Jammu and Kashmir elections : जम्मू-कश्मीर में चुनाव की तैयारियों का जायजा लेने पहुंचे मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा है कि कोई भी आंतरिक या बाहरी ताकत चुनाव आयोग को केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनाव कराने से नहीं रोक सकती. शुक्रवार को जम्मू में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए राजीव कुमार ने कहा, "जम्मू-कश्मीर की जनता और प्रशासन द्वारा रखी गई नींव अब एक मजबूत इमारत के निर्माण की प्रतीक्षा कर रही है. हमें नई ऊंचाइयों को हासिल करना है और उसके लिए समय आ गया है. आइए, अगर कोई आंतरिक या बाहरी ताकत सोचती है कि वे विधानसभा चुनावों में हस्तक्षेप कर सकते हैं और उसे पटरी से उतार सकते हैं, तो वे गलत हैं. हमें यकीन है कि जम्मू-कश्मीर के लोग विघटनकारी ताकतों को करारा जवाब देंगे.''
क्या चुनाव कराने लायक हालात?
इस सवाल पर कि चुनाव की योजना कैसे बनाई जा रही है, मुख्य चुनाव आयुक्त ने मुर्गी-अंडे की उपमा का इस्तेमाल किया. उन्होंने कहा, "हम पूरी प्रतिबद्धता और संकल्प के साथ काम कर रहे हैं कि किसी भी चीज को चुनाव में बाधा डालने की इजाजत नहीं दी जाएगी. अगर हम ऐसा नहीं करेंगे तो यह मुर्गी और अंडे वाली स्थिति बन जाएगी. जब भी हम चुनाव के बारे में बात करेंगे, आतंकी वारदातों की गतिविधियां बढ़ जाएंगी और हमें पीछे हटने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. यह बिना लड़े हार मानने जैसा होगा.'' उन्होंने कहा, "इन चीजों का चुनाव पर कोई असर नहीं पड़ेगा. हमारी सेना और प्रशासन किसी भी स्थिति से निपटने में सक्षम हैं. 'जम्हूरियत' (लोकतंत्र) का झंडा उठाया गया है और आगे भी उठाया जाएगा."
राजनीतिक दलों का रुख
गुरुवार को केंद्र शासित प्रदेश में आने के बाद से जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक दलों के साथ आयोग की बैठकों पर राजीव कुमार ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रीय और मान्यता प्राप्त दलों से बात की है, जिनमें से सभी ने लोकसभा चुनाव कराने के तरीके को लेकर आम लोगों और चुनाव आयोग की प्रशंसा की है. लोकसभा चुनाव में राज्य में 58.46% मतदान हुआ था, जो 35 वर्षों में सबसे अधिक था. राजीव कुमार ने कहा कि सभी दलों ने इसे "ऐतिहासिक उपलब्धि" कहा है. कुमार ने कहा, "पार्टियों ने कहा कि उनकी अच्छी भागीदारी थी और कोई हिंसक घटना नहीं हुई, जिससे लोगों का विश्वास बढ़ा. सभी पार्टियों ने मांग की कि विधानसभा चुनाव जल्द से जल्द हों ताकि जम्मू-कश्मीर में ऐसे निर्वाचित प्रतिनिधि हों, जिनका स्थानीय लोगों के साथ बेहतर जुड़ाव हो. जम्मू और कश्मीर छह साल से अधिक समय से निर्वाचित सरकार के बिना है और वहां आखिरी विधानसभा चुनाव दिसंबर 2014 में हुए थे. सुप्रीम कोर्ट ने पूर्ववर्ती राज्य में विधानसभा चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग के लिए 30 सितंबर की समय सीमा तय की है, जिसका विशेष अनुच्छेद 370 के तहत दर्जा हटा दिया गया और इसे 5 अगस्त, 2019 को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया.
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