कोलकाता रेप मर्डर मामले की सुनवाई के दौरान अदालत का माहौल बेहद गंभीर था... लेकिन सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की एक दलील पर पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश हुए सीनियर वकील कपिल सिब्बल हंस पड़े. इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कपिल सिब्बल से कहा- कम से कम हंसिए तो मत... मामले की सुनवाई के दौरान आज सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार, राज्य की पुलिस और अस्पताल प्रशासन पर कई सवाल उठाए.
मामले की सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल केस डायरी का हवाला देते हुए बता रहे थे, कि पुलिस को कब जानकारी दी गई. मामले में कितनी लापरवाही बरती गई. इस पर कपिल सिब्बल मुस्कुराने लगे. कपिल सिब्बल को देख सॉलिसिटर जनरल को गुस्सा आ गया. उन्होंने कहा, "किसी ने अपनी जान गंवाई है... कम से कम हंसिए तो मत."
'कम से कम हंसिए तो मत..'
— NDTV India (@ndtvindia) August 22, 2024
कोलकाता रेप-मर्डर केस पर सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बंगाल सरकार के वकील कपिल सिब्बल की हंसी पर जताया ऐतराज.#KolkataDoctorDeath । #SupremeCourt । #KapilSibbal pic.twitter.com/LFQjmm0ZYf
सुप्रीम कोर्ट ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में महिला चिकित्सक से बलात्कार एवं उसकी हत्या के संबंध में अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज करने में कोलकाता पुलिस की देरी को ‘‘बेहद परेशानी वाली बात'' बताया. जस्टिस पारदीवाला ने पूछा- जब आप पोस्टमार्टम करना शुरू करते हैं, तो इसका मतलब है कि यह अप्राकृतिक मौत का मामला है. रात को 23:20 बजे अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज किया गया था, 9 अगस्त को GD एंट्री और एफआईआर 11:45 बजे दर्ज की गई थी, क्या यह सच है?
जस्टिस पार्टी वाला ने कहा, "यह बहुत चौंकाने वाला है कि अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज करने से पहले ही पोस्ट मार्टम शुरू कर दिया गया? जज ने सिब्बल से कहा, "आप जिम्मेदारी के साथ बयान दीजिए जल्दबाजी में नहीं. अप्राकृतिक मौत का मामला कब दर्ज किया गया?" सिब्बल ने इस पर कहा- 1:46 बजे. फिर जज ने पूछा कि यह डिटेल आप कहां से कोट कर रहे हैं? कपिल सिब्बल को जवाब देने में समय लग रहा था, तो कोर्ट ने कहा कि अगली बार से जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों को साथ में रखा कीजिए.
बता दें कि सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में पेश की गई स्टेटस रिपोर्ट में कई चौंकानेवाले खुलासे किये हैं. सीबीआई का कहना है कि पूरे मामले को लेकर अस्पताल प्रशासन का रवैया सवालों के घेरे में नजर आता है. पीड़िता के परिजनों को घटना की सूचना काफी देरी से पहुंचाई गई. परिवार को पहले पीडि़ता के बीमार होने और फिर सुसाइड की खबर दी गई. सीबीआई ने यह भी दावा की क्राइम सीन बदला गया. साफ नजर आ रहा है कि जुर्म पर पर्दा डालने की कोशिश की गई.
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