पोल बता रहे थे। पूर्वानुमानों के मुताबिक ही सत्तासीन बीजेपी को सबसे ज़्यादा नुकसान हुआ है, जबकि कांग्रेस को काफी लाभ मिला।
अब तक सभी 223 सीटों के रुझान आ चुके हैं, जबकि 17 परिणामों की भी घोषणा की जा चुकी है। इस समय कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिल गया है, और वह 13 सीटों पर जीत के साथ कुल 116 सीटों पर आगे है। जेडीएस दूसरे नंबर पर रहकर 42 सीटों पर आगे है, जिनमें एक जीत शामिल है। इस वक्त राज्य में सत्तासीन बीजेपी के उम्मीदवार एक जीत सहित कुल 35 सीटों पर आगे चल रहे हैं। उधर, येदियुरप्पा की केजेपी 14 सीटों पर और अन्य उम्मीदवार दो सीटों पर जीत के साथ 16 सीटों पर आगे हैं। रुझानों से यह भी पता चलता है कि सिर्फ बीजेपी को ही 75 सीटों का नुकसान हुआ है, जबकि कांग्रेस को 37, जेडीएस को 14, व केजेपी को 14 सीटों का लाभ हुआ है, और अन्य उम्मीदवार 10 सीटों पर फायदे में हैं।
224 सीटों में से 223 सीटों के लिए मतदान 5 मई को हुआ था, जिसमें राज्य के करीब 4.35 करोड़ मतदाताओं में 70.23 फीसदी लोगों ने अपने मताधिकार का उपयोग किया था।
पिछली विधानसभा में बीजेपी के 110 विधायक थे और यह संख्या बहुमत से तीन कम थी। पार्टी पांच निर्दलीय उम्मीदवारों के बल पर राज्य में सरकार चला रही थी, जिन्हें मंत्रालय में शामिल किया गया था।
प्रथमदृष्ट्या लगता है कि येदियुरप्पा ने बीजेपी को नुकसान पहुंचाने का काम पूरा कर लिया है। पिछले चुनावों में बीजेपी को कांग्रेस से करीब एक फीसदी कम वोट मिले थे, फिर भी वह 30 सीट ज्यादा जीतने में सफल रही थी।
राज्य में कांग्रेस करीब सात वर्षों से सत्ता में नहीं है। तत्कालीन मुख्यमंत्री एन धरम सिंह ने पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा की पार्टी जेडीएस के साथ गठबंधन सरकार चलाई थी और 2006 में जेडीएस ने समर्थन वापस ले लिया था। दो वर्ष पूर्व हुए विधानसभा चुनावों के बाद किसी दल को बहुमत नहीं मिला।
कांग्रेस अपने दम पर अंतिम बार 1999 में सत्ता में आई थी और तब एसएम कृष्णा मुख्यमंत्री बने थे। वर्ष 2008 में हुए चुनावों में बीजेपी सत्ता में आई थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री एचडी कुमारास्वामी ने 20 महीने तक गठबंधन सरकार चलाने के बाद वादे के मुताबिक बीजेपी को सत्ता नहीं सौंपी थी, जिसके बाद बीजेपी जनता की सहानुभूति का पुरस्कार हासिल कर सत्ता में आई थी।
राज्य की 224-सदस्यीय विधानसभा में से 223 सीटों के लिए हुए मतदान के बाद बुधवार सुबह से हो रही मतगणना के दौरान बिल्कुल वैसे ही परिणाम सामने आ रहे हैं, जैसे सभी एक्ज़िट पोल बता रहे थे। पूर्वानुमानों के मुताबिक ही सत्तासीन बीजेपी को सबसे ज़्यादा नुकसान हुआ है, जबकि कांग्रेस को काफी लाभ मिला।
अब तक सभी 223 सीटों के रुझान आ चुके हैं, जबकि 17 परिणामों की भी घोषणा की जा चुकी है। इस समय कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिल गया है, और वह 13 सीटों पर जीत के साथ कुल 116 सीटों पर आगे है। जेडीएस दूसरे नंबर पर रहकर 42 सीटों पर आगे है, जिनमें एक जीत शामिल है। इस वक्त राज्य में सत्तासीन बीजेपी के उम्मीदवार एक जीत सहित कुल 35 सीटों पर आगे चल रहे हैं। उधर, येदियुरप्पा की केजेपी 14 सीटों पर और अन्य उम्मीदवार दो सीटों पर जीत के साथ 16 सीटों पर आगे हैं। रुझानों से यह भी पता चलता है कि सिर्फ बीजेपी को ही 75 सीटों का नुकसान हुआ है, जबकि कांग्रेस को 37, जेडीएस को 14, व केजेपी को 14 सीटों का लाभ हुआ है, और अन्य उम्मीदवार 10 सीटों पर फायदे में हैं।
224 सीटों में से 223 सीटों के लिए मतदान 5 मई को हुआ था, जिसमें राज्य के करीब 4.35 करोड़ मतदाताओं में 70.23 फीसदी लोगों ने अपने मताधिकार का उपयोग किया था।
पिछली विधानसभा में बीजेपी के 110 विधायक थे और यह संख्या बहुमत से तीन कम थी। पार्टी पांच निर्दलीय उम्मीदवारों के बल पर राज्य में सरकार चला रही थी, जिन्हें मंत्रालय में शामिल किया गया था।
प्रथमदृष्ट्या लगता है कि येदियुरप्पा ने बीजेपी को नुकसान पहुंचाने का काम पूरा कर लिया है। पिछले चुनावों में बीजेपी को कांग्रेस से करीब एक फीसदी कम वोट मिले थे, फिर भी वह 30 सीट ज्यादा जीतने में सफल रही थी।
राज्य में कांग्रेस करीब सात वर्षों से सत्ता में नहीं है। तत्कालीन मुख्यमंत्री एन धरम सिंह ने पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा की पार्टी जेडीएस के साथ गठबंधन सरकार चलाई थी और 2006 में जेडीएस ने समर्थन वापस ले लिया था। दो वर्ष पूर्व हुए विधानसभा चुनावों के बाद किसी दल को बहुमत नहीं मिला।
कांग्रेस अपने दम पर अंतिम बार 1999 में सत्ता में आई थी और तब एसएम कृष्णा मुख्यमंत्री बने थे। वर्ष 2008 में हुए चुनावों में बीजेपी सत्ता में आई थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री एचडी कुमारास्वामी ने 20 महीने तक गठबंधन सरकार चलाने के बाद वादे के मुताबिक बीजेपी को सत्ता नहीं सौंपी थी, जिसके बाद बीजेपी जनता की सहानुभूति का पुरस्कार हासिल कर सत्ता में आई थी।
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