सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के जस्टिस यूयू ललित (UU Lalit) ने सोमवार को उन याचिकाओं पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया जिनमें आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगनमोहन रेड्डी (CM YS Jaganmohan Reddy) के खिलाफ न्यायपालिका पर आरोप लगाने के मामले में कार्रवाई करने का आग्रह किया गया है. जस्टिस ललित ने कहा, ‘‘मेरे लिए मुश्किल है. वकील के तौर पर मैंने एक पक्ष का प्रतिनिधित्व किया था. मैं इसे उस पीठ के समय सूचीबद्ध करने के लिए आदेश पारित करूंगा जिसमें मैं नहीं रहूं.''
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जस्टिस ललित, जस्टिस विनीत सरण और जस्टिस एस. रवींद्र भट्ट की बेंच को तीन याचिकाओं पर सुनवाई करनी थी. इन याचिकाओं में आरोप लगाया गया है कि रेड्डी ने न केवल न्यायपालिका के खिलाफ आरोप लगाते हुए प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे को पत्र लिखा, बल्कि एक संवाददाता सम्मेलन करके झूठे बयान भी दिए.
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गौरतलब है कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री ने छह अक्टूबर को अभूतपूर्व तरीके से चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि उनकी लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार को ‘‘अस्थिर करने और गिराने के लिए आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट का इस्तेमाल किया जा रहा है.'' तीन अलग-अलग याचिकाएं वकील जी. एस. मणि, वकील सुनील कुमार सिंह तथा ‘एंटी-करप्शन काउंसिल ऑफ इंडिया ट्रस्ट' की ओर से दायर की गई हैं.
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