विज्ञापन
Story ProgressBack

न्यायिक सक्रियता शांतिदूत और न्यायिक अतिरेक अतिचारी के समान : पूर्व CJI रंजन गोगोई

राज्यसभा सांसद और पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई ने 'न्यायिक सक्रियता' और 'न्यायिक अतिरेक' के बीच लकीर खींची

Read Time: 3 mins
न्यायिक सक्रियता शांतिदूत और न्यायिक अतिरेक अतिचारी के समान : पूर्व CJI रंजन गोगोई
पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई ने कहा कि जनहित याचिका दोधारी तलवार की तरह है.
गुवाहाटी:

भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) रंजन गोगोई ने शुक्रवार को 'न्यायिक सक्रियता' और 'न्यायिक अतिरेक' के बीच अंतर करते हुए कहा कि यह न्यायपालिका की जिम्मेदारी है कि वह कब बदलाव के लिए उत्प्रेरक के रूप में कार्य करे और कब इसे यथास्थिति कायम रखे. उन्होंने न्यायिक प्रणालियों को बदलते समय के अनुरूप ढालने की जरूरत को भी रेखांकित किया, जिसे विश्व स्तर पर मान्यता मिल रही है.

उन्होंने कहा, ‘‘बदलाव के लिए कब उत्प्रेरक के तौर पर कार्य करना चाहिए और कब यथास्थिति बनाए रखना है, इसका चयन न्यायपालिका की अपार जिम्मेदारी को रेखांकित करता है. इस संदर्भ में 'न्यायिक सक्रियता' और 'न्यायिक अतिरेक' के बीच अंतर काफी महत्वपूर्ण हो जाता है.''

जस्टिस रंजन गोगोई गुवाहाटी हाईकोर्ट के 76वें स्थापना दिवस पर मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे.

राज्यसभा सदस्य जस्टिस गोगोई ने कहा, ‘‘न्यायिक सक्रियता, न्यायिक अतिरेक के समान नहीं है. पहला शांतिदूत है तो दूसरा एक अतिचारी है.''

उन्होंने कहा कि पर्याप्त संसाधनों और कर्मियों से संपन्न एक कार्यात्मक न्यायपालिका अब विलासिता नहीं, बल्कि राष्ट्र के निरंतर विकास के लिए एक अनिवार्यता है.

पूर्व सीजेआई ने कहा कि न्यायिक संस्थाएं केवल ईंटों और गारे से नहीं बनी हैं, बल्कि ये आशा के गलियारे हैं.

उन्होंने कहा कि 'साहसी' न्यायिक सक्रियता अपने साथ यह जोखिम लेकर आती है कि फैसले भले ही नेक इरादे से किए गए हों, कभी-कभी अनपेक्षित परिणामों की ओर ले जाते हैं, जिससे कानूनी निश्चितता का पानी गंदा हो जाता है.

उन्होंने कहा कि जनहित याचिका (PIL) के आगमन से कानूनी परिदृश्य में एक क्रांतिकारी बदलाव आया है,उन्होंने कहा, "न्यायपालिका को विवादों के निष्क्रिय मध्यस्थ से सामाजिक परिवर्तन के लिए एक सक्रिय शक्ति में बदल दिया है और कभी-कभी राजनीतिक जीवन और मूल्यों में भी विवादास्पद बदलाव लाए हैं." 

हालांकि पूर्व सीजेआई ने आगाह किया कि जनहित याचिका भी दोधारी तलवार की तरह है. उन्होंने कहा, "एक तरफ पीआईएल पर्यावरण संरक्षण, मानवाधिकार और सरकारी जवाबदेही सहित विभिन्न क्षेत्रों में ऐतिहासिक बदलाव लाने में सहायक रही है. दूसरी तरफ पीआईएल द्वारा प्रदान की गई व्यापक छूट के कारण कभी-कभी जो देखा जा सकता है वह न्यायिक अतिरेक के रूप में है. अदालतें पारंपरिक रूप से विधायी और कार्यकारी शाखाओं के लिए आरक्षित डोमेन का अतिक्रमण कर रही हैं और राजनीतिक नैतिकता को खत्म कर रही हैं."

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Our Offerings: NDTV
  • मध्य प्रदेश
  • राजस्थान
  • इंडिया
  • मराठी
  • 24X7
Choose Your Destination
Previous Article
दिल्ली में दिन में छाया अंधेरा, रिमझिम बारिश से मौसम हुआ सुहाना; जानिए अगले 24 घंटे NCR का कैसा रहेगा मौसम
न्यायिक सक्रियता शांतिदूत और न्यायिक अतिरेक अतिचारी के समान : पूर्व CJI रंजन गोगोई
Photo: भारत ने जीता टी-20 वर्ल्‍ड कप, जश्‍न में झूमा पूरा देश
Next Article
Photo: भारत ने जीता टी-20 वर्ल्‍ड कप, जश्‍न में झूमा पूरा देश
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com
;