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This Article is From Oct 14, 2022

हिजाब पर सुप्रीम कोर्ट के अंतिम फैसले का है इंतजार, पूरे देश में होगा लागू: CM बसवराज बोम्मई

Karnataka Hijab Row: बोम्मई ने कहा, "हिजाब विवाद के बहुत सारे आयाम हैं. छात्राओं की मांग अलग है, जबकि सरकार का आदेश अलग है. चूंकि इसमें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दे शामिल हैं, इसलिए सरकार अदालत से स्पष्ट फैसले की उम्मीद कर रही है."

हिजाब पर सुप्रीम कोर्ट के अंतिम फैसले का है इंतजार, पूरे देश में होगा लागू: CM बसवराज बोम्मई
मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा, "हिजाब विवाद के बहुत सारे आयाम हैं. (फाइल फोटो)
बेल्लारी (कर्नाटक):

कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने बृहस्पतिवार को कहा कि हिजाब पर सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला महत्वपूर्ण होगा क्योंकि वह पूरे देश पर लागू होगा. उन्होंने हुविनाहडगली में संवाददाताओं से कहा, ‘‘हिजाब विवाद पर अंतिम फैसला बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसका प्रभाव केवल कर्नाटक तक नहीं बल्कि पूरे देश पर होगा. इसलिए अंतिम फैसले का इंतजार करना होगा.''

बोम्मई ने कहा कि शीर्ष अदालत के दो न्यायाधीशों ने इस विवाद पर अपना फैसला सुनाया है और वह फैसले की कॉपी पढ़ने के बाद ही प्रतिक्रिया देंगे.

कर्नाटक में हिजाब प्रतिबंध पर सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की बेंच ने कल (गुरुवार) विभाजित फैसला दिया था. इसके बाद, खंडपीठ ने उसे CJI के पास भेज दिया, ताकि मामले को बड़ी पीठ के पास भेजा जा सके और कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील सुनी जा सके. इससे पहले अपना फैसला सुनाते हुए जस्टिस सुधांशु धुलिया ने मुस्लिम छात्राओं का पक्ष लिया था.

बोम्मई ने कहा, "हिजाब विवाद के बहुत सारे आयाम हैं. छात्राओं की मांग अलग है, जबकि सरकार का आदेश अलग है. चूंकि इसमें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दे शामिल हैं, इसलिए सरकार अदालत से स्पष्ट फैसले की उम्मीद कर रही है."

मामले की सुनवाई कर रहे दूसरे जज जस्टिस हेमंत गुप्ता ने शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध हटाने से इनकार करने वाले  कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपील खारिज कर दी. उच्च न्यायालय के फैसले से सहमत होते हुए जस्टिस गुप्ता ने कहा, "मतभेद है."

जस्टिस गुप्ता ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा, "सिख धर्म के अनुयायियों की आवश्यक धार्मिक प्रथाओं को इस्लामिक आस्था के विश्वासियों द्वारा हिजाब / हेडस्कार्फ़ पहनने का आधार नहीं बनाया जा सकता है."

हालांकि, जस्टिस धूलिया, जिन्होंने यह भी टिप्पणी की कि आवश्यक धार्मिक प्रथाओं का गठन उस धर्म के सिद्धांत पर छोड़ दिया गया है, ने कहा कि "यह आवश्यक धार्मिक अभ्यास का मामला हो भी सकता है और नहीं भी, लेकिन यह अभी भी अंतरात्मा, विश्वास और अभिव्यक्ति का मामला है."

जस्टिस धूलिया ने 73 पन्नों का एक अलग फैसला लिखते हुए कहा, ‘‘लड़कियों को स्कूल के गेट पर प्रवेश करने से पहले हिजाब उतारने के लिए कहना, पहले उनकी निजता पर आक्रमण है, फिर यह उनकी गरिमा पर हमला है, और फिर अंततः यह उनके लिए धर्मनिरपेक्ष शिक्षा को नकारना है.''

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