Judicial Activism
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राज्यपाल और राष्ट्रपति के अधिकारों से जुड़े वो 14 सवाल क्या हैं, जिन पर आज आएगा 'सुप्रीम' फैसला
- Thursday November 20, 2025
- Reported by: आशीष भार्गव, Edited by: मनोज शर्मा
सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ गुरुवार को यह अहम फैसला सुना सकती है कि क्या अदालत विधेयकों पर निर्णय लेने के लिए राज्यपाल और राष्ट्रपति की डेडलाइन तय कर सकती है या नहीं.
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राज्यपाल-राष्ट्रपति विधेयकों पर कब तक लें फैसला, समयसीमा पर SC का बड़ा फैसला आज
- Thursday November 20, 2025
- Reported by: आशीष भार्गव, Edited by: मनोज शर्मा
चीफ जस्टिस बी.आर. गवई की अगुवाई वाली 5 जजों की संविधान पीठ यह भी फैसला देगी कि क्या गवर्नर की बिल सम्बंधी शक्तियां न्यायिक समीक्षा के अधीन हैं या नहीं.
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न्यायिक सक्रियता शांतिदूत और न्यायिक अतिरेक अतिचारी के समान : पूर्व CJI रंजन गोगोई
- Saturday April 6, 2024
- Edited by: सूर्यकांत पाठक
भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) रंजन गोगोई ने शुक्रवार को 'न्यायिक सक्रियता' और 'न्यायिक अतिरेक' के बीच अंतर करते हुए कहा कि यह न्यायपालिका की जिम्मेदारी है कि वह कब बदलाव के लिए उत्प्रेरक के रूप में कार्य करे और कब इसे यथास्थिति कायम रखे. उन्होंने न्यायिक प्रणालियों को बदलते समय के अनुरूप ढालने की जरूरत को भी रेखांकित किया, जिसे विश्व स्तर पर मान्यता मिल रही है.
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राज्यपाल और राष्ट्रपति के अधिकारों से जुड़े वो 14 सवाल क्या हैं, जिन पर आज आएगा 'सुप्रीम' फैसला
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सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ गुरुवार को यह अहम फैसला सुना सकती है कि क्या अदालत विधेयकों पर निर्णय लेने के लिए राज्यपाल और राष्ट्रपति की डेडलाइन तय कर सकती है या नहीं.
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राज्यपाल-राष्ट्रपति विधेयकों पर कब तक लें फैसला, समयसीमा पर SC का बड़ा फैसला आज
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चीफ जस्टिस बी.आर. गवई की अगुवाई वाली 5 जजों की संविधान पीठ यह भी फैसला देगी कि क्या गवर्नर की बिल सम्बंधी शक्तियां न्यायिक समीक्षा के अधीन हैं या नहीं.
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न्यायिक सक्रियता शांतिदूत और न्यायिक अतिरेक अतिचारी के समान : पूर्व CJI रंजन गोगोई
- Saturday April 6, 2024
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भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (CJI) रंजन गोगोई ने शुक्रवार को 'न्यायिक सक्रियता' और 'न्यायिक अतिरेक' के बीच अंतर करते हुए कहा कि यह न्यायपालिका की जिम्मेदारी है कि वह कब बदलाव के लिए उत्प्रेरक के रूप में कार्य करे और कब इसे यथास्थिति कायम रखे. उन्होंने न्यायिक प्रणालियों को बदलते समय के अनुरूप ढालने की जरूरत को भी रेखांकित किया, जिसे विश्व स्तर पर मान्यता मिल रही है.
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