भारतीय सेना और अधिक संख्या में K9 वज्र, धनुष और सारंग तोप प्रणालियों को शामिल करके अपनी तोपखाने की मारक क्षमता को बढ़ाने के लिए तैयार है. भारतीय सेना एडवांस्ड टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (एटीएजीएस), माउंटेड गन सिस्टम (एमजीएस) और टोड गन सिस्टम (टीजीएस) को शामिल करने के लिए 155 मिमी गन सिस्टम को भी शामिल करने की प्रक्रिया में है.
दिल्ली में मीडिया को जानकारी देते हुए, आर्टिलरी के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अदोश कुमार ने कहा कि भारतीय सेना की आधुनिकीकरण और क्षमता विकास योजना 'आत्मनिर्भरता' अभियान से जुड़ी है. उन्होंने कहा कि स्वदेशीकरण के जरिए आधुनिकीकरण की दिशा में बढ़ा जा रहा है.
आर्टिलरी के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अदोश कुमार ने बताय कि एटीएजीएस 100 प्रतिशत डीआरडीओ द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया है. उन्होंने कहा कि कॉन्ट्रैक्ट जल्द ही पूरा होने की संभावना है और एमजीएस और टीजीएस दोनों के लिए परीक्षण 2025 में शुरू होने की संभावना है.
रॉकेट प्रणाली के बारे में बात करते हुए लेफ्टिनेंट जनरल कुमार ने पिनाका प्रणाली की सफलता पर कहा कि यह आत्मनिर्भर अभियान की सफलता को दर्शाता है. उन्होंने कहा कि इसकी मारक क्षमता को 120 किलोमीटर, 300 किलोमीटर और उससे भी बेहतर करने पर काम चल रहा है. हाइपरसोनिक मिसाइलों के विकास पर बोलते हुए उन्होंने कहा, हाइपरसोनिक मिसाइलों की रेंज और मारक क्षमता बढ़ाने के लिए अनुसंधान जारी है.
सेना की दीर्घकालिक आधुनिकीकरण योजना पर चर्चा करते हुए लेफ्टिनेंट जनरल कुमार ने कहा कि युद्धक्षेत्र की पारदर्शिता बढ़ाने के लिए आईएसआर यानी इंटेलिजेंस को मजबूत करने पर जोर दिया जा रहा है. रूस और यूक्रेन में चल रहे संघर्ष से उत्पन्न चुनौतियों पर लेफ्टिनेंट जनरल कुमार ने कहा कि भारतीय सेना चुनौतियों और खतरों से प्रभावी तरीके से निपटने के लिए अपनी तैयारियों को बढ़ा रही है.
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