छत्तीसगढ़ के पत्रकार मुकेश चंद्राकर हत्या केस में एसआईटी को बड़ी कामयाबी मिली है. हत्याकांड के आरोपी सुरेश को हैदराबाद से हिरासत में लिया है. फिलहाल उससे पूछताछ चल रही है. सुरेश ही वो ठेकेदार है, जिसकी प्रोपर्टी के सेप्टिक टैंक से पत्रकार मुकेश चंद्राकर का शव मिला था. जानकारी के मुताबिक आरोपी सुरेश को देर रात हिरासत में लिया गया. खबर ये भी आ रही कि उसकी पत्नी को भी गिरफ्तार किया गया है. हालांकि इसकी पुष्टि पुलिस की तरफ से नही की गई है.
पुलिस की गिरफ्त में आरोपी सुरेश
इस मामले में अब तक 4 गिरफ्तारियां
इस मामले में पहले ही तीन गिरफ्तारियां हो चुकी है. इस तरह अब इस मामले में 4 गिरफ्तारियां हो चुकी है. पुलिस का कहना है कि उसने इस मामले में कई कड़ियां जोड़ ली है. बताया जा रहा है कि इस मामले की ज्यादा जानकारी देने के लिए पुलिस की तरफ से प्रेस कांफ्रेंस की जा सकती है. मुकेश चंद्रकार का शव पिछले हफ़्ते छत्तीसगढ़ के बस्तर में एक ठेकेदार के शेड में सेप्टिक टैंक में मिला था.
मुकेश को आखिरी बार नए साल के दिन बीजापुर के पुजारी पारा में अपने घर से निकलते हुए देखा गया था और उनके भाई युकेश ने अगले दिन गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई थी. इस मामले की जांच शुरू करने के बाद, पुलिस ने 32 वर्षीय चंद्राकर का शव छतन पारा बस्ती में पाया, जो उनके घर से बहुत दूर नहीं है. मुकेश एक साहसी और निडर पत्रकार थे, वो स्वतंत्र रूप से एनडीटीवी के साथ भी जुड़े हुए थे.
- मुकेश एनडीटीवी सहित अन्य समाचार चैनलों के लिए एक स्वतंत्र पत्रकार के रूप में काम करते थे और एक यूट्यूब चैनल ‘बस्तर जंक्शन' भी चलाते थे, जिसके लगभग 1.59 लाख सब्सक्राइबर हैं.
- उन्होंने अप्रैल 2021 में बीजापुर में टेकलगुडा नक्सली हमले के बाद माओवादियों की कैद से कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह मन्हास को रिहा कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इस घटना में 22 सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए थे.
- पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मुकेश एक जनवरी की रात को लापता हो गए थे और उनके बड़े भाई युकेश चंद्राकर ने अगले दिन पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी.
हाशिए पर खड़े लोगों की आवाज थे मुकेश
मुकेश ने छत्तीसगढ़ के बासागुड़ा जैसे मुश्किल इलाके में उन्होंने पत्रकारिता में नए आयाम स्थापित किए. वो हाशिए पर पड़े लोगों की आवाज बन गए थे. बस्तर में मुकेश महज एक पत्रकार नहीं थे, वो आवाज़ थे उन लोगों की जिनकी कहानियां अक्सर अनसुनी रह जाती हैं. आदिवासियों के पलायन का दर्द हो, सड़कों की बदहाली, स्कूलों और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी. मुकेश ने बस्तर के मुद्दों को अपनी जिंदगी का मिशन बना लिया था.
मुकेश की हत्या की क्या वजह
गंगालूर से नेलशनार तक बन रही सड़क में 1 किलोमीटर के दायरे में 35 से अधिक गड्ढे थे. इस खबर में निलेश कहानी कह रहे थे तो मुकेश कैमरे के पीछे मौजूद थे. इस रिपोर्ट पर सरकार ने तुरंत कार्रवाई की, लेकिन ये कार्रवाई मुकेश के लिए जानलेवा साबित हुई.
मुकेश की सलवा जुडूम की आपबीती
मुकेश ने बताया था कि कैसे जुडूम के नेता ठेकेदार बन गए थे. राहत शिविर में घटिया राशन मिलता, और लोग खेत और मकान छोड़कर मजदूरी करने को मजबूर थे. कई लड़कों के हाथों में डंडे की जगह बंदूकें आ गईं. इसी बीच उनकी मां को कैंसर हो गया. उनके समाज में मौत के बाद जलाने और दफनाने दोनों का रिवाज है. साथ ही एक परंपरा है कि मृत शरीर के पास अपनी छत के खपरैल का एक टुकड़ा रखा जाता है. उनकी मां की अंतिम ख्वाहिश थी कि उनकी मौत के बाद उन्हें जलाया नहीं बल्कि गांव में पापा के निधन के बाद जहां उन्हें दफनाया गया था, वहीं उन्हें भी दफनाया जाए. साथ ही गांव के घर की छत का ही खपरैल उनके मृत शरीर के पास रखा जाए.
मुकेश के दोस्त ने बताई संघर्ष की कहानी
मुकेश ने अपने संघर्षों को पत्रकारिता के जरिए एक आवाज दी. बासागुड़ा जैसे इलाके में, जहां 10वीं पास करना भी बड़ी बात है, उन्होंने पत्रकारिता में नए आयाम स्थापित किए. कभी महुआ बीना, कभी गैरज में काम किया. उनके बचपन के दोस्त विजय मोरला ने बताया कि बांसागुड़ा में पढ़ाई की. सलवा जुड़ूम आ गया हम लोग अलग हो गये. भाई के साथ आवापल्ली में रहने लगा. मां आंगनबाड़ी कार्यकर्ता रही. घर में दुकान लगाता था, कैरम क्लब बनाया. महुआ बीनने मैं और वो साथ जाते थे. बांसागुड़ा में कैंप के सामने था. वहां बेर का पेड़ था तो खाने चले जाते थे.
जांच के लिए एसआईटी गठित
उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने इस हत्याकांड की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने की घोषणा की थी. शर्मा ने कहा, ‘‘इस मामले में सुरेश मुख्य आरोपी है. वह बीजापुर में कांग्रेस नेता और पार्टी का पदाधिकारी है. उसे पकड़ने के लिए पुलिस की चार टीम बनाई गई. उसके और अन्य आरोपियों के बैंक खाते ‘फ्रीज' करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. हमने सुरेश चंद्राकर के तीन खातों को 'फ्रीज' कर दिया है.''
शर्मा ने कहा कि प्रशासन ने आरोपी की अवैध संपत्तियों और अतिक्रमणों के खिलाफ भी कार्रवाई शुरू कर दी है. उपमुख्यमंत्री ने पत्रकार मुकेश चंद्राकर के बारे में कहा कि वह माओवाद प्रभावित क्षेत्र के अंदरूनी इलाकों में अपनी रिपोर्टिंग के लिए जाने जाते थे और स्थानीय मुद्दों की उन्हें गहरी समझ थी.
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