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महबूबा-उमर को हराया, विधानसभा चुनाव में क्‍या होगा? कश्‍मीरियों के मन में क्‍या चल रहा, एक्‍सपर्ट्स से समझिए

जम्‍मू-कश्‍मीर विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव आयोग ने तारीखों का ऐलान कर दिया है. कई कारणों से इस बार का विधानसभा चुनाव बेहद अलग होने जा रहा है. आइए जानते हैं कि पॉलिटिकल एक्‍सपर्ट्स इन चुनावों को कैसे देखते हैं.

महबूबा-उमर को हराया, विधानसभा चुनाव में क्‍या होगा? कश्‍मीरियों के मन में क्‍या चल रहा, एक्‍सपर्ट्स से समझिए
नई दिल्‍ली:

जम्‍मू-कश्‍मीर विधानसभा चुनावों (Jammu-Kashmir Assembly Elections) का ऐलान कर दिया गया है. चुनाव आयोग (Election Commission) ने प्रेस कॉन्‍फ्रेंस कर तीन चरणों में चुनाव कराने का ऐलान किया है. जम्‍मू कश्‍मीर में 18 सितंबर, 25 सितंबर और एक अक्‍टूबर को वोट डाले जाएंगे. इस बार का विधानसभा चुनाव बेहद अलग होने जा रहा है. साल 2019 में अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों के समाप्त होने के बाद यहां पहली बार विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. पिछली बार जम्‍मू-कश्‍मीर एक राज्‍य था, लेकिन अब यह एक केंद्रशासित प्रदेश है. जम्‍मू-कश्‍मीर में हाल के लोकसभा चुनावों में महबूबा मुफ्ती और उमर अब्‍दुल्‍ला जैसे पूर्व मुख्‍यमंत्रियों को हार झेलनी पड़ी है. साथ ही इंजीनियर रशीद का सांसद बनना और उनकी पार्टी का उभार किस इन चुनावों में क्‍या करवट लेगा, यह देखना भी काफी दिलचस्‍प होगा. जम्‍मू-कश्‍मीर के विधानसभा चुनावों को लेकर कश्‍मीरियों के मन में क्‍या चल रहा है, आइए एक्‍सपर्ट से जानते हैं. 

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लोकतंत्र में बढ़ रही लोगों की आस्‍था : सिंह 

वरिष्‍ठ पत्रकार राम कृपाल सिंह ने कहा कि पिछले लोकसभा चुनाव में सभी का मानना था कि वह बहुत लंबा खिंच गया था. पांच चरणों में चुनाव हुए थे. पहले दिन वोटिंग और काउंटिंग 18 दिन के अंदर खत्म हो रही है. जम्मू कश्मीर में इतने कम समय में चुनाव का होना अच्छी बात है. लोगों की आस्था लोकतंत्र में बढ़ रही है. लोकसभा चुनाव में जम्मू कश्मीर में बहुत अच्छा मतदान हुआ था. पोल पर्सेंट इतना अच्छा था कि महाराष्ट्र और दूसरे राज्यों से यह अच्छा रहा था.

बदली हुई है जम्‍मू-कश्‍मीर की फिजांं : तिवारी  

पॉलिटिकल एनालिस्ट अमिताभ तिवारी ने बताया कि लोकसभा चुनाव में जम्मू कश्मीर में लोगों ने बढ़चढ़कर हिस्सा लिया.ज्यादातर सीटों पर लोकसभा सीटों पर 50 पर्सेंट से ज्यादा वोटिंग हुई. यह 15-20 पर्सेंट ज्यादा है. जम्मू कश्मीर की चुनावी फिजां बदली हुई है. जम्मू कश्मीर में नई पार्टी का उदय देखने को मिल रहा है. नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी, जम्मू कश्मीर में लंबे समय से रही हैं. युवा वर्ग नए लीडर्स और नई पार्टियों की तलाश में है. यही वजह है कि इंजीनियर रशीद जीत गए, उमर अब्दुल्ला हारे. महबूबा हारीं. पीडीपी का वोट शेयर सिर्फ 10 पर्सेंट के करीब रहा. यह दिलचस्प चुनाव होने वाला है.

परिसीमन के बाद जम्‍मू में बढ़ींं हैं सीटें  

उन्‍होंने कहा कि कश्मीर में जहां मुकाबला नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी के बीच होता था, लेकिन इस बार माहौल अलग रहेगा. परिसीमन के बाद जम्मू में भी सीटें बढ़ी हैं. अब यह 37 से 43 हो गई हैं. जम्मू में मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच है. इस पूरे बदले हुए परिवेश में यह देखना होगा कि जम्मू कश्मीर में क्या सीन रहता है. 

कश्‍मीर के लोग कुछ नया चाहते हैं : आरती सिंह 

वहीं पॉलिटिकल एनालिस्‍ट आरती सिंह ने बताया कि जिस तरह से लोग कश्मीर में वोट डालने के लिए बाहर निकले थे, उससे जाहिर होता है कि लोगों में बहुत दबा हुआ इमोशन था, जिससे वह बाहर निकल गया. कश्मीर के लोग कुछ नया चाहते हैं, यही वजह है कि उमर उब्दुला और महबूबा मुफ्ती हार गईं. इंजीनियर रशीद अभी जेल में हैं, ऐसे में उनकी पार्टी कितनी सीटें लड़ पाती हैं और ऐसे में यह पार्टी क्या करेगी, यह देखना दिलचस्प रहेगा.

सिंह ने कहा कि खास बात जम्मू में रहेगी. जम्मू में हाल में कई आतंकी हमले हुए हैं. वहां स्थिति नाजुक है. ऐसे में मतदान और नतीजों का इस पर असर क्या होगा, यह देखने वाली बात होगी. लोकसभा चुनाव में बीजेपी जम्मू की सीटें जीत गई थीं, लेकिन कांग्रेस का प्रदर्शन भी अच्छा रहा था. इंडिया अलायंस कैसे उभरकर आता है, यह देखने लायक बात होगी. 

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