हिंदी और दूसरी भारतीय भाषाओं की अनिवार्यता पर लगातार विवाद बना हुआ है. आयुष सचिव के एक कथित बयान पर अब कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और JDS (जनता दल सेकुलर) के नेता एचडी कुमारास्वामी ने नाराजगी जताई है. आयुष सचिव राजेश कटोचे द्वारा कथित तौर पर गैर हिंदी भाषी प्रतिभागियों को प्रशिक्षण कार्यक्रम छोड़कर जाने के लिए कहे जाने की घटना पर एचडी कुमारस्वामी ने रविवार को गुस्से में पूछा कि क्या यह हिंदी थोपने के 'शर्मनाक उत्साह' में किया गया? पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी पूछा कि कन्नड़भाषी समेत अन्य भाषाओं के और कितने लोगों को हिंदी नहीं जानने के लिये इस देश में बलिदान देना होगा?
बता दें कि आयुष विभाग की ओर से आयोजित एक ऑनलाइन प्रशिक्षण सत्र के दौरान, विभाग के सचिव राजेश कोटेचा द्वारा अंग्रेजी बोलने की अपनी अक्षमता का हवाला देते हुए, हिंदी नहीं जानने वाले प्रतिभागियों से जाने के लिए कहा गया था. इस कथित घटना के संदर्भ में कुमारस्वामी ने पूछा, 'यह अंग्रेजी नहीं जानने पर किया गया अनुरोध था या हिंदी थोपने का बेशर्म उत्साह?' कन्नड़ में एक के बाद एक किये गए ट्वीट में उन्होंने कहा कि इस देश की एकता के लिए संवैधानिक संघवाद एक मंत्र है और हर भाषा यहां संघीय ढांचे का हिस्सा है.
उन्होंने पूछा, 'जब ऐसी स्थिति है तो क्या हिंदी नहीं बोल पाने के लिये क्या लोगों को प्रशिक्षण कार्यक्रम से बाहर जाने के लिए कहना, संघीय व्यवस्था का उल्लंघन नहीं है? संविधान विरोधी नहीं है?' कुमारस्वामी ने कोटेचा के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने की मांग की है.
इसके अलावा इस घटना पर डीएमके सांसद कनिमोझी ने भी नाराजगी जताई है. कनिमोझी ने आयुष मंत्रालय के सचिव द्वारा गैर-हिंदी भाषी योग शिक्षकों और चिकित्सकों को वेबिनार से बाहर निकलने के लिए कहने पर कहा कि ये घटना 'अत्यधिक निंदनीय' है. उन्होंने मामले में आयुष मंत्री श्रीपद नाइक को पत्र लिखा है और मामले की जांच की मांग की है.
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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं