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जम्मू कश्मीर रिजल्ट 2024: किस मुद्दे पर नेशनल कॉन्फ्रेंस को मिली इतनी बड़ी जीत, BJP कहां है

जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस सबसे बड़ी पार्टी बनी है. 90 सीटों वाली विधानसभा में उसने 42 सीटें जीती हैं. उसकी गठबंधन सहयोगी कांग्रेस ने छह और माकपा ने एक सीट जीती है. आइए जानते हैं कि नेशनल कॉन्फ्रेंस की इस जीत की वजह क्या है.

नई दिल्ली:

जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव के नतीजे आ गए हैं.जम्मू कश्मीर की 90 सीटों वाली विधानसभा में 42 सीटें जीतकर नेशनल कॉन्फ्रेंस सबसे बड़ी पार्टी बन गई है. उसकी गठबंधन सहयोगी कांग्रेस ने छह सीटें जीती हैं. बीजेपी के हिस्से में 29 सीटें आई हैं. वह विधानसभा में दूसरे नंबर की पार्टी है. उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस का गठबंधन राज्य में अगली सरकार बनाएगा.नेशनल कॉन्फ्रेंस की इस जीत ने साबित किया है कि कश्मीर के लोगों ने 370 हटाने को पसंद नहीं किया.हालांकि उमर अब्दुल्ला ने यह साफ कर दिया है कि यह मुद्दा खत्म नहीं हुआ है, लेकिन वो अभी इसे हवा नहीं देंगे, क्योंकि उनकी गठबंधन सहयोगी कांग्रेस का यह मुद्दा नहीं है. 

अनुच्छेद-370 हटाने की नाराजगी

जम्मू कश्मीर के बंटवारे और अनुच्छेद 370 और 35 ए हटाए जाने के बाद राज्य में यह पहला चुनाव था. नेशनल कॉन्फ्रेंस ने अपनी अधिकांश सीटें कश्मीर घाटी में मिली जीती हैं. वहीं बीजेपी ने जो 29 सीटें जीती हैं, वो सभी जम्मू के इलाके में हैं. यानी की इन दोनों दलों की जीत में यह बंटवारा साफ-साफ दिखता है. दरअसल 370 को हटाने का विरोध भी सबसे अधिक कश्मीर के इलाके में ही हुआ था. कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस को सबसे अधिक सीटें मिली हैं. नेशनल कॉन्फ्रेंस  नेताओं ने अनुच्छेद-370 हटाए जाने का पुरजोर विरोध किया था.इसने लोगों में बीजेपी के प्रति नाराजगी को बढ़ाया. इन लोगों को जब वोट डालने का मौका मिला तो उन्होंने अपने गुस्से का इजहार नेशनल कॉन्फ्रेंस को वोट देकर किया. वहीं जम्मू के हिंदू बहुल इलाकों में बीजेपी का प्रदर्शन तो शानदार रहा. लेकिन जम्मू के हिंदू-मुस्लिम आबादी वाले पीर पंजाल और चिनाब घाटी के इलाके में नेशनल कॉन्फ्रेंस का प्रदर्शन अच्छा रहा.

जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाए जाने के बाद कश्मीर घाटी में जिस तरह के हालात बने.इंटरनेट बंद कर दिए गए. लोगों को घरों में कैद कर दिया गया.पासपोर्ट वेरिफिकेशन के नाम पर आम लोग परेशान हुए. लोगों के इस जज्बात को नेशनल कॉन्फ्रेंस ने हवा दी. इसका फायदा उसे वोट के रूप में मिला. बीजेपी ने कश्मीर घाटी की 47 में से केवल 19 पर सीटों पर ही चुनाव लड़ा था.बाकी की 28 सीटों पर उसने अपने उम्मीदवार ही नहीं खड़े किए थे. 

कश्मीर में किधर गए पीडीपी के वोटर

पिछले विधानसभा चुनाव में 28 सीटें जीतने वाली पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी. बीजेपी उस चुनाव में 25 सीटें जीतकर दूसरे नंबर की पार्टी थी. लेकिन कश्मीर के लोगों को यह गठबंधन हजम नहीं हुआ. पीडीपी बनाने वाले मुफ्ती मोहम्मद सईद को अपनाने में कश्मीर घाटी के लोगों ने 30 साल से अधिक का समय लिया, लेकिन  सरकार बनाने के लिए बीजेपी के साथ चले जाना लोगों की रास नहीं आया. इसका बदला लोगों ने महबूबा की पीडीपी को हरा कर लिया. लोगों की नाराजगी इतनी अधिक थी कि महबूबा की बेटी को भी लोगों ने विधानसभा भेजना उचित नहीं समझा. श्रीगुफावार-बिजबेहरा के लोगों ने महबूबा की बेटी इल्तिजा मुफ्ती को हरा दिया. पीडीपी से नाराज मतदाताओं ने पीडीपी के पक्ष में मतदान किया. इस वजह से 2014 में 28 सीटें जीतने वाली पीडीपी तीन सीट पर पहुंच गई और 15 सीटें जीतने वाली नेशनल कॉन्फ्रेंस 42 पर पहुंच गई. लगता है कि अपनी हालत का अंदाजा पीडीपी को पहले से था, इसलिए उसने इस चुनाव को बहुत अनमने ढंग से लड़ा. 

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