कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व वाली ‘भारत जोड़ो यात्रा' में हाल ही में दिल्ली में शामिल हुए अभिनेता कमल हासन ने रविवार को कहा कि अगर 1970 के दशक में उन्हें राजनीति की इतनी समझ होती तो वह आपातकाल के दौरान भी राष्ट्रीय राजधानी की सड़कों पर उतरे होते. कोझिकोड में छठे केरल साहित्य उत्सव के समापन के अवसर पर अभिनेता और राजनीतिक नेता हासन ने स्पष्ट किया कि वह ‘एकजुट भारत' के लिए ‘भारत जोड़ो यात्रा' में शामिल हुए थे और उनके इस कदम को किसी ‘पार्टी' की तरफ उनके झुकाव के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए.
उन्होंने कहा, “अगर 1970 के दशक में मुझे राजनीति की इतनी समझ होती और आपातकाल होता तो भी मैं दिल्ली की सड़कों पर उतरता. कृपया इस कदम (‘भारत जोड़ो यात्रा' में शामिल होना) को किसी पार्टी की तरफ मेरा झुकाव समझने की भूल न करें. मैंने ऐसा ‘एकजुट भारत' के लिए किया था.”
सात सितंबर 2022 को तमिलनाडु के कन्याकुमारी से शुरू हुई ‘भारत जोड़ो यात्रा' 30 जनवरी 2023 तक जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में समाप्त होगी, जब राहुल वहां राष्ट्रीय ध्वज फहराएंगे.
मक्कल निधि मय्यम के प्रमुख हासन ने कहा कि उन्होंने राजनीति में कदम रखा, क्योंकि उनके अंदर ‘गुस्सा' है और वह समाज और उन लोगों के लिए काम करना चाहते हैं, जिन्होंने उन्हें छह दशकों से इतना प्यार और सम्मान दिया है.
उन्होंने कहा, “मैं राजनीति में आया, क्योंकि मैं गुस्से में हूं. मैंने सोचा कि मुझे राजनीति में आना चाहिए, इससे पहले कि इसका मुझ पर बुरा प्रभाव पड़े, मुझे राजनीति पर अपना प्रभाव डालना चाहिए.”
68 वर्षीय हासन ने खुद को ‘मध्यममार्गी' बताते हुए कहा कि वह एक ऐसे व्यक्ति हैं, जो ‘अपने मध्यमार्गी विचारों पर अमल करते हुए दक्षिणपंथ से लेकर वामपंथ तक की दिशा में बढ़ता है. अनेकता में एकता को भारत की पहचान बताते हुए उन्होंने कहा कि इस भावना को नष्ट करने में लंबा अरसा लगेगा.
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