अमृतसर:
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन स्वर्ण मंदिर में माथा टेकने के बाद जलियांवाला बाग पहुंचे, जहां उन्होंने कहा कि यह नरसंहार ब्रिटेन के इतिहास में एक शर्मनाक घटना है। उन्होंने कहा कि इस नरसंहार को नहीं भूलना चाहिए। कैमरन ने जलियांवाला स्मारक आगंतुक रजिस्टर में लिखा, "ब्रिटेन के इतिहास में यह बेहद शर्मनाक घटना है। विंस्टन चर्चिल ने इस घटना को उस समय बेहद भयावह घटना सही ही कहा था। इस त्रासदी को हमें कभी नहीं भूलना चाहिए, तथा हमें सुनिश्चित करना चाहिए कि इंग्लैंड हमेशा शांतिपूर्ण प्रदर्शनों के पक्ष में खड़ा रहे।"
कैमरन जलियांवाला स्मारक पर आने वाले पहले ब्रिटिश प्रधानमंत्री हैं, लेकिन उन्होंने इस त्रासदी के लिए किसी तरह की माफी नहीं मांगी। इससे पहले, ब्रिटिश प्रधानमंत्री कैमरन ने जलियांवाला बाग स्मारक पर जाकर श्रद्धांजलि अर्पित की। गौरतलब है कि ब्रिटिश राज में 1919 में जनरल डायर के आदेश पर जलियांवाला बाग में सैकड़ों लोगों को गोलियों से भून दिया गया था।
इससे पहले, डेविड कैमरन ने स्वर्ण मंदिर में मत्था टेका, जहां उन्हें सरोपा भेंट किया गया। कैमरन ने कड़ी सुरक्षा के बीच सुबह 10 बजकर 25 मिनट पर मत्था टेका। गहरे रंग का सूट और टाई पहने कैमरन ने सिर को नीले कपड़े से ढक रखा था। गुरुवाणी के बीच कैमरन ने कुछेक श्रद्धालुओं से संक्षिप्त बातचीत भी की।
1997 में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय और उनके पति एवं ड्यूक ऑफ एडिनबर्ग प्रिंस फिलिप ने पवित्र शहर का दौरा किया था। मंदिर के भीतर कैमरन के साथ पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के अध्यक्ष अवतार सिंह मक्कड़ तथा अन्य लोग थे।
इससे पहले, श्री गुरु रामदास जी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर बादल ने कैमरन की अगवानी की। ब्रिटिश प्रधानमंत्री सुबह करीब नौ बजकर 50 मिनट पर स्वर्ण मंदिर पहुंचे और करीब एक घंटा वहां गुजारा। मत्था टेकने से पहले ब्रिटेन के नेता को सिखों की शीर्ष धार्मिक इकाई एसजीपीसी के पदाधिकारियों ने मंदिर में घुमाया और श्री गुरु रामदास लंगर हॉल भी दिखाया।
(इनपुट एजेंसियों से भी)
कैमरन जलियांवाला स्मारक पर आने वाले पहले ब्रिटिश प्रधानमंत्री हैं, लेकिन उन्होंने इस त्रासदी के लिए किसी तरह की माफी नहीं मांगी। इससे पहले, ब्रिटिश प्रधानमंत्री कैमरन ने जलियांवाला बाग स्मारक पर जाकर श्रद्धांजलि अर्पित की। गौरतलब है कि ब्रिटिश राज में 1919 में जनरल डायर के आदेश पर जलियांवाला बाग में सैकड़ों लोगों को गोलियों से भून दिया गया था।
इससे पहले, डेविड कैमरन ने स्वर्ण मंदिर में मत्था टेका, जहां उन्हें सरोपा भेंट किया गया। कैमरन ने कड़ी सुरक्षा के बीच सुबह 10 बजकर 25 मिनट पर मत्था टेका। गहरे रंग का सूट और टाई पहने कैमरन ने सिर को नीले कपड़े से ढक रखा था। गुरुवाणी के बीच कैमरन ने कुछेक श्रद्धालुओं से संक्षिप्त बातचीत भी की।
1997 में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय और उनके पति एवं ड्यूक ऑफ एडिनबर्ग प्रिंस फिलिप ने पवित्र शहर का दौरा किया था। मंदिर के भीतर कैमरन के साथ पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के अध्यक्ष अवतार सिंह मक्कड़ तथा अन्य लोग थे।
इससे पहले, श्री गुरु रामदास जी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर बादल ने कैमरन की अगवानी की। ब्रिटिश प्रधानमंत्री सुबह करीब नौ बजकर 50 मिनट पर स्वर्ण मंदिर पहुंचे और करीब एक घंटा वहां गुजारा। मत्था टेकने से पहले ब्रिटेन के नेता को सिखों की शीर्ष धार्मिक इकाई एसजीपीसी के पदाधिकारियों ने मंदिर में घुमाया और श्री गुरु रामदास लंगर हॉल भी दिखाया।
(इनपुट एजेंसियों से भी)
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