हंदवारा इलाके में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मंगलवार को दो आतंकवादी मारे गए
नई दिल्ली:
जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के हंदवारा इलाके में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मंगलवार को दो आतंकवादी मारे गए. मारे गए आतंकियों की अबतक पहचान नहीं हो सकी है. पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि हंदवारा के गलूरा इलाके में हुए मुठभेड़ में दोनों आतंवादी मारे गए हैं. उन्होंने बताया कि मारे गये आतंकवादियों की शिनाख्त नहीं हो सकी है और यह भी पता नहीं चल सका है कि वह किस आतंकवादी संगठन से हैं.
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अधिकारी ने बताया कि आतंवादियों की वहां मौजूदगी के बारे में गुप्त जानकारी मिलने पर सुरक्षा बलों ने मंगलवार को तड़के इलाके की घेराबंदी की और तलाशी अभियान चलाया. उन्होंने बताया कि आतंकवादियों के सुरक्षा बलों पर गोलीबारी के बाद यह तलाशी अभियान एक मुठभेड़ में तब्दील हो गया. अधिकारी ने बताया कि अभियान अभी जारी है
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वहीं सीआरपीएफ के महानिदेशक (डीजी) राजीव राय भटनागर ने कहा था कि सुरक्षा बलों के एक के बाद एक अभियान के कारण कश्मीर घाटी में आतंकियों की ‘उम्र’ घट गयी है और दो साल में ही 360 से ज्यादा आतंकी मारे जा चुके हैं. उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा कि घाटी में आतंकी समूहों से जुड़ने वाले स्थानीय नौजवानों की संख्या का आंकड़ा बढ़ा है लेकिन सुरक्षा बल युवाओं को हथियार उठाने से रोकने के लिए सभी मुमकिन तरीके से उन तक पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं. भटनागर ने कहा कि सुरक्षा चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए सीआरपीएफ ने जम्मू कश्मीर में अपने जवानों की सुरक्षा का स्तर बढ़ा दिया है. समूचे शरीर की हिफाजत के लिए बचाव के साधन, बुलेट प्रूफ वाहन, विशेष बख्तरबंद वाहन के जरिए जवान काम कर रहे हैं.
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उन्होंने कहा, ‘जम्मू कश्मीर में आतंकी. उनमें से कुछ बाहरी हैं और कुछ दिग्भ्रमित (स्थानीय) युवा हैं, जो आतंकी समूहों से जुड़ रहे हैं. यह मिला-जुला है. संख्या घट-बढ़ सकती है लेकिन अगर आप समय को देखें कि कौन सा आतंकी जम्मू कश्मीर में जिंदा बच रहा है तो संकेत साफ है कि इसका (आतंकियों की भर्ती) कोई असर नहीं है.’ उन्होंने कहा, ‘आतंकियों की उम्र, जिंदा बचने का समय, बहुत कम है. इसलिए (भर्ती हुए आतंकियों) की संख्या भले ज्यादा हो लेकिन परिणाम सीमित है.’ भटनागर ने कहा कि घाटी में आतंकी परिदृश्य में सुरक्षा बल को बढ़त मिली है .
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उन्होंने कहा, ‘हम एक इकाई के तौर पर काम कर रहे हैं. इससे हमें बहुत कामयाबी मिली है. इस साल 142 आतंकियों को ढेर किया गया. अगर आप पिछले साल के आंकड़े को देखें तो 220 से ज्यादा आतंकी मारे गए. सुरक्षा बलों के बीच बढ़िया तालमेल है और उन्हें बढ़त मिली हुई है.’ डीजी ने कहा, ‘उनके (आतंकियों के) कुख्यात कमांडरों का सफाया हो चुका है. शिविरों पर फिदायीन हमले को असरदार तरीके से रोका गया है. हमने शिविरों (कैंप) पर हमला करने के संदर्भ में भी उन्हें सफल नहीं होने दिया है.’ (इनपुट भाषा से)
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अधिकारी ने बताया कि आतंवादियों की वहां मौजूदगी के बारे में गुप्त जानकारी मिलने पर सुरक्षा बलों ने मंगलवार को तड़के इलाके की घेराबंदी की और तलाशी अभियान चलाया. उन्होंने बताया कि आतंकवादियों के सुरक्षा बलों पर गोलीबारी के बाद यह तलाशी अभियान एक मुठभेड़ में तब्दील हो गया. अधिकारी ने बताया कि अभियान अभी जारी है
#JammuAndKashmir: Two terrorists were killed in an encounter that broke out between terrorists and security forces at Guloora area of Handwara in Kupwara district, today. Search operation underway. (Visuals deferred by unspecified time) pic.twitter.com/DLbBv6mi0L
— ANI (@ANI) September 11, 2018
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वहीं सीआरपीएफ के महानिदेशक (डीजी) राजीव राय भटनागर ने कहा था कि सुरक्षा बलों के एक के बाद एक अभियान के कारण कश्मीर घाटी में आतंकियों की ‘उम्र’ घट गयी है और दो साल में ही 360 से ज्यादा आतंकी मारे जा चुके हैं. उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा कि घाटी में आतंकी समूहों से जुड़ने वाले स्थानीय नौजवानों की संख्या का आंकड़ा बढ़ा है लेकिन सुरक्षा बल युवाओं को हथियार उठाने से रोकने के लिए सभी मुमकिन तरीके से उन तक पहुंचने का प्रयास कर रहे हैं. भटनागर ने कहा कि सुरक्षा चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए सीआरपीएफ ने जम्मू कश्मीर में अपने जवानों की सुरक्षा का स्तर बढ़ा दिया है. समूचे शरीर की हिफाजत के लिए बचाव के साधन, बुलेट प्रूफ वाहन, विशेष बख्तरबंद वाहन के जरिए जवान काम कर रहे हैं.
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उन्होंने कहा, ‘जम्मू कश्मीर में आतंकी. उनमें से कुछ बाहरी हैं और कुछ दिग्भ्रमित (स्थानीय) युवा हैं, जो आतंकी समूहों से जुड़ रहे हैं. यह मिला-जुला है. संख्या घट-बढ़ सकती है लेकिन अगर आप समय को देखें कि कौन सा आतंकी जम्मू कश्मीर में जिंदा बच रहा है तो संकेत साफ है कि इसका (आतंकियों की भर्ती) कोई असर नहीं है.’ उन्होंने कहा, ‘आतंकियों की उम्र, जिंदा बचने का समय, बहुत कम है. इसलिए (भर्ती हुए आतंकियों) की संख्या भले ज्यादा हो लेकिन परिणाम सीमित है.’ भटनागर ने कहा कि घाटी में आतंकी परिदृश्य में सुरक्षा बल को बढ़त मिली है .
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उन्होंने कहा, ‘हम एक इकाई के तौर पर काम कर रहे हैं. इससे हमें बहुत कामयाबी मिली है. इस साल 142 आतंकियों को ढेर किया गया. अगर आप पिछले साल के आंकड़े को देखें तो 220 से ज्यादा आतंकी मारे गए. सुरक्षा बलों के बीच बढ़िया तालमेल है और उन्हें बढ़त मिली हुई है.’ डीजी ने कहा, ‘उनके (आतंकियों के) कुख्यात कमांडरों का सफाया हो चुका है. शिविरों पर फिदायीन हमले को असरदार तरीके से रोका गया है. हमने शिविरों (कैंप) पर हमला करने के संदर्भ में भी उन्हें सफल नहीं होने दिया है.’ (इनपुट भाषा से)
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