वाईएसआर कांग्रेस प्रमुख वाईएस जगन मोहन रेड्डी और उनकी बहन व कांग्रेस नेता वाईएस शर्मिला के बीच करोड़ों रुपये की विरासत में मिली प्रोपर्टी पर विवाद चल रहा है. भाई-बहन के बीच चल रहे इस संपत्ति विवाद में उनकी मां वाईएस विजयम्मा ने लेटर लिखकर बेटी शर्मिला का समर्थन किया है. वाईएस विजयम्मा ने कहा है कि यह उनका कर्तव्य है कि वे उस बच्चे के लिए आवाज उठाएं जिसके साथ अन्याय हुआ है. उन्होंने लिखा कि शर्मिला फैमिली बिजनेस में शामिल नहीं थीं, लेकिन जगन रेड्डी के कहने पर राजनीति में वो निस्वार्थ भाव से काम करती थीं. जगन के सत्ता में आने का श्रेय शर्मिला के प्रयासों को जाता है. एक मां के रूप में, सभी बच्चे समान हैं. एक बच्चे के साथ अन्याय होते देखना दर्दनाक है.
शर्मिला के साथ हुई नाइंसाफी
वाईएस विजयम्मा ने लिखा कि बतौर मां जिस बच्चे के साथ नाइंसाफी हुई हो उस के लिए आवाज़ उठाना मेरा फर्ज है. ये सब देखना बहुत दर्दनाक है. मेरे दिवंगत पति राजशेखर रेड्डी, हमारे बच्चे और मैं एक खुशहाल परिवार थे. मैं यह समझने में असमर्थ हूं कि हमारा परिवार ऐसी कठिनाइयों का सामना क्यों कर रहा है. इसे रोकने की कोशिशों के बावजूद, बदकिस्मती से सब घटनाएं मेरी आंखों के सामने घटित हो रही हैं. विजयम्मा ने अपने परिवार के बारे में फैलाए जा रहे निराधार दावों की निंदा की और कहा कि इसे रोका जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि ये न तो मेरे बच्चों के लिए अच्छा है, न ही राज्य के लिए. मैं इस बारे में बात करने में झिझक रही थी, लेकिन अब हालातों की मांग ही ऐसी है कि मैं उन लोगों से विनती करती हूं जिन्होंने हमारे परिवार के बारे में गलत बातें की हैं, वे ऐसा करना बंद करें.
क्या भाई-बहन में हुआ संपत्ति बंटवारा
उन्होंने लिखा, "खून पानी से ज़्यादा गाढ़ा होता है, मेरे बच्चे खुद जवाब देंगे. मुझे भगवान पर भरोसा है, जो उनकी समस्याओं को हल करेंगे." उन्होंने साथ ही इस दावे को खारिज कर दिया कि वाईएसआर ने अपने जीवित रहते हुए अपनी संपत्ति अपने बच्चों में बांट दी थी. उन्होंने लिखा, "वाईएसआर ने अपने जीवित रहते हुए कुछ संपत्ति मेरी छोटी बेटी शर्मिला के नाम और कुछ मेरे बेटे जगन के नाम पर कर दी थी. असल में यह संपत्ति का बंटवारा नहीं है; यह सिर्फ उनका आवंटन है." सभी संपत्तियां परिवार की हैं." उन्होंने लिखा, "2009 में वाईएसआर के मौत के बाद जगन और शर्मिला 2019 तक साथ रहे. जगन ने अपने समझौते के अनुसार शर्मिला को अपने हिस्से में से 200 करोड़ रुपये दिए. एमओयू के अनुसार जगन को 60% और शर्मिला को 40% मिलना था. हालांकि, एमओयू से पहले वे बराबर प्रोफिट शेयर करते थे."
जगन रेड्डी और शर्मिला की मां विजयम्मा ने लिखा कि खून पानी से ज़्यादा गाढ़ा होता है, मेरे बच्चे खुद जवाब देंगे. मुझे भगवान पर भरोसा है, जो उनकी समस्याओं को हल करेंगे. उन्होंने साथ ही इस दावे को खारिज कर दिया कि वाईएसआर ने अपने जीवित रहते हुए अपनी संपत्ति अपने बच्चों में बांट दी थी.
जगन रेड्डी ने 2019 में रखा संपत्ति बंटवारे का प्रस्ताव
विजयम्मा ने लिखा कि जगन रेड्डी ने 2019 में सीएम बनने के बाद संपत्ति के बंटवारे का प्रस्ताव रखा था. उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने बड़े हो चुके बच्चों के साथ मिलकर न रहने पर चिंता जाहिर की. उसके बाद, विजयवाड़ा में, मेरी मौजूदगी में, उन्होंने संपत्ति का बंटवारा करने का फैसला किया. यह कहते हुए कि यह जगन का है और यह शर्मिला का है. 2019 में लिखा गया समझौता ज्ञापन वही है. यह समझौता ज्ञापन जगन द्वारा खुद लिखा और ट्रांसफर किया गया है. चूंकि शर्मिला के पास अधिकार थे, इसलिए जगन ने उन्हें लाभांश के रूप में 200 करोड़ दिए. शर्मिला के पास अधिकार थे, इसलिए उन्होंने समझौता ज्ञापन लिखा, यह आधिकारिक तौर पर लिखा गया था.
लोगों के फैलाए झूठ का सच बताना पड़ा
विजयम्मा ने लिखा, "एमओयू में शर्मिला को दी जाने वाली संपत्तियां जगन की ओर से गिफ्ट नहीं हैं, बल्कि उनकी जिम्मेदारी हैं. कोई कुर्की नहीं हुई थी, इसलिए जगन ने वादा किया और ट्रांसफर किए कि वह शर्मिला को एमओयू में मेंशन सरस्वती के 100% शेयर और एमओयू में मेंशन नहीं की गई कि येलहांका संपत्ति का 100% तुरंत दे देंगे. उन्होंने कहा, "अटैच्ड प्रॉपर्टी के मामले में भी शर्मिला के साथ गलत व्यवहार किया गया. शर्मिला के हिस्से में भारती सीमेंट्स, साक्षी मीडिया और वाईएसआर का घर शामिल है, जिसे केस के बाद दिया जाना चाहिए." उन्होंने कहा कि उन्हें कई लोगों द्वारा फैलाए गए झूठ के बीच सच्चाई बताने के लिए बोलना पड़ा. उन्होंने लिखा, "सच्चाई यह है... फिर भी, वे भाई-बहन हैं, यह उनका मुद्दा है; वे इसे सुलझा लेंगे."
पिता के होने पर नहीं उठता संपत्ति का मुद्दा
विजयम्मा ने लिखा, "अगर राजशेखर रेड्डी जीवित होते, तो संपत्ति का यह मुद्दा नहीं उठता और इस तरह का विवाद नहीं होता. ये हालात ना बनते, तो मुझे बोलने की जरूरत नहीं पड़ती. मेरा मानना है कि केवल मेरे शब्द ही इसे रोक सकते हैं. कृपया, मैं आप सभी से, मेरे बच्चों के लिए गैर-जिम्मेदाराना ढंग से बोलने से बचने का अनुरोध करती हूं." वाईएसआरसीपी ने विजयम्मा के पत्र का जवाब देते हुए कहा कि जगन रेड्डी ने कभी भी संपत्ति वापस नहीं मांगी. वाईएसआरसीपी के राज्य सचिव एसवी सतीश रेड्डी ने एक बयान में कहा, "वाईएस जगन ने सद्भावना के चलते अपनी संपत्ति अपनी बहन शर्मिला के साथ शेयर की है. वह जगन के किसी भी व्यवसाय में निदेशक नहीं हैं. जगन शर्मिला के साथ दयालुता से पेश आया, जैसा कि कोई भी भाई करता है. दिवंगत सीएम राजशेखर रेड्डी ने पहले ही शर्मिला और जगन को संपत्ति ट्रांसफर कर दी थी. जगन ने कभी भी उन संपत्तियों को वापस नहीं मांगा. उन्होंने केवल ईडी मामलों में जब्त संपत्तियों के आदान-प्रदान के बारे में बिना उनकी जानकारी के नोटिस भेजा था."
भाई-बहन ने एक-दूजे को लिखे लेटर
विवाद के बीच भाई-बहन ने एक दूसरे को लेटर लिखे और दोनों ने एक-दूसरे पर धोखेबाज़ी और बेहद दुखी करने वाले काम करने का आरोप लगाया है, जो उनके पिता की शानदार शादों को धुंधला कर देते हैं. जगन रेड्डी ने इससे पहले राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण को पत्र लिखकर सरस्वती पावर में शेयरों के अवैध ट्रांसफर पर चिंता जताई थी. उन्होंने कहा कि शेयर "मुझे एक गिफ्ट डीड द्वारा ट्रस्ट में दिए गए थे" और उन्होंने उन्हें अपनी मां वाईएस विजयलक्ष्मी को "इस समझ के साथ गिरफ्ट में दिया था कि ट्रांसफ... अदालत की मंजूरी के बाद (और) आगे उचित दस्तावेज तैयार करने के बाद होगा..."
जगन रेड्डी ने बहन पर लगाए ये आरोप
लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री ने लिखा कि ये शेयर उनकी बहन ने धोखेबाज़ी से खुद को ट्रांसफर कर लिए हैं (जिससे) मेरे लिए संभावित कानूनी जटिलताएं पैदा हो सकती हैं. उन्होंने कहा कि ये शेयर अब मूल और निरंतर मालिक और हित के लाभार्थी के रूप में मेरे पास वापस आ जाएंगे...वाईएसआर कांग्रेस के प्रमुख ने 2019 में अपने द्वारा ट्रांसफर समझौता ज्ञापन को भी अमान्य घोषित कर दिया. सहमति ज्ञापन में इस बात का जिक्र था कि वह "भविष्य में किसी समय अपने भाई-बहन के रूप में आपके प्रति अपने प्रेम और स्नेह के कारण कुछ संपत्तियों को आपको ट्रांसफर करना चाहते हैं."
भाई के आरोप पर क्या बोलीं बहन शर्मिला
जवाब में, शर्मिला ने अपने पिता के निर्देश के बारे में बताया कि उनकी कमाई संपत्तियां उनके चार पोते-पोतियों के बीच समान रूप से बांटी जानी चाहिए. उन्होंने समझौता ज्ञापन को रद्द करने के जगन रेड्डी के इरादे को खारिज करते हुए कहा कि इसका कोई कानूनी अधिकार नहीं है. उन्होंने लिखा, "आपने वह किया है जिसकी हमारे प्यारे पिता ने कभी कल्पना भी नहीं की होगी... उनकी प्यारी पत्नी (हमारी मां) और बेटी (स्वयं) के खिलाफ उनके परिवार को उनके वैध हिस्से से वंचित करने के लिए मामला दर्ज किया." सरस्वती पावर के शेयरों के विवादास्पद मुद्दे पर, रेड्डी ने दावा किया कि समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के बाद ट्रांसफर का इरादा था "लेकिन आप (जगन रेड्डी) कई वर्षों तक इस वादे को पूरा करने में विफल रहे..."
राजनीति में भाई को बहन से टक्कर
कंपनी कानून न्यायाधिकरण 8 नवंबर को मामले की सुनवाई करेगा. विरासत विवाद भाई-बहनों के राजनीतिक रूप से अलग होने के बाद हुआ है. 2019 के विधानसभा चुनावों तक अपने भाई के लिए बड़े पैमाने पर प्रचार करने से लेकर, वाईएस शर्मिला ने 2021 में अपनी वाईएसआर तेलंगाना पार्टी बनाने के लिए अलग कदम उठाया. इस साल आम चुनाव से पहले इस पार्टी का कांग्रेस में विलय हो गया. कांग्रेस ने वाईएस शर्मिला को पार्टी का आंध्र प्रदेश प्रमुख नामित किया, जिससे वह अपने भाई की चुनौती बन गईं.
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