विज्ञापन

कल्पना सोरेन: झारखंड के राजनीतिक आसमान नें एक नए सितारे का उदय, कैसे दिलाई JMM को जीत

इस साल हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद कल्पना सोरेन ने राजनीति में कदम रखा. उनका पहला चुनावी घमासान गांडेय में हुआ. पहले ही चुनाव में उन्हें जीत मिली थी. इसके बाद से कल्पना राजनीति में लगातार सफलता की सीढियां चढ़ती हुई नजर आ रही हैं.

कल्पना सोरेन: झारखंड के राजनीतिक आसमान नें एक नए सितारे का उदय, कैसे दिलाई JMM को जीत
नई दिल्ली:

झारखंड विधानसभा चुनाव के परिणाम करीब करीब साफ हो चुके हैं. राज्य में एक बार फिर हेमंत सोरेन के नेतृत्व में इंडिया गठबंधन की सरकार बननी तय है. झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेतृत्व वाला इंडिया गठबंधन चुनाव आयोग के मुताबिक 56 सीटें जीत रहा है. आयोग के मुताबिक यह गठबंधन अबतक 24 सीटें जीत चुका है. बाकी की सीटों पर वह आगे चल रहा है. बीजेपी इस बार 2019 के जैसा भी प्रदर्शन नहीं दोहरा पाई है. वह 21 सीटों पर आगे चल रही है. इस बार का झारखंड चुनाव कई मामले में रोचक रहा. लेकिन सबसे रोचक है मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी का कल्पना मुर्मू सोरेन का उदय.

हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी और कल्पना सोरेन

बीते साल 31 दिसंबर को गांडेय से झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक सरफराज अहमद ने इस्तीफा दे दिया था. राजनीतिक हलके में चर्चा थी कि कल्पना सोरेन को चुनाव लड़ाने के लिए सरफराज से इस्तीफा दिलवाया गया है. दरअसल हेमंत के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय जांच कर रहा था.इसलिए आशंका थी कि ईडी देर-सबेर हेमंत सोरेम को गिरफ्तार कर ही लेगी. यह आशंका इस साल 31 जनवरी को सच साबित हुई. हेमंत की गिरफ्तारी के बाद चंपाई सोरेन सीएम बनाए गए.हेमंत की गिरफ्तारी से जेएमएम में पैदा हुए गैप को भरने की जिम्मेदारी कल्पना सोरेन पर थी. चार मार्च 2024 को गिरिडीह में झारखंड मुक्ति मोर्चा के स्थापना दिवस के अवसर पर मौके पर कल्पना सोरेन सक्रिय राजनीति में शामिल हो गईं. वहीं किसी राष्ट्रीय आयोजन में उनकी पहली मौजूदगी दिल्ली के रामलीला मैदान में देखी गई. वहां वो विपक्षी इंडिया गठबंधन की ओर से आयोजित रैली में शामिल हुईं. वो रैली के मंच पर सोनिया गांधी के ठीक बगल में बैठी थीं. उन्होंने बड़े ही आत्मविश्वास के साथ रैली को संबोधित किया. इसमें उन्होंने कहा था,''झारखंड झुकेगा नहीं.''

Latest and Breaking News on NDTV

कल्पना मुर्मू सोरेन ने रखा राजनीति में कदम

चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव के साथ गांडेय विधानसभा सीट पर उपचुनाव का ऐलान किया. अनुमानों को सही ठहराते हुए झारखंड मुक्ति मोर्चा ने कल्पना मुर्मू सोरेन को अपना उम्मीदवार बनाया. जेएमएम ने कल्पना को न केवल उम्मीदवार बल्कि अपना स्टार प्रचारक भी बनाया. कल्पना ने जोरदार प्रचार अभियान चलाया. उनकी जनसभाओं में खूब भीड़ उमड़ी. उन्होंने हेमंत की गिरफ्तारी को आदिवासियों के उत्पीड़न से जोड़ दिया. उन्होंने इसे आदिवासियों के आत्मसम्मान और स्वाभिमाम का मुद्दा बना दिया. झारखंड की जनता ने कल्पना की बात पर भरोसा किया. इसका परिणाम यह हुआ कि जेएमएम आदिवासियों के लिए आरक्षित सभी लोकसभा सीटें जीतने में कामयाब रही. यहां तक की बीजेपी का आदिवासी चेहरा और केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा भी चुनाव हार गए. गांडेय का परिणाम भी जेएमएम के पक्ष में गया. 

कल्पना मुर्मू सोरेन की लोकप्रियता

लोकसभा चुनाव के बाद  विधानसभा चुनाव आते-आते झारखंड में कल्पना की लोकप्रियता आसमान छू रही थी. लोकसभा चुनाव के बाद हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बाद हेमंत सोरेन 28 जून को जेल से रिहा हो गए. कल्पना की लोकप्रियता की खबरें उन्हें जेल में ही मिल रही थीं. जेल से बाहर आने के बाद हेमंत सोरेन और कल्पना मंचों पर साथ-साथ नजर आने लगे. इसी बीच झारखंड सरकार ने महिलाओं के लिए 'मइयां सम्मान योजना' शुरू की. इस योजना की शुरुआत के लिए कल्पना ने पूरे झारखंड का तूफानी दौरा किया. चुनाव की घोषणा से पहले ही वो दर्जनों सभाओं को संबोधित कर चुकी थीं.इस दौरान उन्हें देखने सुनने के लिए भारी भीड़ उमड़ रही थी. लोग बड़े गौर से कल्पना को सुन रहे थे. कल्पना ने भी मौके को समझते हुए लोगों से जुड़ने का एक भी मौका नहीं गंवाया. 

अपने विधानसभा क्षेत्र गांडेय में चुनाव प्रचार करतीं कल्पना सोरेन.

अपने विधानसभा क्षेत्र गांडेय में चुनाव प्रचार करतीं कल्पना सोरेन.

कल्पना सोरेन ने कौन कौन से मुद्दे उठाए

विधानसभा चुनाव का प्रचार जैसे-जैसे जोर पकड़ता गया चुनाव क्षेत्रों से प्रत्याशी कल्पना सोरेन के कार्यक्रम की मांग करने लगे.  कल्पना की मांग हेमंत सोरेन से भी अधिक थी. कल्पना सोरेन ने भी किसी को निराश नहीं किया. वो हर विधानसभा क्षेत्र में गईं. कई विधानसभा क्षेत्रों में तो वो दो-दो बार गईं. हेमंत और कल्पना ने 18 नवंबर तक 100-100 जनसभाएं कर चुके थे. कल्पना ने केवल जेएमएम ही नहीं बल्कि इंडिया गठबंधन में शामिल कांग्रेस, आरजेडी और वामदलों के लिए भी प्रचार किया.उन्होंने एक दिन में पांच से अधिक सभाओं को संबोधित किया.इस दौरान कल्पना लोगों से उनकी ही भाषा में संवाद करते नजर आईं. कल्पना की सभाओं में जिस तरह की भीड़ उमड़ रही थी, उससे ही राज्य के चुनाव परिणाम की तस्वीर निकलकर सामने आ रही थी. इस दौरान कल्पना ने आदिवासियत, हेमंत की गिरफ्तारी, आरक्षण और सरना धर्म कोड के मुद्दे को हवा दी.लोग उनकी बात को पूरी तल्लीनता से सुनते हुए नजर आए. कल्पना की इस कठिन मेहनत का ही परिणाम है कि झारखंड में एक बार फिर हेमंत सोरेन के नेतृत्व में इंडिया गठबंधन सरकार बनाने को तैयार है.

Latest and Breaking News on NDTV

एक सैन्य परिवार से आने वाले कल्पना का जन्म पंजाब में हुआ. उनका परिवार मूलरूप से ओडिशा के मयूरभंज जिले का रहने वाला है. इंजीनियरिंग स्नातक और मैनेजमेंट में पीजी की डिग्री रखने वाली कल्पना पांच भाषाओं की जानकार हैं. उनका यह भाषा ज्ञान चुनाव प्रचार के दौरान भी नजर आया. उन्होंने मीडिया के सवालों का बेवाकी से जवाब दिया तो लोगों से उनकी ही भाषा में संवाद स्थापित किया. कल्पना की रैलियों में उमड़ी भीड़ को देखकर बीजेपी के नेता उन पर सीधा हमला करने से बचते रहे. उन्होंने हेमंत सोरेन पर हमला तो किया लेकिन कल्पना का नाम लेने से परहेज किया. 

झारखंड में कैसे जीता इंडिया गठबंधन

झारखंड में इंडिया गठबंधन की जीत के कई कारक हैं. लेकिन सबसे बड़ा कारण मंइयां सम्मान योजना और कल्पना सोरेन रहीं.प्रदेश की 81 में से 29 विधानसभा सीटों पर महिला वोटर पुरुष से अधिक हैं. इसे देखते हुए ही बीजेपी ने 'मंइयां सम्मान योजना' की तर्ज पर गोगी दीदी योजना का वादा किया. लेकिन महिलाओं ने हेमंत सोरेन की 'मंइयां सम्मान योजना' पर भरोसा जताते हुए उसे वोट किया.इसका परिणाम यह हुआ कि महिला बहुल 29 सीटों में से 28 पर इंडिया गठबंधन ने बढ़त बनाई. 

Latest and Breaking News on NDTV

कल्पना सोरेन ने जिस तरह से हेमंत की गिरफ्तारी को मुद्दा बनाया. उसने जनता में हेमंत के प्रति सहानुभूति पैदा हुई. यह सहानभूति वोटों में भी बदली.कल्पना ने कहा कि हेमंत को झूठे मुकदमे में फंसाकर जेल भेजा गया.उन्होंने जेएमएम को तोड़ने का भी आरोप लगाया.उन्होंने मणिपुर से छत्तीसगढ़ तक आदिवासियों के उत्पीड़न का मुद्दा उठाया.वहीं जेएमएम ने रघुवर दास की सरकार में 2016 में सीएनटी एक्ट की धारा 46 में किए बदलाव को भी मुद्दा बनाया.रघुवर दास ने सीएनटी एक्ट की धारा 46 में बदलाव किया था. इस बदलाव के बाद आदिवासियों की जमीन के नेचर को बदला जा सकता था. बीजेपी का कहना था कि यह उद्योगों की स्थापना के लिए किया गया, जबकि जेएमएम आदिवासियों को यह संदेश देने में कामयाब रही कि बीजेपी ने उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए यह बदलाव किया है. उसने प्रचार किया कि उसके विरोध की वजह से ही सरकार को बदलाव वापस लेना पड़ा था.यह मुद्दा बीजेपी के गले पड़ गया. इसकी वजह से बीजेपी आदिवासियों में विश्वास पैदा नहीं कर पाई. 

Latest and Breaking News on NDTV

इस चुनाव प्रचार ने कल्पना मुर्मू सोरेन के रूप में झारखंड को एक नया नेता दिया है, जो किसी भी परिस्थिति में नेतृत्व करने को तैयार है. इसी का प्रभाव है कि कल्पना जब शनिवार को गांडेय का चुनाव जीतकर वापस रांची लौटीं तो हवाई अड्डे पर उनका स्वागत करने के लिए स्वयं हेमंत सोरेन मौजूद थे. रांची हवाई अड्डे की यह तस्वीर झारखंड की राजनीति के भविष्य की तस्वीर है.

ये भी पढ़ें: Sanjay Pugalia Analysis: चुनाव हारना कोई राहुल गांधी से सीखे, ट्रोल पॉलिटिक्स नहीं दिलाती जीत

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com