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'क्यों नाकाफी थी तैयारी...' बेंगलुरु भगदड़ पर सख्त हाई कोर्ट ने कर्नाटक सरकार से मांगा जवाब

RCB के विक्ट्री परेड के दौरान चिन्नास्वामी स्टेडियम में मची जानलेवा भगदड़ पर कर्नाटक हाई कोर्ट सख्त है. कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है.

'क्यों नाकाफी थी तैयारी...' बेंगलुरु भगदड़ पर सख्त हाई कोर्ट ने कर्नाटक सरकार से मांगा जवाब
चिन्नास्वामी स्टेडियम के पास भगदड़ के दौरान क्या स्थिति रही होगी, यह तस्वीर बयां कर रही है.

Bengaluru Stampede: "जब लाखों की भीड़ जमा हो रही थी, तब तैयारी क्यों नाकाफी थी?" कर्नाटक हाई कोर्ट ने गुरुवार को बेंगलुरु भगदड़ पर स्वतः संज्ञान लेते हुए सुनवाई की और सरकार से जवाब मांगते हुए उक्त टिप्पणी की. मालूम हो कि आरसीबी की जीत के बाद बेंगलुरु में चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर हुए दर्दनाक भगदड़ हादसे ने पूरे राज्य को झकझोर दिया है. इस घटना पर कर्नाटक उच्च न्यायालय ने स्वतः संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से जवाब तलब किया. अदालत ने इस मामले को ‘जनहित से जुड़ा गंभीर मुद्दा' बताते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है और विस्तृत स्टेटस रिपोर्ट मांगी.

राज्य की तरफ से क्या बोली सरकार?

राज्य सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल शशि किरण शेट्टी ने अदालत के सामने पक्ष रखा. उन्होंने बताया कि:
घटना के दिन पुलिस कमिश्नर और अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारी, कुल मिलाकर 1483 पुलिसकर्मी मौके पर ड्यूटी पर तैनात थे. फिर भी स्टेडियम के बाहर 2.5 लाख से अधिक लोग उमड़ पड़े — भीड़ पर नियंत्रण पूरी तरह टूट गया.

न्यायालय ने उठाए सवाल

उच्च न्यायालय: "क्या एम्बुलेंस मौके पर तैनात थीं?"
एजी का जवाब: "हां, लेकिन उनकी संख्या पर्याप्त नहीं थी."

उच्च न्यायालय: "कुल कितने गेट थे?"
एडवोकेट जनरल: "स्टेडियम में कुल 21 गेट हैं और सभी खुले रखने के निर्देश दिए गए थे. लोगों को भीतर बैठने की अनुमति दी गई थी."

सरकार ने कहा- हम किसी को नहीं बख्शेंगे

उन्होंने यह भी कहा कि घटना के तुरंत बाद जांच शुरू कर दी गई है, सभी जिम्मेदारों को नोटिस दिए गए हैं. FIR दर्ज हो चुकी है, और सरकार इस मामले में “किसी को नहीं बख्शेगी.” इस भगदड़ में 11 लोगों की जान गई और 45 लोग घायल हुए

उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने बयान दिया कि बेंगलुरु के पुलिस कमिश्नर बी. दयानन्द ने पहले ही रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) को विजय जुलूस या किसी बड़े आयोजन की इजाजत नहीं दी थी.

सूत्रों का कहना है कि पुलिस ने आयोजकों से कम से कम दो दिन की मोहलत मांगी थी ताकि सुरक्षा इंतजामों को पुख्ता किया जा सके, लेकिन कार्यक्रम की योजना जल्दबाज़ी में बनाई गई.

अगली सुनवाई मंगलवार को

इस मामले की अगली सुनवाई मंगलवार को होने वाली है, और पूरे राज्य की नजरें अब कर्नाटक हाई कोर्ट की कार्यवाही पर टिकी हुई हैं. 

इस बीच बेंगलुरू के डीसी यानी डिप्टी कमिश्नर  जी जगदीश ने मजिस्ट्रियल जांच शुरू कर दी है. 15 दिनों के अंदर उन्हें राज्य सरकार को जांच रिपोर्ट सौंपनी है

लेकिन बड़ा सवाल ये है कि जब पुलिस कमिश्नर ने जुलूस की इजाज़त नहीं दी थी तो विधान सभा में कार्यक्रम किसकी इजाजत से हुआ. वहां से बस में टीम चेन्नास्वामी स्टेडियम तक किसकी इजाजत से ले जाया गया

उम्मीद से ज्यादा भीड़ जमा हुई, सरकार का यह जवाब पल्ला झाड़ने वाला

सरकार को इन सवालों का जवाब देना ही पड़ेगा क्योंकि बड़ी संख्या में लोगों की जान गई है. मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का ये कहना कि उम्मीद से ज्यादा भीड़ इकठ्ठा हुई थी ये तर्क संगत नहीं लगता क्योंकि RCB की जीत के बाद बेंगलुरु के साथ-साथ राज्य भर में फैंस 4 बजे सुबह तक जश्न मनाते नजर आए थे.

ऐसे में बड़ी भीड़ इकठ्ठा होगी, इसका अंदाजा इंटेलीजेंस के साथ साथ पुलिस को भी थी. ये सूचना सरकार तक नहीं पहुंचाई गई हो ऐसा नहीं हो सकता.

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