वरिष्ठ कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ बगावत करने वाले पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट पर जमकर निशाना साधा. सिब्बल ने कहा कि आप सिर्फ 20-25 विधायकों के समर्थन के साथ एक राज्य के मुख्यमंत्री नहीं हो सकते. कांग्रेस नेता यह बात शुक्रवार को राजस्थान हाईकोर्ट से पायलट को मिली फौरी राहत के कुछ घंटों बाद एक न्यूज कॉन्फ्रेंस के माध्यम से कही. सिब्बल ने कहा, "आप जनता के सामने पार्टी को तमाशा नहीं बना सकते."
कपिल सिब्बल ने कहा, "मैं सचिन से पूछना चाहता हूं, क्या आप मुख्यमंत्री बनना चाहते हैं? हमें बताएं? विरोध क्यों? अगर आप कहते हैं कि आप बीजेपी में शामिल नहीं हो रहे हैं, तो आप हरियाणा में क्यों बैठे हैं? आप कांग्रेस की बैठकों में क्यों नहीं आए? क्या तुम अपनी अलग पार्टी बनाना चाहते हो? जो भी हो, लेकिन तुम्हे सामने आकर अपनी बात रखनी चाहिए, होटल के अंदर मत बैठे रहो."
वरिष्ठ वकील सिब्बल सुप्रीम कोर्ट में सचिन पायलट के खिलाफ राजस्थान के स्पीकर की तरफ से पक्ष रख रहे हैं. उन्होंने कहा, "आपके इन कृत्यों से पार्टी में घमासान मचा हुआ है, आप ऐसे जनता के सामने पार्टी का तमाशा नहीं बना सकते हैं, मुझे पूरा विश्वास है कि आपकी ऐसी कोई मंशा नहीं है."
बता दें कि पिछले दो सप्ताह में, पायलट ने 18 अन्य विधायकों के समर्थन के साथ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंक दिया है, जोकि बीजेपी शासित हरियाणा में कहीं रुके हुए हैं. कांग्रेस के पास विपक्ष पर मामूली बढ़त है और राजस्थान के 200 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए आवश्यक 101 विधायकों में से दो विधायक अधिक है. टीम पायलट में 19 विधायक हैं और बीजेपी के पास 72 विधायक हैं. छोटे दलों और निर्दलीय सदस्यों को शामिल करते हुए, विपक्ष के पास इस समय 97 हैं.
कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा कि वह राजस्थान उच्च न्यायालय के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी, जिसमें कहा गया है कि सचिन पायलट और पार्टी के अन्य बागी नेताओं के खिलाफ अब कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती.
इस आदेश को स्पीकर सीपी जोशी द्वारा तत्काल अयोग्य ठहराए जाने के खिलाफ समूह के लिए एक दमनकारी के रूप में देखा गया था. हालांकि हाईकोर्ट द्वारा टीम पायलट के सुबह 11 बजे मामले में केंद्र को शामिल करने के अनुरोध के बाद भी फैसला आने में देरी हुई, इसलिए यह इस पर तौला जा सकता है कि क्या विरोधी कानून उन पर लागू होता है.
गुरुवार को, सर्वोच्च न्यायालय सिब्बल ने अध्यक्ष का बचाव किया, कोर्ट ने उच्च न्यायालय को फैसला देने से रोकने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि "असंतोष की आवाज" को लोकतंत्र में नहीं दबाया जा सकता. शुक्रवार को NDTV से बात करते हुए, सिब्बल ने कहा, "अदालत को कैसे पता चलता है कि यह पार्टी के भीतर असंतोष है? उनकी मांग एक साल में मुख्यमंत्री बनने की थी. क्या यह असहमति है?"
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हाईकोर्ट के आदेश के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, "यदि हाईकोर्ट के जज सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों द्वारा दिए गए आदेशों का पालन नहीं करने जा रहे हैं, तो फिर मुझे अपना वकील का चोला उतार देना चाहिए."
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